डॉलर की दादागिरी या अमेरिका का सबसे बड़ा डर ? भारत समेत ब्रिक्स देशों को 100% टैरिफ वाली ट्रंप की धमकी की असली वजह समझिए
Donald Trump On BRICS Currency: राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप ने बता दिया है कि वो पिछले बार से अधिक ताकतवर बनकर आ रहे हैं. राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठने से पहले ही उनके फैसले दिखा रहे हैं कि वो इस बार पहले से ज्यादा सख्ती रखने वाले हैं. ब्रिक्स देशों को दी गई धमकी उनके शक्तिप्रदर्शन का नमूना है या फिर डॉलर को लेकर उनका डर ?
Donald Trump On BRICS: अमेरिका का राष्ट्रपति चुने जाने के बाद से ही डोनाल्ड ट्रंप ने बता दिया है कि वो पिछले बार से अधिक ताकतवर बनकर आ रहे हैं. राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठने से पहले ही उनके फैसले दिखा रहे हैं कि वो इस बार पहले से ज्यादा सख्ती रखने वाले हैं. बात-बात पर टैरिफ की धमकी देने वाले डोनाल्ड ट्रंप कभी चीन, मैक्सिको और कनाडा को धमकी देते हैं तो कभी ब्रिक्स देशों को. हाल ही में उन्होंने ब्रिक्स देशों को 100 फीसदी टैरिफ लगाने की धमकी दे चुके हैं.
ब्रिक्स देशों को ट्रंप की धमकी
अपनी धमकियों को लेकर सूर्खियों में रहने वाले डोनाल्ड ट्रंप ने BRICS देशों को धमकी दे दी है, जिसमें भारत भी शामिल है. उन्होंने धमकी दी है कि अगर ब्रिक्स देशों ने डॉलर के विकल्प के रूप में अपनी करेंसी लाने की कोशिश की तो उनपर 100 फीसदी टैरिफ लगाया जाएगा. ट्रंप की इस धमकी के पीछे अमेरिका की दादागिरी से अधिक उसका वो डर सता है, जिसके चलते वो ब्रिक्स देशों पर करेंसी की पाबंदी लगाना चाहते थे.
ब्रिक्स करेंसी से क्यों डर रहा है अमेरिका
BRICS देशों पर करेंसी की पाबंदी लगाने की धमकी देने वाले डोनाल्ड ट्रंप को डॉलर की धौंस खत्म होने का डर सता रहा है. अगर ब्रिक्स देशों ने अपनी करेंसी जारी कर दी तो डॉलर कमजोर होने लगेगा. डॉलर की मांग कम होने लगेगी, जिससे उसकी वैल्यू में गिरावट आ सकती है. अगर डॉलर कमजोर होने लगा तो अमेरिकी वित्तीय बाजारों में अस्थिरता बढ़ सकती है. डॉलर की कमजोरी आयात को महंगा कर देगा, जिसके अमेरिका का व्यापार घाटा बढ़ेगा. वहीं डॉलर के कमजोर पड़ने से अमेरिकी प्रतिबंधों का असर खत्म होता चला जाएगा.
अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर असर
दुनियाभर के देशों के बीच होने वाले व्यापारिक कारोबार, पेमेंट, इंपोर्ट और एक्सपोर्ट, लोन जैसे सारे काम अमेरिकी डॉलर में ही होते हैं. विदेशी भुगतानों में डॉलर का दबदबा है. अगर ब्रिक्स देशों की करेंसी आ गई तो इसका मतलब है डी डॉलराइजेशन, यानी सीधा असर अमेरिका और डॉलर का कमजोर होना. यानी अमेरिका की अर्थव्यवस्था पर असर पड़ना. बता दें कि अगस्त 2023 में दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स सम्मेलन के दौरान ब्रिक्स देशों ने आपसी व्यापार और निवेश के लिए कॉमन करेंसी का प्रस्ताव रखा था. इस साल रूस में हुए ब्रिक्स सम्मेलन में एक बार फिर से इसकी पैरवी की गई. ब्रिक्स देशों के इस पहल ने अमेरिका की ताकत कमजोर होती चली जाएगी. ट्रंप इसी डर से ब्रिक्स देशों को टैरिफ बढ़ाने की धमकी दे रहे हैं.
क्या है डोनाल्ड ट्रंप की धमकी
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी सत्ता संभाली भी नहीं है, लेकिन उनके सख्त फैसले अभी से चर्चा में रहने लगे हैं. डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया TruthSocial पर एक पोस्ट लिखते हुए ब्रिक्स देशों को धमकी दे दी. उन्होंने साफ-साफ शब्दों में ब्रिक्स देशों को अपनी करेंसी न लाने री धमकी दी. उन्होंने कहा कि जो डॉलर से दूर जाने की कोशिश कर रहे हैं वो ऐसा सोचना बंद कर दें. उन्होंने कहा कि हमें इन देशों से यह प्रतिबद्धता चाहिए कि वे न तो नई ब्रिक्स करेंसी बनाएंगे, न ही अमेरिकी डॉलर की जगह किसी अन्य मुद्रा का समर्थन करेंगे. ट्रंप ने लिखा कि ब्रिक्स देश अगर ऐसा नहीं करते हैं तो उन्हें 100% टैरिफ का सामना करना पड़ेगा और अमेरिकी बाजार को अलविदा कहना होगा.