Padma Khanna: कोई नहीं जानता कि बॉलीवुड में उसके लिए क्या सही होगा और क्या गलत. बस, इतना होता है कि कोई बड़ा चांस मिल जाए. वाराणसी (Varanasi) में पैदा हुईं पद्मा खन्ना बचपन से कथक (Kathak Dance) सीख रही थीं और उन्हें भरोसा था कि क्लासिकल डांस उन्हें एक ऊंचाई पर जरूर ले जाएगा. कम उम्र से ही उन्होंने अपने शहर में शो देना शुरू कर दिए थे और जब एक कार्यक्रम में वैजयंतीमाला (Vyjayanthimala) की नजर उन पर पड़ी, तो उन्होंने कहा कि तुम्हें एक्ट्रेस (Bollywood Actress) बनना चाहिए. जब हिंदी फिल्मों में एंट्री नहीं मिली तो पद्मा खन्ना ने भोजपुरी फिल्मों (Bhojpuri Films) में काम शुरू किया. परंतु किस्मत ने उनके लिए बॉलीवुड के दरवाजे खोले. मगर काम एक्स्ट्रा जैसा मिला. कई फिल्मों में वह चर्चित एक्ट्रेसों की बॉडी डबल बनीं. जिनमें सबसे प्रमुख है, फिल्म पाकीजा (Film Pakeezah) में मीना कुमारी (Meena Kumari) की बॉडी डबल होना. 


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लोगों ने कहा अश्लील
पद्मा खन्ना बेहतरीन डांसर हैं, यह तो इंडस्ट्री में लोगों को पता चल ही चुका था. तभी पद्मा खन्ना को विजय आनंद (Vijay Anand) ने अपनी फिल्म जॉनी मेरा नाम (Johnny Mera Naam) में एक रोल ऑफिर किया, जिसमें उन्हें डांस भी करना था. फिल्म में देव आनंद, हेमा मालिनी, प्राण और प्रेमनाथ जैसे बड़े नाम थे. पद्मा खन्ना के लिए यह बड़ा ब्रेक था. उन्होंने फिल्म को हां कह दिया. फिल्म में एक मौके पर वह विलेन प्रेमनाथ को लुभाते हुए गाना गाती हैं: हुस्न के लाखों रंग कौन सा रंग देखोगे/आग है ये बदन कौन सा अंग देखोगे. आशा भोसले (Asha Bhosle) ने अपनी मादक आवाज में मादक अंदाज में यह गीत गाया. शूट भी इसे मादम अंदाज में किया गया. पद्मा खन्ना इसे गाते हुए अपने शरीर से वस्त्र हटाती जाती हैं. लोगों ने इस गाने को अश्लील (Vulgar) कहा, मगर यह गीत खूब चला.


बंद हुए रास्ते
इस गाने में पद्मा खन्ना को इंडस्ट्री में बड़ी पहचान थी और इसके बाद उनके पास काम का ढेर लग गया. परंतु समस्या यह थी कि तमाम काम ऐसे ही रोल और गानों का आ रहा था. हालांकि पद्मा खन्ना अपनी लोकप्रियता का आनंद ले रही थीं, परंतु आगे जाकर उन्हें लगा कि यह उनके करियर की बड़ी गलती थी क्योंकि यहां से फिल्मों में उनके हीरोइन बनने के रास्ते बंद हो गए. 1980 के दशक में उन्हें सौदागर (1973), लोफर (1973) संन्यासी (1975), सजा, संग्राम, खून पसीना (1977) और मुकद्दर का सिकंदर (1978) जैरी फिल्में बड़े सितारों के साथ मिलीं. परंतु उनमें नेगेटिव रोल थे. जिसमें वे या तो हीरो को लुभा कर हीरोइन से दूर ले जाना चाहती थीं या फिर विलेन के साथ. कुल जमा वह खलनायिका कही जाने वाली ‘वैंप’ के रोल में टाइप कास्ट हो गईं.


कथक से कैबरे तक
वैंप के रोल में टाइप कास्ट होने के बीच इंडस्ट्री ने पद्मा खन्ना की जिस प्रतिभा को फिल्मों में ज्यादा जगह मिली, वह थी डांस. उनके डांस सैकड़ों फिल्मों का हिस्सा बने. समय के साथ वह कैबरे डांस का बड़ा चेहरा बन गईं. यही दौर अरुणा ईरानी और बिंदू का भी था. परंतु 1980 का दशक खत्म होते जीनत अमान और परवीन बाबी जैसी एक्ट्रेस आ चुकी थीं, जो खुद पर्दे पर कैबरे डांस कर रही थीं. ऐसे में पद्मा खन्ना के लिए बड़ी फिल्मों में मौके कम होते गए. मगर हर अच्छे कलाकार को दूसरा मौका जरूर मिलता है, पद्मा खन्ना की किस्मत 1986 में पलटी.


अगर न की होती गलती
दूरदर्शन पर रामानंद सागर के सीरियल रामायण (Ramayan Serial) में पद्मा खन्ना को कैकेयी की भूमिका मिली. राजा दशरथ की तीसरी रानी, जिसने भगवान राम (Lord Ram) को वनवास दिलाया. इस रोल ने पद्मा खन्ना को एक बार फिर को घर-घर में मशहूर कर दिया. पद्मा खन्ना का दृढ़ विश्वास था कि अगर उन्होंने जॉनी मेरा नाम में खलनायक को आकर्षित करने करने के लिए हुस्न के लाखों रंग जैसा डांस नहीं किया होता, तो उन्हें कैकेयी की नहीं बल्कि सीता की भूमिका मिलती. 1986 में पद्मा खन्ना ने निर्देशक जगदीश सदाना से शादी की और 1990 में उनके साथ अमेरिका चली गईं. बाद में सदाना का निधन हो गया. लेकिन पद्मा आज अपने दो बच्चों अमेरिका के न्यू जर्सी में रहती हैं. वहां एक डांस अकादमी चलाती हैं. बॉलीवुड की चर्चित और लोकप्रिय वैंप अदाकाराओं की कोई लिस्ट उनके नाम के बिना पूरी नहीं होती.