Explainer: 8.4 परसेंट की जीडीपी ग्रोथ के बावजूद भी रुपये में गिरावट क्यों आ रही है?
USD Vs INR: जीडीपी की रफ्तार जारी होने के बाद शेयर बाजार में भी शुक्रवार को रिकॉर्ड तेजी देखी गई और बाजार ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया. इस सबके बीच चिंता की बात यह है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये लगातार गिर रहा है.
Indian Rupees in Dollar: मौजूदा वित्त वर्ष की तीसरी तिमाही (अक्टूबर-दिसंबर) का जीडीपी आंकड़ा जारी कर दिया गया है. मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर की बदौलत एक बार फिर जीडीपी ग्रोथ रिकॉर्ड लेवल 8.4 प्रतिशत पर पहुंच गई. एक साल पहले की समान अवधि में यह आंकड़ा 4.3% पर था. इससे पहले वित्त वर्ष 2024 की दूसरी तिमाही में जीडीपी ग्रोथ रेट 7.6 प्रतिशत पर था.
आरबीआई ने दिसंबर तिमाही के लिए 6.5 प्रतिशत की दर से इकोनॉमिक ग्रोथ का अनुमान लगाया था. एसबीआई रिसर्च में यह अनुमान 6.5 से 6.9 फीसदी के बीच जताया गया था. इस अवधि में चीन की जीडीपी ग्रोथ 5.2 प्रतिशत की रही है. भारत दुनियाभर की प्रमुख इकोनॉमी में सबसे तेजी से इकोनॉमिक ग्रोथ हासिल करने वाला देश बना हुआ है.
भारतीय रुपये में गिरावट से चिंता
तीसरी तिमाही के जीडीपी के आंकड़े जारी होने के बाद पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, 8.4 प्रतिशत की जोरदार ग्रोथ रेट भारतीय अर्थव्यवस्था की मजबूती को दर्शाती है. साथ ही उसकी क्षमता और संभावनाओं को भी जाहिर करती है. जीडीपी की रफ्तार जारी होने के बाद शेयर बाजार में भी शुक्रवार को रिकॉर्ड तेजी देखी गई और बाजार ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया. इस सबके बीच चिंता की बात यह है कि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपये लगातार गिर रहा है. आखिरी कारोबारी दिन शुक्रवार को रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले 82.89 रुपये पर पहुंच गया है. आइए जानते हैं डॉलर के मुकाबले रुपये में गिरावट आने के प्रमुख कारण-
विदेशी मुद्रा भंडार में गिरावट
अक्टूबर 2021 में देश का विदेशी मुद्रा भंडार (India Foreign Exchange) 645 अरब डॉलर के ऑल टाइम हाई पर था. लेकिन इसके बाद इसमें लगातार गिरावट देखी जा रही है. इससे आरबीआई रुपये की कीमत को स्थिर नहीं रख पा रहा. आरबीआई के अनुसार 27 जनवरी 2024 को खत्म हुए हफ्ते में देश का विदेशी मुद्रा भंडार 2.795 बिलियन अमेरिकी डॉलर घटकर 616.143 बिलियन अमेरिकी डॉलर हो गया.
फेड रिजर्व की रिकॉर्ड ब्याज दर
अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने महंगाई पर लगाम लगाने के लिए पिछले दिनों ब्याज दर में इजाफा किया था. हालांकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने लगातार तीसरी बार ब्याज दर में इजाफा नहीं किया है. फेड ने ब्याज दर को 5.25 फीसदी से 5.50 फीसदी पर बरकरार रखा है. ऐसे में अमेरिकी डॉलर की प्रतिफल दरें बढ़ने से दूसरी मुद्राओं की तुलना में डॉलर ज्यादा मजबूत हो रहा है और रुपये में गिरावट आ रही है.
दुनियाभर में बढ़ती महंगाई
बढ़ती महंगाई के कारण भी निवेशक सुरक्षित निवेश के रूप में अमेरिकी डॉलर का रुख कर रहे हैं. इससे डॉलर की मांग बढ़ी है और रुपये की मांग घट रही है. इसका असर यह हो रहा है डॉलर के मुकाबले रुपया कमजोर हो रहा है. अमेरिका में पिछले दिनों महंगाई दर बढ़कर रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई थी. हालांकि बाद में इसमें गिरावट आई है. इस समय महंगाई के मामले में अर्जेंटीना पहले नंबर पर है.
क्रूड के दाम में उठा-पटक
पिछले दिनों पेट्रोलियम निर्यातक देशों की तरफ से क्रूड ऑयल का उत्पादन कम होने से इसकी कीमत में तेजी आई है. हालांकि अब इसमें पिछले कुछ दिनों से उठा-पटक का दौर देखा जा रहा है. क्रूड के दाम बढ़ने से भारत को विदेशी मुद्रा ज्यादा खर्च करनी पड़ती है. डॉलर की खपत बढ़ने से भी डॉलर के मुकाबले रुपया नीचे आ रहा है. मौजूदा समय में ब्रेंट क्रूड 1.02 डॉलर की तेजी के साथ 82.93 डॉलर प्रति बैरल पर पहुंच गया है.
शेयर बाजार में जारी उठा-पटक
शेयर बाजार भले ही ऑल टाइम हाई पर चल रहा है. विदेशी संस्थागत निवेशकों (FII) की बिकवाली भी रुपये की कमजोरी का कारण बनती है. शुक्रवार को बंद हुए कारोबारी सत्र में सेंसेक्स और निफ्टी चढ़कर रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गया है. लेकिन इससे पहले बाजार में बिकवाली हावी रही है.