Throwback: `हेरा फेरी` का नाम होता कुछ और, संजय दत्त की जगह आए थे सुनील शेट्टी!

आज फिल्म `हेरा फेरी (Hera Pheri)` लोगों की फेवरिट लिस्ट में मानी जाती है.

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सुनील शेट्टी ने शेयर किया पोस्ट

सुनील शेट्टी 'हेरा फेरी' फ्रेंचाइसी के अहम हिस्सा हैं. उन्होंने कहा है कि 'हेरा फेरी 3' तो आकर ही रहेगी. इस फिल्म से बॉलीवुड में कॉमेडी की एक नई धारा की शुरुआत हुई. सुनील शेट्टी ने इस फिल्म को याद करते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “बीस साल हो गए, लेकिन प्यार आज भी मिलता जा रहा है. यादें जो पूरी जिंदगी बनी रहेंगी.” अपने इस पोस्ट के साथ सुनील ने फिल्म के दृश्य को साझा किया. अब सुनील शेट्टी की इस बात से फैंस की उत्सुकता काफी बढ़ गई है क्योंकि जैसी कॉमेडी 'हेरा फेरी' में दिखाई गई थी वैसी कॉमेडी किसी दूसरी फिल्म में देखने को नहीं मिली.

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फिल्म में पहले थे संजय दत्त

'हेराफेरी' मलयालम फिल्म 'रामजी राव स्पीकिंग' की रीमेक थी फिल्म 'हेराफेरी' की स्टारकास्ट में भी बदलाव किया गया था. पहले इस फिल्म में अक्षय कुमार, संजय दत्त, परेश रावल और करिश्मा कपूर को फाइनल किया गया था लेकिन बाद में यह स्टारकास्ट बदली गई.

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अजय देवगन का भी जुड़ा था नाम

संजय दत्त अपने कोर्ट केस के चक्कर में फिल्म नहीं कर पाए और इसके बाद यह रोल सुनील शेट्टी को मिला था तो करिश्मा कपूर को पहले तब्बू के रोल के लिए कास्ट किया जाना था. एक बारगी अजय देवगन को सुनील शेट्टी को रोल दिया गया, लेकिन उन्होंने अक्षय का रोल करने की इच्छा जताई थी.

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फिल्म का पहले नाम रफ्तार रखने की हुई बात

फिल्म का नाम पहले रफ्तार रखने की बात हुई थी पर बाद में इसे हेरा-फेरा कर दिया गया. हेरा-फेरी साल 2000 में आई थी तो पार्ट-2 2006 में आया था. परेश रावल को इस फिल्म के लिए बेस्ट कॉमेडियन का फिल्म फेयर पुरस्कार मिला था.

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हेरा-फेरी के इन डायलॉग ने जीता फैंस का दिल

हेरा-फेरी के कुछ डायलॉग ने फैंस का दिल जीता था. ऐसे ही कुछ चुनिंदा डायलॉग के बारे में... | मेरी कुंडली में खून लिखा है, मालूम है ना | प्रेशर आ गया, प्रेशर आ गया, हाय प्रेशर आ गया | देवी का प्रसाद मंदिर में मिलता है, गैराज में नहीं | कुतरिया साला देख के नंबर डायल कर समझा | बाबू भइया को समझा के दिखा | खोपड़ी तोड़ रे साले का | 'उठा ले रे बाबा उठा ले... मेरो को नहीं... इन दोनों को उठा ले' | 'अगर सुबह सुबह संडास जाना है तो सिंगर बनना पड़ेगा' | पहले मेरे को समझा कि इसको समझाना क्या है | हर धोती पहनने वाला गांधी नहीं होता.

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