Loksabha Chunav Maharashtra MNS: पिछले महीने जब अमित शाह से राज ठाकरे की मुलाकात हुई और इसके बाद कोई ऐलान नहीं हुआ तो कई तरह के कयासों का दौर शुरू हुआ. अब जाकर खुद राज ठाकरे ने कह दिया कि वे लोकसभा चुनावों में पीएम मोदी का बिना शर्त खुला समर्थन करेंगे. उन्होंने उस मुलाकात के बारे में भी बताया और अपने कार्यकर्ताओं के सामने अपनी आगे की रणनीति भी बताई. उन्होंने यह भी कहा कि उनकी पार्टी लोकसभा चुनावों में नहीं लड़ेगी, लेकिन उन्होंने यह जरूर कहा कि वे विधानसभा चुनावों की तैयारी कर रहे हैं. अब इस बात को समझा जाना चाहिए कि आखिर राज ठाकरे के इस निर्णय के पीछे उनकी पार्टी को क्या फायदा होने वाला है.


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असल में मंगलवार को शिवाजी पार्क में आयोजित पार्टी की रैली में महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना के सुप्रीमो राज ठाकरे ने कहा कि वे पीएम मोदी की वजह से बीजेपी और उसके गठबंधन को खुला समर्थन दे रहे हैं. उनकी पार्टी लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेगी लेकिन उन्होंने कार्यकर्ताओं से कहा कि वे सभी आगामी महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दें. 


लोकसभा चुनाव में 'खुला समर्थन'
यह बात सही है कि बीजेपी ने शिवसेना शिंदे गुट और एनसीपी अजीत गुट को अपने पाले में करके महाराष्ट्र के राजनीतिक सूत्र को काफी हद तक अपने पाले में कर लिया है. और लोकसभा चुनाव में भी उसे अच्छे प्रदर्शन की उम्मीद है. ऐसे में राज ठाकरे की पार्टी को यही मुफीद लगा कि लोकसभा चुनाव में वे इस गठबधन को टक्कर नहीं दे पाएंगे. उधर अगर वे इंडिया गठबंधन में जाते तो वहां से उन्हें कितनी सीटें लड़ने को मिलतीं इस पर संशय बना रहता. वैसे भी उद्धव ठाकरे से उनकी राजनीतिक बगावत किसी से छिपी नहीं है. ऐसे में उनके सामने बीजेपी को खुला समर्थन देना ही उचित था.


विधानसभा चुनावों पर नजर
यह बात भी सही है कि पिछले कई चुनावों से मनसे का ग्राफ लगातार गिरता जा रहा है. सीट से लेकर वोट प्रतिशत सब घट रहा है. ऐसे में बीजेपी उसके लिए बड़ा सहारा बन सकती है. राज ठाकरे की निगाहें आगामी विधानसभा चुनाव पर ही हैं. वे महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव एनडीए गठबंधन में ही रहकर लड़ेंगे. ऐसे में उन्हें अधिक से अधिक सीटें लड़ने के लिए मिल सकती हैं. बीजेपी को भी फायदा मिलेगा तो एनडीए के साथ आने से एमएनएस को भी फायदा मिलेगा. हालांकि बीजेपी के पास विधानसभा चुनावों में सीट शेयरिंग को लेकर चुनौती जरूर होगी.


मनसे की यात्रा पर भी नजर मार लीजिए..
एक समय में राज ठाकरे को बाल ठाकरे का राजनीतिक उत्तराधिकारी माना जाता था लेकिन उद्धव की वजह से ऐसा नहीं हो पाया और नाराज राज ठाकरे ने 2006 में शिवसेना छोड़कर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना बनाई. 2009 के विधानसभा चुनाव में मनसे को 13 सीटें मिलीं. लेकिन इसके बाद वैसा प्रदर्शन नहीं हुआ. हालत ये हुई कि 2014 में एक सीट और 2019 में खाता भी नहीं खुला. 2019 में वोट प्रतिशत भी 2.25 परसेंट पहुंच गया. अब देखना होगा कि राज ठाकरे को बीजेपी कितना संजीवनी दे पाएगी.