Iran-Israel War: फतेह-110 जैसी खतरनाक मिसाइलें फिर क्यों इजरायल पर किया हल्का हमला, आखिर ईरान के क्या हैं इरादे; INSIDE STORY
Israel-Iran Conflict: इजराइल और ईरान के बीच 1979 की इस्लामी क्रांति से दुश्मनी चली आ रही है. बावजूद इसके कभी भी ईरान ने इजराइल पर सीधा सैन्य हमला नहीं किया था. लेकिन इस बार ईरान ने हमला बोल अपनी इच्छा जता दी है कि उसे कमजोर ना समझा जाए.
Middle East Politics: ईरान-इजरायल के बीच अचानक जंग छिड़ने से मिडिल ईस्ट में तनाव चरम पर पहुंच गया है. शनिवार देर रात इजरायल पर ईरान ने ताबड़तोड़ 330 मिसाइलें और ड्रोन हमले किए. हालांकि इजरायल ने दावा किया कि उसने 99 प्रतिशत हमलों को नाकाम कर दिया है. कुछ मिसाइलें इजरायल में गिरी हैं. मुमकिन है कि आने वाले वक्त में जंग और भी तेज हो सकती है. ईरान की सेना के जॉइंट चीफ ऑफ स्टाफ जनरल मोहम्मद बाघेरी ने कहा कि अगर इजरायल हमला करेगा तो अंजाम भुगतेगा. हमारा अगला ऑपरेशन बहुत बड़ा होगा. लेकिन फिलहाल ये ऑपरेशन खत्म हो चुका है और आगे हमले का कोई इरादा नहीं है. जबकि इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि हम नुकसान पहुंचाने वालों को छोड़ेंगे नहीं बल्कि उनको और नुकसान पहुंचाएंगे. अब सवाल ये है कि क्या ईरान की सेना इजरायल को टक्कर दे पाएगी. लेकिन पहले समझते हैं कि ईरान के इरादे क्या हैं?
इजरायल को डर दिखाना
इजराइल और ईरान के बीच 1979 की इस्लामी क्रांति से दुश्मनी चली आ रही है. बावजूद इसके कभी भी ईरान ने इजराइल पर सीधा सैन्य हमला नहीं किया था. लेकिन इस बार ईरान ने हमला बोल अपनी इच्छा जता दी है कि उसे कमजोर ना समझा जाए.
इजरायल पर हमला सिर्फ चेतावनी
लगता है ईरान इस लड़ाई को लम्बा खींचने के मूड में नहीं है. वो केवल ये चाहता है कि इजरायल को चेतावनी दी जा सके. इसलिए उसने ड्रोन हमले के बाद फौरन हमले की बात को सार्वजनिक कर दिया. यानी इजरायल पर हमला केवल चेतावनी भर है.
बैलिस्टिक मिसाइल से हमले का मतलब
सवाल ये भी है कि क्या ईरान इजरायल के सैन्य ठिकानों को ही तबाह करने के इरादे से हमला कर रहा था. आपको बता दें कि ईरान ने ड्रोन अटैक किया है, जो इजरायली डिफेंस सिस्टम के आगे ठहर नहीं सकती हैं.
ईरान का हल्का हमला !
ईरान के पास फतेह-110 जैसी खतरनाक मिसाइलें हैं, लेकिन इस हमले में उसने इनका इस्तेमाल नहीं किया है. माना जा रहा है कि अपने लोगों को खुश करने के लिए ईरान ने इस तरह का हमला रात के अंधेरे में किया है.
इजरायल को उकसाना
इजरायल में सैन्य अधिकारियों के साथ नेतन्याहू की अहम बैठक चल रही है. मतलब साफ है कि इजरायल अपने चिर-परिचित अंदाज में ईरान को करारा जवाब देने की कोशिश में जुटा है. हालांकि अमेरिका जैसे देश ने उसे जवाबी कार्रवाई ना करने की सलाह दी. तो क्या ईरान ने इजरायल को अपनी ताकत का एहसास कराने की कोशिश की है.
क्या ईरान की सेना पहले हमले के बाद दे पाएगी जवाब?
