Sensex @70,000 नरसिम्हा राव से मोदी सरकार तक, शेयर बाजार के आंकड़े कुछ बताते हैं
Stock Market में अगर आप पैसा लगाए हैं तो पता होगा कि कुछ घंटे पहले सेंसेक्स ने नए शिखर को छू लिया है. इससे क्या पता चलता है? शुरुआत कब से हुई? नरसिम्हा राव सरकार के समय शेयर बाजार का हाल क्या था? कोरोना और मोदी सरकार के समय मार्केट कैसे चढ़ता गया? बीएसई सेंसेक्स के 70 हजार पॉइंट्स तक पहुंचने की यात्रा पढ़िए.
Sensex Index: ये कहानी है भारत के शेयर बाजार की. अंकों के हिसाब से चढ़ने और उतरने की. कहानी उस सेंसेक्स की जो कभी लोगों की झोली में खुशियां तो कभी सदमा देकर गया. लेकिन अगले ही दिन फिर नई ऊर्जा के साथ लौटा, उम्मीदों की नाव पर सवार अपने निवेशकों के लिए नया कीर्तिमान बनाने. मुनाफा दिलाने, जिंदगी संवारने और यह करते-करते कई दशक बीत गए. वो साल था 1991 और तारीख 2 जनवरी जब सेंसेक्स का कांटा 999 के आंकड़े पर था और एक दिन पहले शेयर बाजार का बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex Record) 70,000 के आंकड़े को छू गया.
बीएसई सेंसेक्स भारतीय स्टॉक मार्केट यानी शेयर बाजार का बेंचमार्क इंडेक्स है. इस इंडेक्स की शुरुआत 2 जनवरी 1986 को 30 स्टॉक्स के साथ हुई थी. मतलब इसमें 30 स्टॉक्स शामिल थे जो पूरे भारतीय शेयर बाजार का प्रतिनिधित्व करते हैं. इसे भारत की वित्तीय सेहत के एक महत्वपूर्ण इंडिकेटर के तौर पर देखा जाता है. हालांकि यह स्पष्ट रहे कि व्यापक रूप से यह अर्थव्यवस्था का इंडिकेटर नहीं है क्योंकि इसमें केवल 30 कंपनियां ही शामिल हैं. लेकिन हां इसे बिजनस और इन्वेस्टर सेंटिमेंट का बैरोमीटर जरूर कहा जा सकता है. आइए सेसेंक्स के सफर को देश की बड़ी घटनाओं के चश्मे से देखते हैं. शुरू से शुरू करते हैं.
जुलाई 1991: अर्थव्यवस्था का उदारीकरण
केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी और पीवी नरसिम्हा राव प्रधानमंत्री थे. राव सरकार ने भारतीय अर्थव्यवस्था को रफ्तार देने के लिए उदारीकरण का रास्ता चुना. जुलाई में उस साल सेंसेक्स सबसे ऊपर चढ़ गया. यह सेंसेक्स में 28.6 प्रतिशत की तेजी थी. आज की तारीख तक उसे चौथा सबसे ज्यादा मंथली रिटर्न वाला महीना माना जाता है. 1991-92 के समय सेंसेक्स में गजब की तेजी देखी गई. सालाना रिटर्न 267 प्रतिशत दर्ज किया गया था.
1992 हर्षद मेहता घोटाला
दिसंबर 1992 और जुलाई 1993 के बीच सेंसेक्स 34 प्रतिशत गिरा. कारण हर्षद मेहता स्कैम था. इस ट्रेडर को नवंबर 1992 में गिरफ्तार किया गया. इस पर बैंकों से उधार लेकर शेयर बाजार में लगाकर धोखाधड़ी करने का गंभीर आरोप लगा था. उसने मुनाफा कमाने के लिए बाजार को अपने हिसाब से चलाया. भारतीय बाजार के इतिहास में 1992-93 का दौर सबसे बुरा समय था.
