B`Day Special: जॉनी वाकर की जिंदगी में ‘शराब’ ने किए बड़े-बड़े खेल
जानिए बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी से ‘जॉनी वॉकर’ बनने तक का सफर.
बदरुद्दीन जमालुद्दीन काजी से ‘जॉनी वॉकर तक का सफर
उन दिनों बलराज साहनी गुरुदत्त के लिए ‘बाजी’ फिल्म लिख रहे थे, इस फिल्म के साथ बड़ी खास बात थी, डायरेक्टर गुरुदत्त थे, राइटर बलराज साहनी थे और हीरो देव आनंद. तीनों को क्या पता था कि तीनों एक दिन बॉलीवुड के महानतम कलाकारों में गिने जाएंगे. इन तीनों के साथ काजी को पहली मूवी मिली. काजी से बस में बलराज साहनी ने गुरुदत्त की शराबी की नकल उतारने को कहा, काजी ने जो गुरुदत्त की कॉपी मारी, उसको देखकर बलराज साहनी की पहले तो हंसी छूट गई, फिर उनको लगा कि ये तो शानदार है. उन्होंने अगले दिन ही काजी को गुरुदत्त से मिलवाया. गुरुदत्त ने उससे एक शराबी की एक्टिंग करने को कहा, उसकी शराबी की एक्टिंग देखकर गुरुदत्त इतने खुश हुए कि उसका नाम ही रख दिया ‘जॉनी वॉकर’, स्कॉच का एक फेमस ब्रांड.
‘सर जो तेरा चकराए गाने के पिछे की कहानी
उसके बात तो उनकी गुरुदत्त से दोस्ती हो गई, मेरे महबूब, सीआईडी, प्यासा, चोरी चोरी ने उन्हें स्टार बना दिया. घर घर लोग उनके गाने गुनगुनाने लगे. इसी में एक गाना था ‘सर जो तेरा चकराए’. आज भी लोग इसे नहीं भूले हैं, इस गाने की कहानी भी काफी दिलचस्प है. ‘प्यासा’ मूवी साहिर लुधियानवी और अमृता प्रीतम की असफल कहानी पर लिखी गई थी. साहिर लुधियानवी ने खुद इस गाने को लिखा था. इसकी धुन को लेकर भी अनोखी कहानी है. इस धुन को गुनगुनाते हुए एसडी वर्मन ने अपने बेटे आरडी वर्मन को सुना था, उस वक्त तक आरडी वर्मन यानी पंचम दा पढ़ ही रहे थे, उन्होंने इसी धुन पर ये गाना कम्पोज कर डाला.
इस गाने से जाने जाते हैं जॉनी वॉकर
बाद में पता चला कि ये धुन तो ब्रिटिश फिल्म ‘हैरी ब्लैक’ के एक गाने पर आधारित थी. भारत में ये मूवी ‘हैरी ब्लैक एंड टाइगर’ के नाम से रिलीज हुई थी. उस वक्त तक एसडी वर्मन चोरी की धुन इस्तेमाल करने में हिचक रहे थे, लेकिन जब उस ब्रिटिश मूवी का प्रोडयूसर भारत आया और इस गाने को सुनकर भी पहचान नहीं पाया उलटे उसकी तारीफ की, तो सचिन देव वर्मन ने इरादा बदल दिया और उसी धुन को इस्तेमाल कर लिया. ऐसे में उनको भी नहीं पता था कि ये गाना इतना बड़ा सुपरहिट होगा. जॉनी वॉकर तो आज तक इस गाने के लिए जाने जाते हैं.
गुरुदत्त के निधन से दुखी थे जॉनी वॉकर
लेकिन जॉनी वॉकर के लिए गुरुदत्त की इतनी कम उम्र में मौत मुश्किलें लेकर आईं, उनकी बाकी डायरेक्टर्स से उतनी ट्यूनिंग नहीं बन पाई, सो उनके कैरियर में भी दिक्कत आनी शुरू हो गई थी. बावजूद इसके उन्होंने अपने बेटे नासिर को अमेरिका पढ़ने भेजा क्योंकि स्कूल आधे में ही छोड़ देने से वो काफी निराश रहे थे. हालांकि उनकी कामयाबी उनके करीबियों को भी हजम नहीं हो पा रही थी. तभी तो कभी शराब ना पीने के बावजूद उनको नौकरी से शराब पीने के आरोप में सस्पेंड करवा दिया गया था.
2 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड से नवाजे गए जॉनी वॉकर
बावजूद इसके जॉनी वॉकर लगातार अच्छे रोल की तलाश में जुटे रहे, फिल्मी दुनियां में लगातार काम करते रहे. उनकी आखिरी मूवी शायद आप सबने देखी होगी, वो थी कमल हासन की ‘चाची 420’. उनको 2 बार फिल्मफेयर अवॉर्ड भी मिला, ‘मधुमति’ में बेस्ट सपोर्टिंग एक्टर का और ‘शिकार’ में बेस्ट कॉमेडी एक्टर का.