Jharkhand Elections: दिल्ली में इंडिया गठबंधन के बैनर तले दम भरने वाली पार्टियां राज्यों में आते-आते एकला चलो का नारा देने लगती हैं. अब ताजा उदाहरण झारखंड का सामने आ गया है. यहां झारखंड मुक्ति मोर्चा और कांग्रेस के बीच सीट बंटवारा हुआ तो आरजेडी नाराज हो गई. इस समझौते पर निराशा व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय जनता दल ने रविवार को साफ किया है 12 से कम सीट उसे स्वीकार्य नहीं होंगी और अगर अकेले चुनावी मैदान में उतरना पड़ा, तो उस स्थिति में वह उतर जाएगी. 


12-13 सीट से कम स्वीकार्य नहीं


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असल में झारखंड विधानसभा चुनाव के चलते झामुमो और कांग्रेस ने शनिवार को घोषणा की कि दोनों दल राज्य की 81 विधानसभा सीट में से 70 पर चुनाव लड़ेंगे और बाकी सीट पर घटक के अन्य सहयोगी लड़ेंगे. इसी पर अब आरजेडी का बयान सामने आया है. आरजेडी प्रवक्ता मनोज कुमार झा ने कहा कि 12-13 सीट से कम हमें स्वीकार्य नहीं है, क्योंकि आरजेडी की 18-20 सीट पर मजबूत पकड़ है. अगर हमें तीन-चार सीट पर चुनाव लड़ने के लिए कहा जाता है, तो हम कोई त्याग करने के लिए तैयार नहीं हैं.


'एकमात्र उद्देश्य बीजेपी को हराना'


इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि हमारा एकमात्र उद्देश्य बीजेपी को हराना है, हम अलग चुनाव लड़े तो भी ‘इंडिया’ गठबंधन को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे. मनोज झा ने कहा कि यदि पार्टी अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय भी लेती है, तो भी वह 60-62 सीट पर ‘इंडिया’ के उम्मीदवारों को अपना समर्थन देगी. आरजेडी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में सात सीट पर चुनाव लड़ा था और एक सीट पर जीत हासिल की थी. पार्टी के विधायक सत्यानंद भोक्ता हेमंत सोरेन मंत्रिमंडल में मंत्री भी हैं.


मनोज झा ने पिछले चुनाव की दी दुहाई


मनोज झा ने कहा कि घटनाक्रम से उन्हें ‘पीड़ा’ हुई है क्योंकि 2019 के चुनाव के दौरान 7 सीट पर चुनाव लड़ने पर सहमति जताने के लिए किए गए त्याग के बावजूद उनकी पार्टी से विचार-विमर्श नहीं किया गया. उन्होंने कहा कि हमने अपने राष्ट्रीय अध्यक्ष के कहने पर अपने उम्मीदवारों को चुनाव चिह्न वितरित करने के बावजूद कई सीट से अपने उम्मीदवार वापस ले लिए थे. हमने केवल सात सीट पर चुनाव लड़ा और उनमें से पांच पर मामूली अंतर से दूसरे स्थान पर रहे.


इतनी कम सीटें नहीं.. 


मनोज झा ने यह भी दावा किया कि आरजेडी ने इंडिया के गठन में अहम भूमिका निभाई थी और हेमंत सोरेन को झारखंड का मुख्यमंत्री बनाने में भी सूत्रधार की भूमिका में रही. उन्होंने कहा कि हम बीजेपी के स्वाभाविक विरोधी हैं. हमने झुकने के बजाय अपने नेताओं के लिए जेल जाना स्वीकार किया. झारखंड और बिहार के बीच विशेष संबंध हैं और हमें सम्मानजनक हिस्सेदारी की उम्मीद थी. हमने मुख्यमंत्री के साथ सौहार्दपूर्ण बातचीत की, लेकिन इसके बावजूद सीट बंटवारे में एकतरफा फैसला लिया गया, जो न तो हमारे कार्यकर्ताओं और न ही नेताओं को स्वीकार्य है.