ईरान की सबसे बड़ी ताकत है उसकी मिसाइलें और ड्रोन. मिडिल ईस्ट में कुछ ही देशों की सेना लंबी दूरी की मिसाइलें रखती है और इजरायल उनमें से एक है.
अमेरिका का अनुमान है कि ईरान के पास लंबी दूरी तक मार करने वाली करीब 3 हजार मिसाइलें हैं. ईरान ने खुद बताया है कि उसकी मिसाइलें 4 से 5 हजार किलोमीटर दूरी तक हमला कर सकती हैं.
चूंकि इजरायल और ईरान के बीच सिर्फ एक हजार किलोमीटर की दूरी है इसलिए इन मिसाइलों से ईरान बदला ले सकता है.
नई खबर ये भी है कि ईरान के पास कम से कम 3 परमाणु बम बनाने की क्षमता है, और वो बहुत जल्द इसे तैयार कर सकता है.
इजरायल का ज्यादा है रक्षा बजट लेकिन सेना छोटी
सैन्य ताकत में जब भी दो देशों का मुकाबला किया जाता है तो उनकी सैन्य शक्ति की तुलना होती है.
आंकड़ों में देखा जाता है कि किस देश के पास अधिक सैनिक और फाइटर जेट्स हैं.
डिफेंस बजट की बात करें तो इजरायल का रक्षा बजट 24 अरब डॉलर जबकि ईरान इससे कहीं पीछे लगभग 10 अरब डॉलर है.
इजरायल के पास करीब 6 लाख 70 हजार सैनिक हैं जबकि ईरान के पास इससे लगभग दोगुना 11 लाख 80 हजार की सेना है.
लड़ाकू विमानों की बात करें तो इजरायल के पास 241 और ईरान के पास 186 हैं.
हालांकि इजरायल के पास पांचवीं पीढ़ी के F-35 लड़ाकू विमान हैं जो राडार को धोखा दे सकते हैं. ये किसी देश के अंदर लंबी दूरी तक दाखिल होकर हमला करके बिना बताए वापस भी आ सकते हैं. जबकि ईरान के पास कोई भी एडवांस फाइटर जेट होने की पुख्ता खबर नहीं है.
ईरान के पास ज्यादा हैं टैंक
हालांकि ईरान के शहीद ड्रोन को रूस-यूक्रेन जंग में इस्तेमाल किया गया है. ये ड्रोन किसी टारगेट पर हमला करके उसे खत्म कर देता है. और इसे ईरान के घातक हथियारों में एक माना जा रहा है.
अगर युद्ध हुआ तो ये ड्रोन इजरायल पर हमला कर सकते हैं. हालांकि ड्रोन के साथ ईरान की जमीनी ताकत भी काफी मजबूत है. टैंक के मामले में इजरायल पीछे है इसके पास सिर्फ 1370 टैंक हैं जबकि ईरान की सेना के पास 1996 टैंक मौजूद हैं.
बख्तरबंद गाड़ियों के मामले में भी इजरायल के पास सिर्फ 43 हजार जबकि ईरान के पास 65 हजार से ज्यादा हैं.
पनडुब्बियों के मामले में भी इजरायल पीछे है, इसके पास सिर्फ 5 सबमरीन हैं जबकि ईरान की सेना में 19 पनडुब्बियां मौजूद हैं.
इजरायल के पास अमेरिका का साथ
हालांकि हथियारों की संख्या महत्वपूर्ण होती है, लेकिन सैन्य शक्ति में वही देश आगे होता है जिसके पास नई तकनीक मौजूद होती है और उसपर लगाने के लिए भरपूर बजट भी होता है.
इजरायल को इस मामले में अमेरिका का साथ मिलता है, इसलिए इजरायल की सेना को दुनिया के कई ताकतवर देशों के बराबर माना जाता है.
एक और दावा ये भी है कि गाजा युद्ध की वजह से इजरायल की सेना ने अपने बारूदी भंडार का बड़ा हिस्सा हमास के आतंकियों पर बरसा दिया है.
हालांकि अमेरिका ने खुल्लमखुल्ला इजरायल के साथ है..इसलिए ईरान के खिलाफ इजरायल को हथियारों की कमी होने की आशंका बहुत कम है.