Duranga 2 Web Series Review: ऐसी वेब सीरीज कम आती हैं, जिनका पहला सीजन खत्म होते ही दूसरे का इंतजार शुरू हो. कई बार यह भी होता है कि सीक्वल दर्शकों की उम्मीदों पर खरे नहीं उतरते. लेकिन जी5 (Zee5) पर स्ट्रीम हो रही वेब सीरीज दुरंगा (Duranga Web Series) के साथ ऐसा नहीं है. पहले सीजन के बाद दुरंगा का दूसरा सीजन सस्पेंस से भरा है. अप्रत्याशित मोड़ों से गुजरता. जहां तीनों प्रमुख किरदार अपने परफॉरमेंस से चौंकाते हैं. अमित साध, गुलशन देवैया (Gulshan Devaiah) और दृष्टि धामी (Drashti Dhami) के लिए आपको यह सीरीज याद रहती है. पहले सीजन में एक भगोड़े युवा अभिषेक (गुलशन देवैया) की कहानी थी, जो किसी और के नाम-पहचान के साथ जिंदगी बिता रहा है. उसने पुलिस अफसर इरा (दृष्टि धामी) से शादी की है. उनकी एक बेटी है. जब सब ठीक चल रहा होता कि तभी अभिषेक के सामने उसका अतीत आकर खड़ा हो जाता है. क्या उसका राज खुल जाएगाॽ खत्म होते-होते पहला सीजन यही सवाल छोड़ गया था.


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देसी रूपांतरण
दुरंगा की कहानी कोरियाई सीरीज फ्लावर ऑफ एविल का देसी रूपांतरण है. पहले सीजन का निर्देशन प्रदीप सरकार और ऐजाज खान ने किया था. दूसरे सीजन को रोहन सिप्पी ने डायरेक्ट किया है. यह कहानी सीरियल किलर बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) के बेटे अभिषेक की है, जो गांव से भागा, तो उसे डॉक्टर मनोहर पटेल (राजेश खट्टर) और उसकी पत्नी अनुप्रिया (दिव्या सेठ शाह) ने नई पहचान दी. उन्होंने अभिषेक को अपने बेटे सम्मित (अमित साध) का नाम दिया. सम्मित कोमा में है और माता-पिता ने उसे दुनिया से छुपा रखा है. आखिर क्या है पटेल परिवार द्वारा अभिषेक की पहचान बदलने और कोमा में जा चुके बेटे को छुपाकर रखने की वजह. यही रहस्य दुरंगा 2 में खोले गए हैं. पिछला सीजन असली सम्मित के कोमा से जागने के साथ समाप्त हुआ था.


रोमांच की नई परतें
दूसरे सीजन को सबसे ज्यादा रोमांचक बनाने का काम अमित साध की एंट्री ने किया है. 14 वर्षों तक कोमा में रहे व्यक्ति के रूप में, जो काफी हद तक मानसिक रूप से बीमार भी है, अमित साध ने बहुत बेहतरीन ढंग से यह रोल निभाया है. उनका किरदार दुरंगा सीजन 2 को पहले सीन से आखिरी दृश्य तक रोचक बनाए रखता है. रोहन सिप्पी के निर्देशन में रोमांच की नई परतें खुलती हैं. जब दर्शक को लगता है कि इरा और अभिषेक बन्ने/सम्मित (गुलशन देवैया) की जिंदगी में चीजें सामान्य और बेहतर हो रही हैं, तो असली सम्मित पटेल (अमित साध) की एंट्री उथल-पुथल मचा देती है. इसके बाद कहानी में लगातार रोमांच बना रहता है कि आगे क्या होगा.



बदलते हुए रंग
दुरंगा का यह सीजन अभिषेक बन्ने के पिता, उनकी क्रूर हत्याओं और उसके रहस्यों पर पड़े पर्दे भी उठाता है. जिससे कहानी को समझना आसान होता है. असल में, सीरियल किलर बाला बन्ने (जाकिर हुसैन) की जिंदगी से सम्मित और अभिषेक दोनों का ही कनेक्शन है. नए सीजन के आठ एपिसोड दर्शक को साथ जोड़े रखने कामयाब हैं. यह अमित साध के अब तक के सबसे बेहतरीन परफॉरमेंस में से एक है. उनके किरदार में ऐसी परते हैं कि कहीं आपको उससे नफरत होगी, लेकिनन फिर कहीं सहानुभूति भी जागेगी. गुलशन देवैया और दृष्टि धामी अपनी भूमिकाओं में चमकते हैं. दोनों ने सीजन वन के अपने परफॉरमेंस में निरंतरता बनाए रखी है. गुलशन जहां पिता और पति के रूप में सहज इंसान लगते हैं, लेकिन जैसे ही वह अपने अतीत से जुड़ते हैं, उनका रंग बदल जाता है. सीरीज की राइटिंग बढ़िया है और हर स्तर पर इसे महसूस किया जा सकता है. कथा-पटकथा के साथ किरदारों का ग्राफ और डायलॉग भी इस बात का सबूत हैं.


याददाश्त में दर्ज
दुरंगा 2 बांधे रखती है. अगर आप थ्रिलर कंटेंट के शौकीन हैं, तो इस सीरीज को जरूर देखना चाहिए. निर्देशक रोशन सिप्पी फिल्मों के भी निर्देशक हैं और उनके काम का अंदाज सीरीज में निखरकर आता है. हालांकि कुछेक हिस्सों में आपको लग सकता है कि बातें खींची जा रही हैं. लेकिन इससे कहानी का रहस्य-रोमांच कम नहीं हो जाता. यदि आपने पिछला सीजन देखा है, तो निश्चित ही दूसरा छोड़ने का कोई कारण नहीं है. मगर आपने पहला सीजन नहीं देखा है, तो दुरंगा 2 से पहले उसे जरूर देख लें. यह वेब सीरीज कुल मिलाकर रोचक है और देखने पर आपकी स्मृति में दर्ज रहेगी.


निर्देशकः रोहन सिप्पी
सितारे: अमित साध, गुलशन देवैया, दृष्टि धामी, अभिजीत खांडकेकर, दिव्या सेठ शाह, राजेश खट्टर, जाकिर हुसैन
रेटिंग***