इस्माइल हानिया की हत्या से मिडिल ईस्ट में बढ़ा तनाव, 4500 किमी दूर हो रहे संघर्ष से क्यों चिंता में भारत ? दांव पर लगे अरबों डॉलर
Hamas leader Ismail Haniyeh assassinated: इजरायल के खिलाफ आंतकी जंग शुरू करने वाले हमास के चीफ इस्माइल हानिया को मार गिराया गया. ईरान की राजधानी तेहरान में उसके घर पर एयरस्ट्राइक करके उसे मौत के घात उतार दिया गया. अपने कमांडर की मौत के लिए हमास ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराते हुए हमला बोला है.
Hamas leader Ismail Haniyeh assassinated: इजरायल के खिलाफ आंतकी जंग शुरू करने वाले हमास के चीफ इस्माइल हानिया को मार गिराया गया. ईरान की राजधानी तेहरान में उसके घर पर एयरस्ट्राइक करके उसे मौत के घात उतार दिया गया. अपने कमांडर की मौत के लिए हमास ने इजरायल को जिम्मेदार ठहराते हुए हमला बोला है. हमास को संरक्षण देने वाले ईरान भी इस हमले से तिलमिलाया हुआ है. हानिया की मौत के बाद ईरान में हमास के सुप्रीम लीडर्स की बैठक हुई, जिसमें ईरानी सेना के प्रमुख भी शामिल रहे. इस बैठक के बाद से आशंका जताई जा रही है कि ईरान और इजरायल के बीच स्थिति और बिगड़ेगी.
हमास चीफ इस्माइल हानिया के खात्मे का क्या होगा असर
ईरान और इजरायल के बीच फिलहाल फुल स्केल वॉर नहीं हो रहा, लेकिन सालों से दोनों देशों के बीच शैडो वॉर जारी है. हमास और इजरायल के बीच शुरू हुए युद्ध के बाद से दोनों देशों के रिश्ते बिगड़ते चले गए. ईरान जो हमास, लेबनान के हिज्बुल्ला, यमन के हूतियों का समर्थक रहा है, ये सब इजरायल के खिलाफ जंग छेड़ सकते हैं. ऐसे में अब और भी बड़ी जंग का खतरा मंडराता दिख रहा है. हानिया की मौत से ईरान को भी बड़ा झटका लगा है. चूंकि हानिया ईरान के संरक्षण में था, उसकी सुरक्षा में वो नाकाम रहा. ऐसे में इस बात का आशंका बढ़ गई है कि ईरान इस हमले का पलटवार करेगा. हानिया की मौत का असर इजरायल और हमास के बीच जारी बातचीत पर पड़ेगा. माना जा रहा है कि इस्माइल हानिया की मौत के बाद गाजा में जारी इजरायल हमास की जंग और खतरनाक हो सकती है.
हानिया की मौत के बाद मिडिल ईस्ट में तनाव
हमास और ईरान की ओर से बार-बार कहा जा रहा है कि हानिया की मौत बेकार नहीं जाएगी. ऐसे में आशंका बढ़ गई है कि इजरायल को निशाना बना सकते हैं. यानी आने वाले कुछ दिनों में मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ने वाला है. हानिया की हत्या ने मिडिल ईस्ट में चिंगारी का काम किया है. इस हत्या के बाद वहां बड़े जंग की आशंका तेज हो गई है. मिडिल ईस्ट के तनाव का असर दुनियाभर के देशों पर पड़ने वाला है. भारत भी इससे बच नहीं पाएगा.
क्या होगा भारत पर असर
अगर इस्माइल हानिया की मौत के चलते मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ता है तो इसका असर भारत की अर्थव्यवस्था पर भी पड़ेगा. भले ही ये भारत से 4500 किमी की दूरी पर हो रहा है, लेकिन इस संघर्ष और तनाव का असर भारत की अर्थव्यवस्था पर पड़ना तय माना जा रहा है. आयात-निर्यात में बाधा आने से कारोबार और देश की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है. भारत अपने कच्चे तेल की जरूरतों के लिए आयात पर निर्भर है. अपनी जरूरत का 85 फीसदी आयात करता है. ऐसे में अगर मिडिल ईस्ट में तनाव बढ़ा तो तेल का आयात प्रभावित हो सकता है, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ सकता है. तेल की कीमतों में बढ़ोतरी होने से भारत के व्यापार संतुलन, विदेशी मुद्रा भंडार और रुपये के मूल्य पर असर पड़ सकता है.
