South Korea Robot Attack: तरक्की की राह में तकनीक की अपनी भूमिका है. लेकिन यदि इंसानी जिंदगी के लिए तकनीक दुश्मन की भूमिका निभाने लगे तो चिंतित होना स्वाभाविक है. तकनीकी विकास की नायाब मिसाल रोबोट हैं. रोबोट की मदद से बड़े बड़े काम भी किए जा रहे हैं. लेकिन रोबोट अगर इंसानों को निशाना बनाने लगें तो समझिए कि हम सबने खुद के लिए खतरा मोल लिया है. दरअसल यहां हम बात साउथ कोरिया की एक घटना के संबंध में कर रहे हैं. साउथ कोरिया में एक रोबोट ने एक शख्स को डिब्बा समझ उसे मार डाला. रोबोट यह समझने में नाकाम रहा कि वो जिसे वो निशाना बना रहा है वो इंसान है या डिब्बा. इन सबके बीच बड़ा सवाल यह है कि अगर रोबोट किसी इंसान को नुकसान पहुंचा दे क्या उसके खिलाफ किसी तरह की कानूनी कार्रवाई हो सकती है. जानकार कहते हैं कि अब इस तरह की घटनाओं के लिए ना सिर्फ हार्डवेयर बनाने वालों बल्कि सॉफ्टवेयर बनाने वालों को भी कटघरे में खड़ा किया जा.


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रोबोट कब बना पहली बार किलर


जैसा कि हम सब जानते हैं कि ऑर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मशीन लर्निंग के जरिए रोबोट बनाए जाते हैं. जरूरत के मुताबिक प्रोग्रामिंग की जाती है. लेकिन यह देखने में मिला है कि रोबोट कई मौकों पर उलझन में पड़ जाते हैं और फैसला नहीं कर पाते कि उन्हें क्या करना है.1979 में पहली बार रोबोट ने रॉबर्ट निकोलस विलियम्स नाम के शख्स को निशाना बनाया. विलियम्स के सिर पर रोबोट ने हमला किया था. खास बात यह थी कि उनकी मौत तत्काल हो गई थी. जब यह मामला तूल पकड़ने लगा तो बाद में बाद में विलियम्स के परिवार को 10 मिलियन डॉलर का हर्जाना दिया गया. जूरी इस बात से सहमत थी कि सुरक्षा उपायों की कमी के कारण रोबोट ने उसके सिर पर हमला किया. जूरी ने यह माना कि कंपनी ने लापरवाही ना की होती तो विलियम्स की जान बच सकती थी. इसके अलावा यहां पर कुछ खास घटनाओं को भी जानना जरूरी है. 


  • जर्मनी में फोक्सवैगन की फैक्ट्री में एक रोबोट ने कर्मचारी को मार डाला था.

  • 2023 में ही मार्च के महीने में ऑटोमोबाइल प्लांट में काम करने वाला शख्स भी इसी तरह रोबोट के हमले का शिकार हो गया था.

  • जुलाई 2022 में रूस में रोबोट को जब चाल समझ में नहीं आई तो उसने बच्चे की उंगली ही तोड़ डाली.


रोबोट के लिए नियम


  • रोबोट से जुड़ा सबसे बड़ा नियम यह है कि वो किसी इंसान को क्षति नहीं पहुंचाएगा.

  • रोबोट अपने मालिक के आदेश का पालन करेगा.

  • रोबोट अपने अस्तित्व की तब तक रक्षा करेगा जब तक वो इंसान को क्षति या अपने मालिक के आदेश के खिलाफ ना जाता हो.


किसी हादसे के संबंध में नियम नहीं
अब सवाल यह है कि मुकदमा क्या रोबोट पर चलेगा. या रोबोट को डिजाइन करने वाले शख्स पर चलेगा. दरअसल रोबोट के खतरे से निपटने के लिए दुनिया भर में कानून की मांग की जा रही है. लेकिन इस दिशा में कहीं कोई कानूनी व्यवस्था नहीं है. जानकार कहते हैं कि दरअसल यह बेहद जटिल विषय है. वो इस पूरे प्रकरण को कुछ इस तरह समझाते हैं. वो कार का उदाहरण दे दो तरह की स्थितियों का जिक्र करते हैं. जैसे कि अगर कोई हादसा कार में तकनीकी खामी की वजह से हो तो कार बनाने वाली कंपनी के खिलाफ मुकदमा दर्ज होता है. अगर कार ड्राइवर की वजह से हादसा हो तो उस ड्राइवर को जिम्मेदार ठहराया जाता है. इन सबके बीच दुनिया के 30 से अधिक देशों ने इस बात पर जोर दिया है कि किलर रोबोट के खिलाफ नियम कानून बनने चाहिए.  एमनेस्टी इंटरनेशल  की अगुवाई में 'स्टॉप किलर रोबोट' के नाम से मुहिम चलाया जा  रहा है. इसमें दुनिया के करीब 160 संगठन शामिल हैं.अमेरिका के कैलिफोर्निया और नेवादा में रोबोट कार के संबंध में नियम हैं लेकिन उसमें प्रावधान यह है कि ड्राइवर वाली सीट पर किसी ना किसी शख्स का होना जरूरी है.