India-Italy Economic Partnership: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) दुबई की COP28 समिट में गए थे. वहां क्लाइमेट चेंज (Climate Change) को लेकर दुनियाभर के नेता जुटे थे. दुबई में पीएम मोदी की मुलाकात इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी (Giorgia Meloni) से भी हुई. मेलोनी और पीएम मोदी दोनों ने मुलाकात की फोटो सोशल मीडिया पर शेयर की. जिसकी चर्चा खूब हो रही है. लेकिन चर्चा की वजह सिर्फ दोनों की फोटो नहीं, बल्कि इटली और भारत के बीच बढ़ता सहयोग है. बिजनेस की बात करें या कूटनीतिक संबंधों की, दोनों में भारत-इटली साथ में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं.


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ऐतिहासिक ऊंचाई पर इकोनॉमिक पार्टनरशिप


बता दें कि भारत और इटली के इकोनॉमिक पार्टनरशिप इन दिनों ऑल टाइम हाई है. साल 2021-22 के दौरान भारत-इटली ट्रेड बढ़कर 13.2 बिलियन डॉलर यानी 1 लाख करोड़ तक पहुंच गया है. और अब भारत और इटली दुनिया को बचाने के लिए क्लाइमेट चेंज के खिलाफ जंग लड़ेंगे. COP28 समिट में इसकी रणनीति तैयार हो चुकी है.


इटली के साथ सस्टेनेबल फ्यूचर पर भरोसा


इटली की पीएम जॉर्जिया मेलोनी से मुलाकात के बाद पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट किया, 'COP28 शिखर सम्मेलन में इटली के प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी के साथ मुलाकात की. मुझे समृद्ध और सस्टेनेबल फ्यूचर के लिए भारत और इटली के जॉइंट कोशिशों पर भरोसा है.'


कार्बन उत्सर्जन पर भारत का संकल्प


इसके अलावा पीएम मोदी ने क्लाइमेट चेंज से निपटने में ग्लोबल साउथ देशों के बीच कॉपरेशन के महत्व पर भी बात की. कॉप-28 में पीएम मोदी ने जलवायु परिवर्तन पर चिंता जताई और वैश्विक स्तर पर मिलकर काम करने पर जोर दिया. इसके साथ ही पीएम मोदी ने 2030 तक भारत में कार्बन उत्सर्जन में 45 फीसदी की कमी लाने के संकल्प को दोहराया. इसके अलावा पीएम मोदी ने COP33 की मेजबानी भारत को सौंपने का प्रस्ताव भी रखा.


क्लाइमेट चेंज पर भारत का विजन


भारत की ओर से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्मेलन में हिस्सा लिया. पीएम मोदी ने इस दौरान कई अहम और गंभीर विषयों पर अपनी बात रखी. पीएम मोदी ने कहा कि जिस तरह हम अपने हेल्थ कार्ड के बारे में सोचते हैं, उसी तरह हमको पर्यावरण के बारे में भी सोचना चाहिए. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विकसित देशों पर भी निशाना साधा. उन्होंने कहा कि चंद देशों की करतूतों की वजह से पूरी दुनिया को आज जलवायु परिवर्तन की कीमत चुकानी पड़ रही है. इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कई अहम मुद्दों को भी उठाया जिनमें खासतौर से 2030 तक कार्बन उत्सर्जन 45 फीसदी तक घटाना.


COP-28 सम्मेलन का एजेंडा क्या है?


दरअसल, COP-28 का मकसद है कि जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए सभी देशों की आम सहमति बनाने की कोशिश की जा रही है. इसके अलावा 2015 में हुए पेरिस समझौते को लागू करने पर भी जोर दिया जा रहा है. इसके साथ-साथ सबसे अहम मकसद है कि ग्लोबल वॉर्मिंग को कम करने के लिए कार्बन उत्सर्जन पर लगाम लगाना समिट का सबसे अहम मकसद माना जा रहा है. वहीं, 2030 से पहले ऊर्जा परिवर्तन में तेजी लाना और कोयला, तेल और गैस के उत्पादन को कम करना इस समिट का मुख्य एजेंडा है.