Raj Kapoor Birth Anniversary: कभी कंट्रोवर्सी, कभी क्लासिक...`शोमैन` की इन फिल्मों का रहा जलवा, म्यूजिक से बटोरी वाहवाही
Raj Kapoor Movies: राज कपूर ने हिंदी सिनेमा जगत को कई कल्ट क्लासिक फिल्में दी हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं आज हम जिन्हें राज कपूर की क्लासिक फिल्में मानते हैं, वह कभी खूब कंट्रोवर्सी में फंसी थीं.
Raj Kapoor Movies: राज कपूर...यह वो नाम है जिसने हिंदी सिनेमा जगत को एक आकार देने में बहुत बड़ा योगदान दिया है. राज कपूर ने सिर्फ अपनी अदाकारी ही नहीं बल्कि निर्देशन का भी जलवा दिखाया है. राज कपूर जब भी कोई फिल्म बनाते थे जो वह बेहतरीन म्यूजिक के साथ-साथ फिल्मों में सोशल मैसेज भी देते थे. फिल्मों के जरिए राज कपूर ने उस दौर में समाज पर ऐसे-ऐसे कमेंट किए जिनकी वजह से वह खूब कंट्रोवर्सी का शिकार भी हुए. जी हां...राज कपूर की जिन फिल्मों को आज हम कल्ट क्लासिक मानते हैं उनमें से कई अपनी रिलीज के समय खूब कंट्रोवर्सी में फंसी थीं. आइए, यहां जानते हैं वह कौन-कौन सी फिल्में थीं.
आग(1948)
एंटरटेनमेंट खबरों की मानें तो राज कपूर ने आग (1948) इस फिल्म से बतौर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर डेब्यू किया था. इस फिल्म में बाहरी सुंदरता के बजाए आंतरिक सुंदरता पर बात की गई थी.
आवारा (1951)
इस फिल्म में राज कपूर ने एक्टिंग, डायरेक्शन और प्रोडक्शन किया. आवारा फिल्म की कहानी और संगीत इतना कमाल था कि इसे केवल भारत में ही नहीं बल्कि रशिया में भी खूब पॉपुलैरिटी मिली.
श्री 420 (1955)
इस फिल्म में राज कपूर ने एक अनाथ का किरदार निभाया था. जो अपने सपने पूरे करने के लिए बंबई आता है. इस फिल्म का गाना 'मेरा जूता है जापानी' आज भी खूब पॉपुलर है.
जिस देश में गंगा बहती है (1960)
इस फिल्म में राज कपूर ने डकैतों के पुनर्वास की कहानी दिखाई थी. इस फिल्म में भी राज कपूर ने अनाथ का किरदार निभाया था.
संगम (1964)
राज कपूर की इस फिल्म के चर्चे विदेश में शूटिंग होने की वजह से खूब हुए थे. यह फिल्म एक नहीं बल्कि तीन विदेशी लोकेशन्स पर शूट हुई थी. फिल्म में राज कपूर के साथ वैजयंतीमाला लीड रोल में थीं.
तीसरी कसम (1966)
इस फिल्म की कहानी महिलाओं के शोषण के मुद्दे पर बेस्ड है. कहानी में राज कपूर ने एर बैलगाड़ी चालक का किरदार निभाया है, जो बहुत ही भोला-भाला है.
सत्यम शिवम सुंदरम (1978)
इस फिल्म को हिंदी सिनेमा की आइकॉनिक फिल्म कहा जाता है. इस फिल्म में महिला में भी आग की तरह आंतरिक सुंदरता पर जोर दिया गया था.