Asaduddin Owaisi Pallawi Patel: लोकसभा चुनावों के बाद अब नजरें उपचुनावों पर हैं. इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश में भी विधानसभा उपचुनावों को लेकर हलचल मची हुई है. इसी कड़ी में प्रयागराज में ओवैसी और पल्लवी पटेल के गठबंधन वाले मोर्चे की बैठक हुई है. इस दौरान ऐलान हुआ कि उत्तर प्रदेश में विधानसभा की सभी 10 सीटों पर वे उपचुनाव लड़ेंगे. असल में ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन सुप्रीमो ओवैसी और अपना दल कमेरावादी की मुखिया पल्लवी पटेल का पीडीएम मोर्चा यूपी की सभी सीटों पर चुनाव लड़ेगा. इसके बाद राजनीतिक विश्लेषकों ने नफा नुकसान पर चर्चा शुरू कर दी है.


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असल में लोकसभा चुनाव 2024 में भी पीडीएम मोर्चे ने मिलकर चुनाव लड़ा था हालांकि सफलता नहीं मिली थी. ऐसे में इन विधानसभा चुनावों में ओवैसी को उम्मीद बनी हुई है. लेकिन ओवैसी के इस मूव से सपा और कांग्रेस को जरूर नुकसान पहुंच सकती है. ये समझना जरूरी है कि कैसे ये गठबंधन सपा और कांग्रेस के लिए वोटकटवा साबित हो सकता है. कई सीटों पर तो नुकसान भी पहुंचा सकता है. क्या इसमें बीजेपी का भी नुकसान है? इसे भी समझा जाना चाहिए.


मुस्लिम वोटर्स पर नजर, अखिलेश पर लगातार हमलवार 


पिछले कई चुनावों से ओवैसी की नजर यूपी में मुस्लिम वोटर्स पर रही है. ये बात भी है कि यूपी में मुस्लिम वोट बैंक का एक बहुत बड़ा हिस्सा सपा को जाता है। इसलिए, वह बार-बार अखिलेश पर हमलावर रहते हैं. उधर पल्लवी पटेल ने दलित और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटर्स को रिझाने का जिम्मा उठाया हुआ है. अब देखना होगा कि ये किसको फायदा नुकसान पहुंचा जा सकता है.


पीडीए का मुकाबला पीडीएम से


लोकसभा चुनाव से पहले ही अखिलेश यादव पीडीए यानि कि पिछड़ा-दलित और अल्पसंख्यक की बात करते आए हैं। इसी को काट बनाकर पल्लवी और ओवैसी  ने पीडीएम मोर्चा खड़ा कर दिया है. कुछ ही दिन पहले दोनों ने यह भी साफ किया कि यहां 'M' का मतलब मुस्लिम ही है, न कि A की तरह अगड़ा अथवा अल्पसंख्यक है. 


बीजेपी की भी पैनी नजर 


क्या ओवैसी बीजेपी को भी नुकसान पहुंचाएंगे.. राजनीतिक एक्सपर्ट्स इस पर ज्यादा जोर नहीं डाल रहे हैं क्योंकि अपने कोर वोटर्स से बीजेपी वाकिफ है. एक तरफ अखिलेश यादव के लिए यह साबित करने का मौका है कि यूपी में अब हवा बदल चुकी है तो वहीं बीजेपी योगी मॉडल के भरोसे है. हालांकि संगठन ने तैयारी शुरू कर दी है और पैनी नजर बनी हुई है. 


समाजवादी पार्टी की क्या है रणनीति


उधर लोकसभा चुनाव में मिली जीत से उत्साहित समाजवादी पार्टी विधानसभा उपचुनाव में भी पीडीए फॉर्मूला लागू कर उम्मीदवार उतारेगी. पार्टी ने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. सपा इस खास रणनीति से यूपी में भविष्य की राजनीति में खुद को मजबूत करने की फिराक में है. सपा के सूत्रों के मुताबिक, पीडीए फॉर्मूला के तहत अयोध्या की मिल्कीपुर सीट पर होने वाले उपचुनाव में अवधेश प्रसाद के बेटे अजित प्रसाद को टिकट दिया जा सकता है.


वहीं अकबरपुर की कटेहरी सीट से लालजी वर्मा की बेटी छाया वर्मा भी सपा की बड़ी दावेदार हैं. फूलपुर सीट पर भाजपा को मजबूत टक्कर देने वाले अमरनाथ मौर्य पर पार्टी दांव लगा सकती है. यहां पर भाजपा उम्मीदवार ने बहुत मामूली अंतर से जीत हासिल की है. करहल सीट को सपा मुखिया अखिलेश यादव ने छोड़ा है. यहां से तेज प्रताप यादव को उम्मीदवार बनाया जा सकता है. राजनीतिक जानकार बताते हैं कि अखिलेश यादव अभी दिल्ली में चल रही संसद की कार्यवाही में अपनी पार्टी की धमक काफी मजबूत बनाने में जुटे हैं.


पीडीए फॉर्मूला लगाकर ही मैदान में


इधर सपा का प्रदेश नेतृत्व उपचुनाव की कवायद में जुट गया है. दावेदारों के नाम आने शुरू हो गए हैं. इसके आलावा वह खुद भी चक्कर लगाने लगे हैं. सपा भी लोकसभा के पीडीए फॉर्मूला लगाकर ही प्रत्याशी को महत्व देने का विचार कर रही है. सपा की नजर सभी विधानसभा सीटों पर है. इसके लिए जातीय समीकरण साधे जा रहे हैं. अपने सहयोगी कांग्रेस को भी एक सीट देकर उनके आत्मबल और गठबंधन की धार को मजबूत रखा जायेगा.


जिन सीटों पर उपचुनाव होने हैं उनमें मैनपुरी की करहल, अयोध्या की मिल्कीपुर, अंबेडकर नगर की कटेहरी, संभल की कुंदरकी, गाजियाबाद, अलीगढ़ की खैर, मीरापुर, फूलपुर, मझवां और सीसामऊ शामिल हैं. अगर साल 2022 के विधानसभा चुनाव को देखें तो सपा ने करहल, मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी व सीसामऊ जीती थी. वहीं भाजपा ने गाजियाबाद, खैर, फूलपुर सीट पर कब्जा किया था. वहीं निषाद पार्टी ने मझवां पर विजय हासिल की थी. जबकि रालोद को मीरापुर सीट पर सफलता मिली थी. नौ सीटों पर विधायक सांसद बन गए हैं. जबकि एक सीट विधायक के सजा होने के बाद खाली हुई है.