Sri Lanka Presidential Election: श्रीलंका में शनिवार को राष्ट्रपति चुनाव के लिए मतदान हो रहा है. साल  2022 के आर्थिक संकट के बाद श्रीलंका में यह पहला चुनाव है. देश भर में 13,400 से अधिक मतदान केंद्रों पर एक करोड़ 70 लाख लोग अपने मताधिकारों का इस्तेमाल करेंगे. मतदान सुबह सात बजे प्रारंभ हुआ जो शाम पांच बजे तक जारी रहेगा. चुनाव परिणाम रविवार तक घोषित किए जाने की संभावना है. विश्लेषकों का मानना ​​है कि 1982 के बाद से श्रीलंका के राष्ट्रपति चुनावों के इतिहास में पहली बार त्रिकोणीय मुकाबला हो रहा है. सबकी नजरें इस चुनाव और राजपक्षे परिवार भी है. तो क्या इस चुनाव में राजपक्षे परिवार अपनी सत्ता बचा पाएगा या किसी और के सिर पर होगा ताज. आइए जानते हैं.


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सबसे पहले जानें कौन-कौन हैं उम्मीदवार?
मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे (75) देश को आर्थिक संकट से बाहर निकालने के अपने प्रयासों की सफलता के आधार पर एक निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ रहे हैं. त्रिकोणीय चुनावी लड़ाई में विक्रमसिंघे को नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) के 56 वर्षीय अनुरा कुमारा दिसानायके और समागी जन बालावेगया (एसजेबी) के साजिथ प्रेमदासा (57) से कड़ी टक्कर मिल रही है. 


अब सबसे बड़ा सवाल राजपक्षे परिवार का क्या?
श्रीलंका पोडुजाना पेरामुना (एसएलपीपी) ने राष्टपति चुनाव के लिए राजपक्षे राजवंश के 38 वर्षीय नमल राजपक्षे को खड़ा किया है. नमल, महिंदा राजपक्षे के बेटे हैं. महिंदा 2005 से लेकर 2015 तक श्रीलंका के राष्ट्रपति रहे. एसएलपीपी ने नमल के नाम की घोषणा ऐसे समय में की जब राजपक्षे की पार्टी के 100 से ज्यादा सांसद रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति पद की निर्दलीय उम्मीदवारी घोषित करने के बाद उनके साथ जा चुके थे.


कौन बनेगा श्रीलंका का राष्ट्रपति? नमल जीत जाएंगे चुनाव?
मैदान में कुल 38 उम्मीदवार हैं. जबकि उम्मीदवारों की संख्या शुरू में 39 थी, एक स्वतंत्र उम्मीदवार इदरीस मोहम्मद इलियास की अगस्त में दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई. हालिया सर्वे के मुताबिक नेशनल पीपुल्स पावर (NPP) के राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार अनुरा कुमारा दिसानायके रेस में सबसे आगे हैं. वे चीन समर्थक माने जाते हैं.  अनुरा के अलावा रेस में 3 और बड़े उम्मीदवार हैं. सर्वे में विपक्षी नेता सजित प्रेमदासा दूसरे नंबर पर हैं. मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे उनसे भी पीछे तीसरे नंबर पर चल रहे हैं. इस रेस में पूर्व राष्ट्रपति महिंदा राजपक्षे के बेटे नमल राजपक्षे भी हैं. सर्वे में उनके जीतने की संभावना भी कम बताई गई है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक श्रीलंका में 2 साल पहले का आर्थिक संकट लोगों के जेहन में अभी भी है. यही वजह है कि पिछले दो दशक से देश का सबसे बड़ा परिवार ‘राजपक्षे’ रेस से बाहर होता दिख रहा है.


किस आधार पर होगा चुनाव का फैसला?
राष्ट्रपति पद के लिए कुल पांच प्रमुख उम्मीदवारों के बीच यह चुनाव है. मौजूदा राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे, विपक्षी नेता सजीथ प्रेमदासा, मार्क्सवादी विचारधारा वाले राजनीतिज्ञ अनुरा कुमारा दिसानायके, राजपक्षे परिवार के वंशज नमल राजपक्षे और नुवान बोपेज से कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है. इस बार ये भी माना जा रहा है कि जो चुनाव होगा वो धर्म या कौन किस मूल का है इस आधार पर नहीं होगा, बल्कि आर्थिक मुद्दों पर ही केंद्रित होगा. ऐसा होना स्वभाविक भी है. जिस तरह 2019 में आर्थिक मोर्चे पर देश बिखर गया था. 


भारत की भी नजर श्रीलंका के चुनाव पर
श्रीलंका में 21 सितंबर को हो रहे राष्ट्रपति चुनाव पर भारत की खास नजर है. श्रीलंका में राष्ट्रपति चुनाव ऐसे समय में हो रहा है, जब भारत का करीबी पड़ोसी देश उथल-पुथल के दौर से गुजर रहा है. बांग्लादेश में शेख हसीना को प्रधानमंत्री पद से हटाए जाने से भारत हैरान है. मालदीव ने एक नए राष्ट्रपति का चुनाव किया, जिन्हें चीन समर्थक और भारत विरोधी माना जाता है. नेपाल में नेपाली कांग्रेस और नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी (CPN-UML) की नई गठबंधन सरकार सत्ता में आई है. इन सभी बातों को देखते हुए, नई दिल्ली श्रीलंका में नेतृत्व परिवर्तन होने पर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहेगी. भारत-श्रीलंका के रिश्ते पारंपरिक रूप से सौहार्दपूर्ण रहे हैं और सांस्कृतिक, धार्मिक और भाषाई संपर्क की विरासत रही है. व्यापार और निवेश बढ़ा है और विकास, शिक्षा, संस्कृति और रक्षा के क्षेत्रों में सहयोग बढ़ा है.


भारत ने हमेशा किया मदद
श्रीलंका भारत के प्रमुख विकास भागीदारों में से एक है और यह साझेदारी पिछले कई वर्षों से दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण स्तंभ रही है. अकेले अनुदान की राशि लगभग 570 मिलियन डॉलर है, भारत सरकार की कुल प्रतिबद्धता 3.5 बिलियन डॉलर से अधिक है. श्रीलंका के साथ भारत की विकास साझेदारी की मांग-संचालित और जन-केंद्रित प्रकृति इस रिश्ते की आधारशिला रही है. अनुदान परियोजनाएं शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, आवास, औद्योगिक विकास जैसे क्षेत्रों में फैली हुई हैं. जब 2022 में श्रीलंका अभूतपूर्व आर्थिक संकट का सामना कर रहा था, तो भारत ने लगभग 4 बिलियन डॉलर की सहायता प्रदान की. भारत ने श्रीलंका को अपने ऋण के पुनर्गठन में मदद करने के लिए अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) और लेनदारों के साथ सहयोग करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई. अब देखना होगा कि नया राष्ट्रपति कौन बनता है, और वह भारत से किस स्तर पर रिश्ता रखता है.