दिग्गज मलयालम फिल्ममेकर हरिकुमार का निधन, 70 साल की उम्र में ली अंतिम सांस
Filmmaker Harikumar Passes Away: अनुभवी मलयालम निर्देशक और पटकथा लेखक हरिकुमार का सोमवार शाम को कैंसर से जूझने के बाद निधन हो गया. हरिकुमार ने अपने करियर में 18 फिल्मों का निर्देशन किया.
Filmmaker Harikumar Passes Away: दिग्गज मलयालम निर्देशक और स्क्रीनराइटर हरिकुमार का सोमवार (6 मई) शाम को तिरुवनंतपुरम के एक निजी अस्पताल में निधन हो गया. वह 70 वर्ष के थे. वह कई सालों से कैंसर से जूझ रहे थे. केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने उनके निधन पर शोक व्यक्त किया और मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में उनके योगदान के बारे एक बयान साझा किया.
मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने अपने बयान में कहा, ''हरिकुमार (Harikumar) मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति थे, जो कलात्मक और व्यावसायिक मूल्यों के लिए पहचाने जाते थे. उन्होंने मुख्यधारा और कलात्मक सिनेमा के बीच की खाई को पाटने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. 40 साल के करियर में उन्होंने विविध विषयों पर 18 फिल्मों को निर्देशन किया.''
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18 फिल्मों का निर्देशन
हरिकुमार ने 18 फिल्मों का निर्देशन किया, जिनमें सुकृतम, उदयनपालकन और जलकम जैसी शानदार फिल्में शामिल हैं. उन्होंने एम टी वासुदेवन नायर, लोहितादास, श्रीनिवासन और कलूर डेनिस जैसे प्रसिद्ध स्क्रीनराइटर्स के साथ काम किया. उनकी 1994 में एम टी वासुदेवन नायर द्वारा लिखित 'सुकृतम' को खूब तारीफ मिली. इस फिल्म ने बेस्ट मलयालम फिल्म का नेशनल अवॉर्ड जीता.
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20 से अधिक फिल्मों के लिए स्क्रीन राइटिंग
अपने लंबे और सफल करियर के दौरान हरिकुमार ने मलयालम फिल्म इंडस्ट्री में 20 से अधिक फिल्मों के लिए स्क्रीन राइटिंग की. उनकी कहानियां, पटकथा से संवाद तक, दर्शकों को गहराई से प्रभावित करती थीं और आलोचकों से भी तारीफ बटोरती थीं. उनकी फिल्मों ने न केवल पुरस्कार जीते बल्कि केरल की सांस्कृतिक विरासत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गईं, जिसने वहां के सिनेमा पर अमिट छाप छोड़ी.
नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स जूरी का हिस्सा
हरिकुमार ने 2022 में अंतिम फिल्म 'ऑटोरिक्शाकारंते भार्या' डायरेक्ट की थी. उन्होंने 20 से अधिक मलयालम फिल्मों की पटकथा, कहानी और संवाद लिखे. इसके अलावा, वह 2005 और 2008 में नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स जूरी का हिस्सा थे. हरिकुमार की पहली निर्देशित फिल्म 1981 में 'अम्बल पूवु' थी, जिसे उन्होंने पेरुम्पदावम श्रीधरन के साथ मिलकर लिखा था.