Chinese Research Vessel: भारतीय के-4 परमाणु मिसाइल टेस्ट से पहले चीन के जासूसी जहाज (Chinese Research Vessel) युआन वांग 03 के हिंद महासागर क्षेत्र (Indian Ocean Region) में प्रवेश करने पर नौसेना (Indian Navy) हाई अलर्ट पर है. रक्षा अधिकारियों ने पुष्टि की है कि युआन वांग 03 (Yuan Wang 03) निगरानी में है.


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रिसर्च का मकसद बताकर असली मंशा को छिपा रहा चीन


पड़ोसी देश चीन समुद्री क्षेत्रों में अपने जासूसी जहाजों को रिसर्च के मकसद से उतारने की बात कहकर असली मंशा को छिपाता है. वे अपनी रडार सिस्टम को बंद करके पता लगाए जाने से बचने की कोशिश भी करते हैं. हालांकि, भारतीय नौसेना इन चीनी जहाजों को ट्रैक करने के लिए पी -8 आई क्राफ्ट, यूएवी और वॉरशिप का इस्तेमाल कर रही है. क्योंकि भारतीय मिसाइल परीक्षण की तैयारी के बीच युआन वांग 03 सहित ऐसे कई चीनी "अनुसंधान" जहाज हिंद महासागर में मौजूद हैं.


मिसाइल टेस्ट से पहले बंगाल की खाड़ी के ऊपर नो-फ्लाई ज़ोन


भारतीय नौसेना के मुताबिक, एक और चीनी सेटेलाइट और मिसाइल ट्रैकिंग जहाज युआन वांग 03 हिंद महासागर क्षेत्र (आईओआर) में आकर यहां पहले से मौजूद ऐसे ही तीन "अनुसंधान" जहाजों के साथ शामिल हो गया है. चीन की यह शक पैदा करने वाली हरकत तब सामने आई है जब भारत ने 3-4 अप्रैल को अब्दुल कलाम द्वीप से प्रस्तावित बैलिस्टिक के-4 मिसाइल परीक्षण के कारण बंगाल की खाड़ी के ऊपर नो-फ्लाई ज़ोन के लिए नोटम (एयरमेन को नोटिस) जारी किया है.


अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के दौरान भी बंगाल की खाड़ी में मौजूदगी


चीन के स्ट्रैटजिक रिस्पॉन्स फोर्स द्वारा संचालित युआन वांग सीरीज के जहाज सेटेलाइट लॉन्चिंग की निगरानी करने, बैलिस्टिक मिसाइल रेंज को ट्रैक करने और इलेक्ट्रॉनिक निगरानी करने के लिए डेवलप्ड सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से लैस हैं. इससे पहले, एक और चीनी 'अनुसंधान' जहाज जियांग यांग होंग 01, 11 मार्च को भारत के अग्नि-5 बैलिस्टिक मिसाइल परीक्षण के दौरान बंगाल की खाड़ी में मौजूद था. इसके अलावा, भारत और बीजिंग समर्थक मालदीव सरकार के तनावपूर्ण संबंधों के बीच जियांग यांग होंग 03 पिछले महीने माले में डॉक किया गया था.


समुद्री क्षेत्र में एक साथ ऐसे चार "दोहरे इस्तेमाल" वाले चीनी जहाज


चीन का ऑशन रिसर्च और सर्वे जहाज दा यांग हाओ भी इस समय आईओआर में है. चीन अक्सर समुद्र विज्ञान अनुसंधान जैसे नागरिक मकसद की आड़ लेकर ऐसे जासूसी जहाज भेजता है. भारतीय नौसेना के अधिकारियों का कहना है कि हमारे नजदीक समुद्री क्षेत्र में एक साथ ऐसे चार "दोहरे इस्तेमाल" वाले जहाजों का होना असामान्य है.  एक अधिकारी ने कहा, “चीन के पास 65 अनुसंधान और सर्वेक्षण जहाजों वाला एक बड़ा बेड़ा है. उनमें से ज्यादातर जाहिरा तौर पर समुद्र विज्ञान अनुसंधान के लिए हैं, लेकिन वे सैन्य मकसद के लिए नियमित रूप से सर्वेक्षण करते हैं." 


चीन ने की थी पाकिस्तानी नौसेना की मदद, आईओआर में कई हरकतें


इसके अलावा, चीन ने हाल ही में बैलिस्टिक मिसाइल लॉन्चिंग पर नज़र रखने और खुफिया मिशनों को संचालित करने में सक्षम अपने पहले विशेष अनुसंधान जहाज को शामिल करने में पाकिस्तानी नौसेना की सहायता की थी. चीन ने अफ्रीकी पूर्वी तट के साथ अतिरिक्त रसद सुविधाएं पहुंचाने की योजना के साथ, आईओआर में एक अहम नौसैनिक मौजूदगी बनाए रखी है. चीन द्वारा 2017 में जिबूती में अपना पहला विदेशी बेस स्थापित करने के बाद यह कदम उठाया गया है. 


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हिंद महासागर क्षेत्र में घबराए बीजिंग की बढ़ रही समुद्री महत्वाकांक्षा


यह सारे कदम हिंद महासागर क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती समुद्री महत्वाकांक्षाओं को दिखाता है. 360 से अधिक वॉरशिप और पनडुब्बियों के साथ दुनिया की सबसे बड़ी नौसेना वाला चीन किसी भी समय आईओआर में जासूसी जहाजों और कई मछली पकड़ने वाले जहाजों के अलावा छह से आठ वॉरशिप को तैनात करने की तैयारी में है. क्योंकि वह भारत में जल्द ही होने वाले के-4 परमाणु मिसाइल के परीक्षण से घबराया हुआ है.  रिपोर्ट के मुताबिक भारत बीजिंग किलर मिसाइल के रूप में मशहूर इस मिसाइल को पनडुब्बी से लॉन्च करने वाला है. इसकी रेंज करीब 4000 किलोमीटर है और यह मिसाइल पारंपरिक वॉरहेड के साथ परमाणु हमले को अंजाम देने में माहिर है.