Robert Vadra Cases: काले धन से जुड़े प्रवर्तन निदेशालय ( ED) के एक चार्जशीट में जिक्र होने के बाद गांधी परिवार के दामाद कारोबारी रॉबर्ट वाड्रा सुर्खियों में हैं. ईडी की यह चार्जशीट आर्म्स डीलर संजय भंडारी के काला धन ( Black Money ) मामले से जुड़ी जांच के दौरान रॉबर्ट वाड्रा के करीबी सीसी थम्पी और सुमित चड्ढा के खिलाफ दाखिल की गई है. फरार होकर इन दिनों यूके में छिपे मुख्य आरोपी संजय भंडारी को प्रत्यर्पित कर भारत लाने की कोशिश की जा रही है. एजेंसी की चार्जशीट के मुतबिक संजय भंडारी का गुर्गा सीसी थम्पी NRI है. थम्पी का ज्यादातर बिजनेस दुबई में है. वहीं, सुमित चड्ढा ब्रिटिश नागरिक है. थम्पी और चड्ढ़ा को संजय भंडारी और रॉबर्ट वाड्रा के बीच की कड़ी बताया जा रहा है. 


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रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ और कितने केस का है यूके प्रॉपर्टी मामले से सीधा कनेक्शन


ईडी की इस चार्जशीट के बाद लंदन स्थित एक घर के मालिकाना हक को लेकर संगीन आरोपों से घिरे रॉबर्ट वाड्रा की मुश्किलें आने वाले दिनों में बढ़ सकती है. आइए, जानते हैं कि कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद और कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ यूके में प्रॉपर्टी को लेकर चल रहा यह मनी लॉन्ड्रिंग का केस क्या है? इस केस के साथ और किन-किन मामलों का कनेक्शन जुड़ रहा है. साथ ही रॉबर्ट वाड्र के खिलाफ और कितने मामले की जांच चल रही है. 


यूके प्रॉपर्टी मनी लॉन्ड्रिंग केस क्या है, जिससे जुड़ी है कई मामलों की जांच


रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ ईडी ने कई प्रॉपर्टी खरीदने के मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज किया है. इनमें लंदन के 12, ब्रायंसटन स्क्वायर में स्थित करीब 17.77 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी के अलावा 37.42 करोड़ रुपए और 46.77 करोड़ रुपए की दो अन्य प्रॉपर्टी भी शामिल हैं. आरोप है कि एक इंटरनेशनल आर्म्स डीलर संजय भंडारी की मदद से ये सभी प्रॉप्रटी रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी को दिए गए हैं.


भंडारी ने इस बंगले को करीब 17.77 करोड़ रुपए में खरीदा था और फिर उसकी मरम्मत और सजावट में करीब 61 लाख रुपए खर्च हुए. उसके बाद खरीद दाम पर ही इस प्रॉपर्टी को रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी के नाम कर दिया गया. संजय भंडारी के खिलाफ भी ईडी और आयकर विभाग जांच कर रहा है. लंदन की इन प्रॉपर्टीज को खरीदने में यूपीए सरकार के दौरान हुई एक पेट्रोलियम डील से मिले पैसों का इस्तेमाल किए जाने का आरोप है. ईडी उस डील को लेकर भी अलग से मामले की जांच कर रही है.


बीकानेर लैंड डील मामले में फर्जी कंपनियों की जांच


सितंबर 2015 में ईडी ने बीकानेर लैंड डील को लेकर मनी लॉन्ड्रिंग केस दर्ज किया था. इसमें आरोप लगाया था कि रॉबर्ट वाड्रा की बीकानेर के कोलायत में स्थित स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी कंपनी ने गरीब गांव वालों के लिए रखी सरकारी जमीन का अधिग्रहण किया. रॉबर्ट वाड्रा पर 69.55 हेक्टेयर की इस जमीन को काफी सस्ते में खरीदकर करीब 7 गुना फायदे के साथ 5.15 करोड़ रुपए में Allegenery Finlease कंपनी को बेच देने का आरोप है. ईडी की जांच के दौरान यह कंपनी भी फर्जी पाई गई. इसका कोई बिजनेस और शेयरहोल्डर्स नहीं था.


