New Film On Zee5: दो कदम का फासला तय करने के लिए किसी को अगर 1100 किलोमीटर का सफर तय करना पड़े तो समझ लीजिए की मामला फिल्मी है. लेकिन अगर सफर खूबसूरत और रोचक रहे तो प्यार की खातिर यह दूरी कोई मायने नहीं रखती. 114 मिनट लंबी अतिथि भूतो भव आपको जिस यात्रा पर ले जाती है, वह एंटरटेनिंग साबित होती है. इस बॉलीवुड रोमांटिक कॉमेडी में आप नयापन भी पाएंगे और पुराने रंग भी. दो अलग-अलग दौर इस कहानी में मिक्स होते हैं, प्यार के अलग-अलग रंग इसमें देखने को मिलते हैं. सबसे बड़ी बात है इस फिल्म में सचमुच एक सधी हुई कहानी है, जो इधर की बॉलीवुड फिल्मों में ढूंढनी पड़ती है. जी5 पर आज रिलीज हुई इस फिल्म में लंबे समय बाद ऐसी रोमांटिक-कॉमेडी दिखती है, जो प्यार के जज्बात पैदा करती है और हंसाती भी है. पूरी तरह से यह फैमेली एंटरटेनर है.


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खूबसूरत क्लाइमेक्स
सिर्फ प्यार करना ही जरूरी नहीं है. प्यार जताना भी आना चाहिए. अतिथि भूतो भव यही सबक सिखाती है. फिल्म का मुंबइया हीरो, स्टैंडअप कॉमेडियन श्रीकांत शिरोडकर (प्रतीक गांधी) चार साल से एयर होस्टस सुचारिता (शरमीन सहगल) के साथ लिव-इन में है. वह सुचारिता को चाहता है लेकिन चुटकुले अपनी रोमांटिक लाइफ ही बनाता है. दोनों की खटपट के बीच एक दिन श्रीकांत की जिंदगी में फ्रेंडली भूत आ जाता है, माखन सिंह (जैकी श्रॉफ). माखन और श्रीकांत का पुराना कनेक्शन है. पिछले जन्म में श्रीकांत माखन सिंह का दादाजी था. उसी जन्म की मलखान की एक मासूम लव स्टोरी फ्लैशबैक के रास्ते सामने आती है. क्या है इस स्टोरी का श्रीकांत से कनेक्शनॽ क्यों मलखान सिंह भूत बनाॽ श्रीकांत से क्या चाहता है मलखानॽ और, क्या होगा श्रीकांत-सुचारिता की लव स्टोरी का अंजामॽ कहानी आगे बढ़ते हुए इन्हीं सवालों के जवाब देती है. फिल्म का क्लाइमेक्स बहुत सुंदर और दिल को छूने वाला है. लंबे समय बाद स्क्रीन पर किसी लव स्टोरी का ऐसा क्लाइमेक्स देखने को मिला है. यह आपको याद रहेगा.


नई-पुरानी धड़कन
अतिथि भूतो भव में आपको वह तमाम बातें मिलती हैं, जो इधर की बॉलीवुड फिल्मों से गायब है. अच्छी कथा-पटकथा, संतुलित-सहज संवाद, संवेदनशील निर्देशन, कलाकारों का सहज अभिनय. साथ ही पारंपरिक और आधुनिक जमाने की मिली-जुली धड़कन. यहां पुराना जमाना पीछे नहीं खींचता और नए जमाने की गति दर्शक को खुद को आगे धकेलने को मजबूर नहीं करती. जैकी श्रॉफ लंबे समय बाद फॉर्म में हैं. निर्देशक ने उन्हें ‘भिड़ू’ टाइप टाइमपास रोल नहीं दिया है. प्रतीक गांधी और शरमीन सहगल (Sharmin Segal) ने अपने किरदारों को अच्छे से निभाया है. कुछ दृश्यों में प्रतीक की सीमाएं नजर आती हैं मगर शरमीन के अभिनय में रवानी है. दीवीना ठाकुर के किरदार को लेखक-निर्देशक ने अंजाम तक पहुंचाने की कोशिश नहीं थी. इसमें कुछ गुंजायश जरूर थी.



प्यार को अमर होना चाहिए
फिल्म प्यार के अलग-अलग रंग दिखाती है. माखन सिंह का कहना है कि प्यार को अमर होना चाहिए. शायद इसी लिए उसे मर कर भी मुक्ति नहीं मिलती और वह श्रीकांत के मिलने से पहले तक मुंबई में एक पेड़ पर उल्टा टंगा रहता है. माखन सिंह यानी जैकी श्रॉफ की किशोरावस्था का रोल करने वाले प्रभजोत सिंह ध्यान आकर्षित करते हैं. उनके किरदार में प्यार की मासूमियत है. पिछले साल प्रतीक गांधी के साथ फिल्म भवई ला चुके हार्दिक गज्जर (Hardik Gajjar) इस फिल्म को शुरू से अंत तक साधे हैं. श्रीकांत-सुचारिता की कहानी को वह खूबसूरती से मलखान की जिंदगी से जोड़ते हैं और उसका फोकस समय-समय पर बदलते रहते हैं. जिससे कहानी एक ट्रेक पर नहीं रहती और इसी में फिल्म का मजा है. फिल्म का संगीत ठीक है. एडिटिंग फिल्म को थोड़ा और कस सकती थी क्योंकि कहीं-कहीं इसकी रफ्तार कुछ धीमी हो जाती है. बावजूद इसके अतिथि भूतो भव ऐसी फिल्म है, जिसका परिवार और दोस्तों के साथ मजा लिया जा सकता है.


निर्देशकः हार्दिक गज्जर
सितारेः प्रतीक गांधी, जैकी श्रॉफ, शरमीन सहगल, दिवीना ठाकुर, प्रभजोत सिंह
रेटिंग ***1/2


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