Explainer: महाराष्ट्र में महायुति की जय-जय.. शिंदे सरकार की रणनीति, महिला वोटर्स और हिंदुत्व का असर
Election Strategy: चुनावी अभियान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय भूमिका ने महायुति को निर्णायक बढ़त दिलाई. आरएसएस ने हिंदुत्व का गहरा संदेश फैलाने के लिए सोशल मीडिया और जमीनी नेटवर्क का भरपूर उपयोग किया.
Maharashtra Assembly Elections: महाराष्ट्र में बीजेपी की अगुवाई वाली महायुति ने विधानसभा चुनाव में भारी जीत दर्ज कर राजनीति में अपनी पकड़ मजबूत की है. यह जीत पार्टी के रणनीतिक सुधारों, आरएसएस के सक्रिय अभियान, महिला मतदाताओं के बड़े समर्थन और हिंदुत्व के सूक्ष्म संदेशों के कारण संभव हो सकी. बीजेपी ने 99 सीटें जीतने के साथ 34 पर बढ़त बनाई, जबकि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना ने 47 सीटें हासिल कीं. अजित पवार के नेतृत्व वाली राकांपा ने भी 37 सीटें जीतीं.
लोकसभा चुनाव से सबक और सुधारात्मक कदम
लोकसभा चुनाव में खराब प्रदर्शन के बाद महायुति ने रणनीतिक बदलाव किए. बीजेपी और उसके सहयोगियों ने आरएसएस के साथ मिलकर जमीनी स्तर पर अभियान को नए सिरे से संगठित किया. ‘बंटेंगे तो कटेंगे’ और ‘एक हैं तो सेफ हैं’ जैसे नारों ने हिंदू मतदाताओं को एकजुट करने में अहम भूमिका निभाई. उपमुख्यमंत्री अजित पवार के नेतृत्व में राज्य के बजट में महिला कल्याण योजनाओं को प्राथमिकता दी गई, जिसने जनता के बीच सकारात्मक संदेश दिया.
लाडकी बहिन योजना का प्रभाव
अजित पवार द्वारा शुरू की गई ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ महिला मतदाताओं के लिए आकर्षण का केंद्र रही. यह योजना मध्य प्रदेश की ‘लाड़ली बहना योजना’ की तर्ज पर तैयार की गई थी और महिलाओं को प्रतिमाह 1,500 रुपये की आर्थिक सहायता दी गई. योजना के लोकप्रिय होते ही एमवीए ने इसे चुनौती देने के लिए ‘महालक्ष्मी योजना’ का वादा किया, लेकिन महायुति ने इसका जवाब देते हुए राशि को बढ़ाकर 2,100 रुपये करने का वादा किया.
आरएसएस की सक्रिय भागीदारी
चुनावी अभियान में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की सक्रिय भूमिका ने महायुति को निर्णायक बढ़त दिलाई. चुनावी एक्सपर्ट्स के मुताबिक यह चुनाव बीजेपी और आरएसएस के लिए ‘करो या मरो की लड़ाई’ बन गया था. आरएसएस ने हिंदुत्व का गहरा संदेश फैलाने के लिए सोशल मीडिया और जमीनी नेटवर्क का भरपूर उपयोग किया.
महिला मतदाता और ध्रुवीकरण का प्रभाव
महिला मतदाताओं का योगदान इस चुनाव में अहम साबित हुआ. लाडकी बहिन योजना के लाभार्थियों की संख्या 2.35 करोड़ थी, और 70 लाख अतिरिक्त वोटों में से 43 लाख महिला वोटर थे. महायुति ने जातीय एकीकरण के खिलाफ ध्रुवीकरण का जोखिम उठाया, जिसने लोकसभा चुनावों में एमवीए को फायदा पहुंचाया था.
‘वोट जिहाद’ और हिंदुत्व की राजनीति
बीजेपी नेता देवेंद्र फडणवीस ने ‘वोट जिहाद’ और ‘वोटों का धर्मयुद्ध’ जैसे मुद्दों को प्रचारित कर बीजेपी के वफादार मतदाताओं को एकजुट किया. उन्होंने एमवीए के पक्ष में मुस्लिम वोटों के एकीकरण को चुनौती दी. बीजेपी का यह आक्रामक रुख मतदाताओं के ध्रुवीकरण में सफल रहा.
विपक्ष के लिए अप्रत्याशित नतीजे
कांग्रेस के नेता और राजनीतिक विश्लेषकों ने इन चुनाव परिणामों को अप्रत्याशित बताया. कांग्रेस के महाराष्ट्र प्रभारी रमेश चेन्निथला ने कहा कि यह नतीजे जनता के मूड के विपरीत हैं. वरिष्ठ पत्रकार जतिन देसाई के मुताबिक, कृषि संकट और न्यूनतम समर्थन मूल्य जैसे मुद्दों पर नाराजगी के बावजूद, मतदाताओं ने महायुति के पक्ष में वोट दिया.
भविष्य की राजनीति पर असर
महायुति की जीत ने महाराष्ट्र की राजनीति में नया अध्याय जोड़ा है. बीजेपी, शिवसेना और राकांपा का यह गठबंधन विपक्ष के लिए कड़ी चुनौती पेश करता है. यह चुनाव परिणाम लोकसभा चुनावों से सबक लेने और जमीनी स्तर पर रणनीति को मजबूत करने की आवश्यकता को दर्शाता है. चुनावी विश्लेषकों का मानना है कि महायुति की यह जीत राष्ट्रीय राजनीति पर भी असर डाल सकती है. एजेंसी इनपुट