राजस्थान सरकार ने सरकारी जमीन को गलत तरीके से निजी क्षेत्र को देने के चलते इस सौदे को रद्द कर दिया था. ईडी ने इसके अलावा इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन से भूषण पावर एंड स्टील लिमिटेड से जुड़ी कार्यवाही का ब्यौरा भी मांगा था. क्योंकि भूषण पावर र एंड स्टील लिमिटेड कंपनी ने जमीन अधिग्रहण के लिए Allegenery Finlease को कर्ज दिया था. बीकानेर लैंड डील मामले में आरोपियों में रॉबर्ट वाड्रा का नहीं, बल्कि जमीन खरीदकर बाद में बेचने वाली उनकी कंपनी स्काइलाइट हॉस्पिटेलिटी का नाम है. इसके चलते ईडी की जांच में रॉबर्ट वाड्रा ही मुख्य आरोपी हैं.


क्या है 2009 पेट्रोलियम डील केस


ईडी के अनुसार यूपीए-एक सरकार के दौरान 2009 में हुई पेट्रोलियम डील में रॉबर्ट वाड्रा और उनके साथियों को गलत तरीके से फायदा पहुंचाया गया. तब विपक्ष में रही भाजपा ने भी आरोप लगाए कि यूपीए सरकार के दौरान पेट्रोलियम और डिफेंस डील से रॉबर्ट वाड्रा ने सैकड़ों करोड़ कमाए. इन्हीं काली कमाई से लंदन में प्रॉपर्टी खरीदी गई. ईडी इसी प्रॉपर्टी डील की जांच कर रही है. 


ईडी को शक है कि इन प्रॉपर्टियों की डील में बड़े पैमाने पर कालेधन को सफेद किया गया. पेट्रोलियम डील को लेकर अलग जांच शुरू की गई थी. इन सारे कथित काले धंधे में संजय भंडारी के साथ रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी के कर्मचारी मनोज अरोड़ा ने सारी डील को अंजाम दिया था.


क्या है DLF लैंड डील मामला? 2014 के चुनावों में बीजेपी-AAP ने बनाया था मुद्दा


रॉबर्ट वाड्रा और रियल एस्टेट कंपनी डीएलएफ लैंड डील मामला (Robert Vadra and DLF Land deal) कांग्रेस के लिए साल 2012 के बाद किरकिरी बन गया था. पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में  पेश हरियाणा सरकार की रिपोर्ट से साल 2023 में भी वाड्रा डीएलएफ लैंड डील मामला सुर्खियों में रहा था. हरियाणा भूमि अभिलेख पंजीकरण विभाग के महानिदेशक रहे आईएएस अधिकारी अशोक खेमका ने अक्टूबर 2012 में शिकोहपुर गांव में 3.531 एकड़ के भूखंड के म्यूटेशन जिसे वाड्रा ने डीएलएफ यूनिवर्सल को 58 करोड़ रुपये में बेचा था रद्द कर दिया. 


इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के आदेश पर 11 अक्टूबर 2012 को अशोक खेमका का तबादला कर दिया गया. इस कार्रवाई को लेकर भारतीय जनता पार्टी और आम आदमी पार्टी ने हरियाणा में विधानसभा चुनाव 2014 के दौरान सत्तारूढ़ कांग्रेस पर रॉबर्ट वाड्रा को बचाने और जांच में दखल देने का आरोप लगाया था. इसमें कहा गया था कि वाड्रा और कांग्रेस के बीच एक छिपा हुआ डीएलएफ लैंड डील भ्रष्टाचार और क्रोनी पूंजीवाद की एक बड़ी मिसाल है.