Israel Hamas Latest News:  आतंकी संगठन हमास के खिलाफ इजरायल का अभियान जारी है. हमास के पूरी तरह से खात्मे का ऐलान कर पीएम बेंजामिन नेतन्याहू अपने इरादे जता दिए हैं. लेकिन सवाल यह है कि यह लड़ाई सिर्फ हमास के खात्मे तक है या मकसद कुछ और है. अगर आप इजरायल-फिलिस्तीन, मिस्र, जॉर्डन के भौगोलिक इलाके को देखें तो आप को स्वेज कैनाल भी नजर आता है. इस कैनाल के बनने के बाद यूरोप और एशिया के बीच की दूरी कम हो गई और व्यापार को जबरदस्त उछाल मिली. इन सबके बीच आप अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के बयान पर गौर करें तो उन्होंने कहा था कि इजरायल हमास जंग के पीछे कहीं न कहीं भारत भी जिम्मेदार है. दरअसल वो एशिया से लेकर पश्चिमी देशों तक बनने वाले आर्थिक गलियारे का जिक्र कर रहे थे. अब यहीं सवाल यह है कि उससे प्रत्यक्ष या परोक्ष तौर पर हमास-इजरायल जंग से क्या लेना देना. दरअसल अब इस तरह के कयास लगाए जा रहे हैं कि इजरायल नेगेव रेगिस्तान के जरिए बेन गुरियन कैनाल को जमीन पर उतारना चाहता है. अब यह बेन गुरियन कैनाल प्रोजेक्ट क्या है, यह स्वेज कैनाल का विकल्प कैसे बन सकता है और इसका हमास से क्या लेना देना है. उसे समझने की कोशिश करेंगे.


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गुरियन बनाम स्वेज कैनाल
जैसा कि हम सब जानते हैं कि स्वेज कैनाल, लाल सागर और भूमध्य सागर को जोड़ता है. इस कैनाल के बन जाने के बाद दक्षिण एशिया, दक्षिण पूर्व एशिया और यूरोप के बीच होने वाले व्यापार में तेजी आई. उदाहरण के लिए पहले मुंबई से जो शिप यूरोप के लिए जाते थे उन्हें अफ्रीका का चक्कर लगाना होता था. करीब 19 800 किमी की दूरी तय करनी पड़ती थी. लेकिन स्वेज कैनाल के बाद यह दूरी घट कर 11600 किमी हो गई. लेकिन सवाल यह है कि इजरायल क्यों अलग कैनाल बनाना चाहता है. दरअसल स्वेज कैनाल पर मिस्र का नियंत्रण है और उसे बड़ी मात्रा में राजस्व हासिल होता है. इजरायल का मानना है कि अगर स्वेज कैनाल की जगह वो बेन गुरियन कैनाल (1960 के दशक में इसकी कल्पना की गई) को जमीन पर उतारने में कामयाब होता है तो ना सिर्फ स्वेज कैनाल पर दूसरे देशों की निर्भरता कम होगी बल्कि वो भी आर्थिक महाशक्ति के तौर पर उभरेगा. यह इजरायल का आर्थिक मकसद है, लेकिन सवाल अब भी मौजूं है कि हमास के खात्मे से इसका क्या लेना देना. पहले स्वेज कैनाल और प्रस्तावित गुरियन कैनाल पर नजर


क्या है बेन गुरियन कैनाल प्रोजेक्ट


1960 के दशक में इसकी कल्पना की गई


नेगेवा डेजर्ट के रास्ते लाल सागर-भूमध्य सागर को जोड़ने का सपना


नेगेवा डेजर्ट का ज्यादा हिस्सा फिलिस्तीन के कब्जे में


स्वेज कैनाल की खासियत


  • 195 किमी लंबाई, 205 मीटर चौड़ाी और 24 मीटर गहराई

  • दुनिया का सबसे बिजी कैनाल रूट

  • 2022-23 में करीब 26 हजार शिप इस कैनाल से गुजरे

  • दुनिया की 13 फीसद शिपिंग इस कैनाल से 

  • 1869 में इस कैनाल को खोला गया था.

  • मिस्र के कंट्रोल में है यह कैनाल


इस वजह से हमास के खिलाफ आक्रामक रुख


लाल सागर के पूर्वी हिस्से को गल्फ ऑफ अकाबा के नाम से जाना जाता है. और यह इजरायल के दक्षिणी और भूमध्य सागर के पूर्वी हिस्से में जॉर्डन के दक्षिण पश्चिम इलाके से मिलता है. इनके बीच नेगेवा रेगिस्तान है जो फिलिस्तीन के कब्जे में है. जाहिर सी बात है कि इस रेगिस्तान को काटकर ही स्वेज कैनाल का विकल्प बनाया जा सकता है. अब इस परियोजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए यह जरूरी है कि फिलिस्तीन में एक ऐसी व्यवस्था हो जो इजरायल की राह में रोड़ा ना बने. अब चूंकि हमास का नजरिया इजरायल के लिए सही नहीं है, ऐसी सूरत में इजरायल के लिए जरूरू है कि वो हमास को खत्म कर दे.


क्या इजरायल को होगा फायदा


यहां एक सवाल यह भी है कि अगर बेन गुरियन कैनाल प्रोजेक्ट को अंजाम तक पहुंचाने में कामयाबी मिली तो यह सौदा कितना फायदेमंद होगा.इस सवाल पर जानकारों की राय अलग है. कुछ जानकार कहते हैं कि यह प्रोजेक्ट काफी खर्चीला है क्योंकि नेगेव डेजर्ट और दूसरी भौगोलिक परिस्तियां अनुकूल नहीं है. दूसरी बात यह कि इसकी वजह से दूरी पर कोई खास फर्क नहीं आने वाला है, स्वेज से तय की जाने वाली दूरी कम होगी. ऐसे में दूसके देश पुराने रूट के जरिए ही व्यापार करना पसंद करेंगे.