कच्चे तेल की कीमतों पर असर
भारत ईरान पर तेल के लिए निर्भर नहीं है, लेकिन चीन बड़ी मात्रा में ईरान से कच्चे तेल का आयात करता है. अगर युद्ध हुआ या तनाव बढ़ा तो रूस से तेल खरीदने की होड़ मच जाएगी, जिसका असर कीमतों पर दिखेगा. इतना ही नहीं तेल शिपमेंट पर भी इस संघर्ष का असर दिख सकता है. अगर हानिया की हत्या के चलते ईरान-इजरायल के बीच तनाव और बढ़ा तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर हो सकता है. आंकड़ों पर गौर करें तो वित्त वर्ष 2014-15 में भारत-ईरान का व्यापार 13.13 अरब डॉलर का रहा. तेल के अलावा भारत ईरान से सूखे मेवे, केमिकल, कांच के बर्तन खरीदता है. वहीं ईरान भारत से बासमती चावल , चाय, कॉफी, चीनी खरीदता है. अब अगर ईरान-इजरायल के बीच युद्ध बढ़ा तो भारत के आयात-निर्यात पर असर होगा, जिसका असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा. इस युद्ध का नकारात्मक असर महंगाई पर भी पड़ेगा. कच्चे तेल की कीमत 100 डॉलर तक पहुंचने की आशंका व्यक्त की जा रही है, जाहिर है कि अगर तेल की कीमत बढ़ी तो इसका असर महंगाई पर पड़ेगा.
युद्ध के साइड इफेक्ट
भारत और इजरायल के बीच हथियारों की सबसे बड़ी खरीद-फरोख्त होती है. साल 2023 में भारत ने इजरायल से 89000 करोड़ रुपये का कारोबार किया, जिसमें डिफेंस हथियारों के अलावा तराशे हुए हीरे, कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स और इंजीनियरिंग गुड्स शामिल है. अगर इजरायल और ईरान का भी संघर्ष शुरू हो गया तो भारत के डिफेंस सप्लाई पर असर पड़ सकता है. यानी इजरायल और ईरान दोनों भारत के लिए जरूरी है. इजरायल भारत का स्ट्रैटजिक सप्लायर है तो सेंट्रल एशिया रिपब्लिक और ईस्ट यूरोपियन देशों तक कनेक्टिविटी के लिए ईरान जरूरी है. अगर संघर्ष हुआ तो भारत भी इससे असर से बच नहीं सकेगा.
युद्ध हुआ तो अरबों का नुकसान
इस युद्ध का असर महंगाई पर पड़ेगा. भारत में पेट्रोल-डीजल की कीमतों से बाकी कई चीजों के दाम से लिंक हैं. माल-ढुलाई महंगा होगा तो खाने-पीने की चीजें भी महंगी हो जाएगी. इजरायल के लिए भारत एशिया में तीसरा सबसे बड़ा ट्रेड पार्टनर है. इजरायल की कंपनियों का भारत में निवेश है. अगर यु्द्ध हुआ तो इन सबपर असर पड़ेगा. भारत के साथ इजरायल का कारोबार 10 बिलियन डॉलर से भा अधिक का है. युद्ध की स्थिति में इस पर असर पड़ सकता है. भारत के दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी का इजरायल में बड़ा निवेश है. इजरायल के सबसे बड़े पोर्ट हाइफा पोर्ट को लेकर अडानी पोर्ट और गडोट के बीच 1.18 अरब डॉलर की डील है, इजराइल से हथियार खरीदने वाले देशों में सबसे बड़ा खरीदार भारत है. अगर हमास सरगना की हत्या के चलते तनाव बढ़ा तो अरबों डॉलर का नुकसान हो सकता है.