India Relations with Greece: वैश्विक कूटनीति की दुनिया भी अजीब है. इस दुनिया में कोई देश न तो किसी का स्थाई दुश्मन होता है और न ही स्थाई शत्रु होता है. ऐसे में प्रत्येक देश को अपनी जेब में बहुत सारे विकल्प रखकर चलने पड़ते हैं और वक्त के हिसाब से उनका यूज करना होता है. पीएम मोदी के नेतृत्व में महाशक्ति के रूप में उभर रहा भारत भी अपने विकल्पों को कुछ ऐसी ही समझदारी से इस्तेमाल कर रहा है कि पाकिस्तान- चीन ही नहीं बल्कि तुर्किए की भी नींद उड़ी हुई है. अपने मोहरों को बेहद चतुराई से चलते हुए भारत ने न केवल तुर्किए को उसके घर में घेर लिया है बल्कि दुनिया को भी साफ संदेश दे दिया है कि अब भारत 60 साल पहले का कमजोर मुल्क नहीं रहा बल्कि वह जैसे को तैसा जवाब देना भी जानता है. भारत की इस मार से तुर्किए के राष्ट्रपति एर्दोगन बेबस हैं और समझ नहीं पा रहे हैं कि वे इस पर क्या और कैसे प्रतिक्रिया दें.


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आखिर क्यों हिली हुई है तुर्किए सरकार?


सबसे पहले हम आपको बताते हैं कि भारत ने तुर्की के साथ ऐसा कर दिया है कि वहां की एर्दोगन सरकार हिली हुई है. असल में 'दुश्मन का दुश्मन दोस्त होता है' वाली कहावत पर चलते हुए भारत लगातार उन देशों के साथ अपने संबंधों को मजबूती दे रहा है, जिनका तुर्किए के साथ गहरा विवाद रहा है. ऐसा ही एक देश है ग्रीस, जिसे पहले यूनान भी कहा जाता है. सिकंदर महान के इस देश के साथ तुर्किए का लंबे समय से द्वीपीय विवाद चला आ रहा है. इसकी वजह से दोनों देशों में कई बार झड़प भी हो चुकी है. 


ग्रीस के साथ दोस्ती बढ़ा रहा है भारत


दोनों का यह विवाद पूर्वी भूमध्य सागर में मौजूद एजियन द्वीप समूह की वजह से है. यह द्वीप समूह तुर्की की सीमा के नजदीक पड़ते हैं लेकिन वहां पर ग्रीस का नियंत्रण हैं और बड़ी मात्रा में यूनानी नागरिक वहां रहते हैं. तुर्किए का दावा है कि मुख्य भूमि से नजदीक होने की वजह से इस पर उसका हक है. वहीं ग्रीस कहता है कि यह उसका है. ग्रीस को डराने के लिए तुर्किए कई बार उन द्वीप समूहों के पास अपने लड़ाकू जेट और युद्धपोत भेजता रहता है लेकिन बदले में ग्रीस उस पर एयर डिफेंस गन से पलटवार कर देता है. 


रायसीना डॉयलाग्स में चीफ गेस्ट हैं ग्रीक पीएम


भारत अब इसी ग्रीस के साथ अपने संबंधों को तेजी से गहरा कर रहा है. सूत्रों के मुताबिक इसी खास रणनीति के तहत ग्रीस के प्रधानमंत्री किरियाकोस मित्सोटाकिस (Kyriakos Mitsotakis) को बुधवार से दिल्ली में शुरू हुए रायसीना डॉयलाग्स में चीफ गेस्ट के रूप में बुलाया गया है. बुधवार को संबोधन से पहले पीएम मोदी की उनसे खास मुलाकात हुई, जिसमें दोनों देशों ने रक्षा, कारोबार, शिक्षा, तकनीक जैसे अनेक विषयों पर आपसी सहयोग बढ़ाने पर जोर दिया. 


भारत दे सकता है अपनी खतरनाक मिसाइल


माना जा रहा है कि संबंध गहरे होने पर भारत आने वाले दिनों में दुनिया की सबसे तेज चलने मिसाइल ग्रीस को ऑफर कर सकता है. इस मिसाइल को वह फिलीपींस को बेच चुका है और वियतनाम, इंडोनेशिया, मलेशिया के साथ उसकी बात चल रही है. दुनिया में इस मिसाइल का कोई तोड़ नहीं है और अगर यह एक बार लॉन्च हो गई तो दुश्मन का सर्वनाश तय है. 


आर्मेनिया को कर चुका है हथियार डिलीवर


ग्रीस के अलावा भारत, तुर्किए के एक और दुश्मन आर्मेनिया के साथ अपने संबंध पहले ही गहरे कर चुका है. अजरबैजान से निपटने के लिए भारत उसे अपने पिनाका रॉकेट और आर्टिलरी डिलीवर कर चुका है. इस डिलीवरी से आर्मेनिया पर अजरबैजान की सैन्य बढ़त कम हो गई है, जिससे अजरबैजान और उसका आका तुर्किए दोनों हिले हुए हैं. उन्हें लग रहा है कि भारत ने अगर ब्रह्मोस भी आर्मेनिया को दे दी तो उनका क्या होगा. यह डर उन्हें अंदर ही अंदर खाए जा रहा है. 


अपने किए का अंजाम भुगत रहा तुर्किए


अब आपको समझना पड़ेगा कि शांतिपसंद रहा भारत आखिरकार तुर्किए के पीछे क्यों पड़ गया है तो इसकी वजह इसकी खुद की करतूते हैं. भारत और तुर्किए के बीच सैकड़ों किमी की दूरी है. दोनों के बीच कोई सीमा या अन्य विवाद भी नहीं है. इसके बावजूद इस्लामिक दुनिया का नंबरदार बनने और अपने चेले पाकिस्तान के कहने पर वह वैश्विक मंचों पर कश्मीर का मुद्दा उठाने से नहीं चूक रहा. यही नहीं, भारत से मुकाबला करने के लिए वह पाकिस्तान को आधुनिक हथियारों से भी लैस कर रहा है. वह उसे अपना आधुनिक Bayraktar Akinci HALE जैसा घातक ड्रोन भी दे चुका है. 


क्या एर्दोगन अपने गलतियों से लेंगे सबक?


भारत ने कूटनीतिक तरीके से तुर्किए को इन मुद्दों पर अपना विरोध जताया लेकिन सत्ता के मद में चूर एर्दोगन ने भारत की आपत्तियों को कभी गंभीरता से लेने पर विचार नहीं किया. ऐसे में पीएम मोदी के नेतृत्व में भारत ने दूसरे तरीके से तुर्किए को ऐसी मार लगाना शुरू किया, जिसका दर्द तो वह अनुभव कर रहा है लेकिन किसी से कुछ कह भी नहीं पा रहा है. एर्दोगन को यह अच्छी तरह समझ आ रहा है कि भारत से पंगा लेकर तुर्किए बुरी तरह फंस गया है. दूसरों के मामलों में अड़ंगा लगाने के चक्कर में अब खुद उसकी सुरक्षा पर खतरा बढ़ने लगा है. ऐसे में देखने वाली बात ये होगी कि पुरानी गलतियों से सबक लेते हुए एर्दोगन भारत के आगे दोस्ती का हाथ बढ़ाने की पहल करते हैं या फिर और झटके सहने के लिए तैयार रहते हैं.