2006: सेंसेक्स 10 हजार पर झूमा
2 जनवरी 2006 को S&P बीएसई सेंसेक्स 10 हजार पर पहुंच गया. बाद में फरवरी के महीने में यह 10 हजार के ऊपर स्थायी हो गया. पहले दिन से इस मंजिल तक पहुंचने में सेंसेक्स ने 244 महीने से ज्यादा समय लिया था. 11 दिसंबर 2007 को सेंसेक्स ने 20 हजार के आंकड़े को छू लिया.
2008: दुनिया में आया संकट
24 अक्टूबर 2008 को भारत समेत दुनियाभर के बाजार क्रैश होने लगे. वैश्विक वित्तीय बाजार में इसे सबसे बुरे दिनों में से एक माना जाता है. वैसे भारत पर ज्यादा असर नहीं हुआ क्योंकि अमेरिका में कॉरपोरेट हाउसिंग बॉन्ड्स में पैसा कम लगा था. लेकिन इंडेक्स करीब 38 प्रतिशत गिर गया.
2009: चुनाव के नतीजे आए
कांग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए सरकार फिर सत्ता में लौटी. 18 मई 2009 को मार्केट में 17.34 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई. यह आज तक सेंसेक्स के लिए एक दिन में आई सबसे बड़ी तेजी थी.
2014: देश में आई मोदी सरकार
आम चुनावों में एनडीए को जबर्दस्त सफलता मिली. परिणाम आने के अगले दिन सेंसेक्स 0.9 प्रतिशत चढ़ा. मई के आखिर तक यह 8 प्रतिशत तक दौड़ गया. इसकी वजह पीएम नरेंद्र मोदी की प्रो-बिजनस इमेज बताई जाती है.
2016: नोटबंदी हुई
9 नवंबर यानी पीएम नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के ऐलान के अगले दिन सेंसेक्स इंट्राडे 1.23 प्रतिशत गिरा. 11 नवंबर से 21 नवंबर के बीच इंडेक्स ने 6.6 प्रतिशत वैल्यू गंवा दी.
2019: एनडीए फिर सत्ता में लौटी
23 मई 2019 यानी मोदी सरकार की वापसी से तीन दिन पहले एग्जिट पोल देखकर ही बाजार झूमने लगा. सेंसेक्स 3.8 प्रतिशत चढ़ गया. जून में बीएसई सेंसेक्स पहली बार 40 हजार के आंकड़े को छुआ. तेजी जारी रही और उस साल 13.8 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई. 8 अक्टूबर 2020 को सेंसेक्स 40,182 पर था.
2020: कोविड लॉकडाउन
यह मुश्किल दौर था. 23 मार्च 2020 को सरकार के देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा करते ही एक दिन में मार्केट 13 प्रतिशत टूटा.
2021-22 यानी कोविड से मुक्ति का समय
21 जनवरी 2021 को सेंसेक्स 50,096 पर खुला. मार्केट ने पहली बार 50 हजार के आंकड़े को छुआ था. 8 महीने के भीतर ही सेंसेक्स 23 सितंबर 2021 को 60 हजार पहुंच गया. इतनी जल्दी 10 हजार का आंकड़ा कभी नहीं मिला था. इसकी वजह सबको फ्री में कोविड-19 वैक्सीन मिलना मानी गई.
इस साल क्या हुआ
24 अप्रैल 2023 को मार्केट 60 हजार पहुंचा. दुनियाभर में सुस्ती देखी जा रही है लेकिन भारत का बाजार या कहें कि बुल अपनी स्पीड से दौड़ रहा है. सेंसेक्स सोमवार को शुरुआती कारोबार में पहली बार 70,000 के स्तर को पार कर गया जबकि निफ्टी 21,000 के स्तर के पार पहुंचा। आरबीआई के चालू वित्त वर्ष में ग्रोथ का पूर्वानुमान बढ़ाने और नीतिगत दरों को न बदलने के बाद प्रमुख सूचकांक सर्वकालिक उच्चतम स्तर पर पहुंचे हैं. उम्मीद है कि इस साल बाजार में जश्न का माहौल बना रहेगा.