Brighton & Hove: शाकाहार की राजधानी है ब्रिटेन का ये शहर, जो नहीं रहने देगा किसी को भूखा
Food Programme: ब्राइटन एंड होव में कई संस्थाएं मिलकर सस्टेनेबल फूड प्रोग्राम चला रही हैं. ये प्रोग्राम लोगों के साथ-साथ प्रकृति के लिए भी फायदेमंद है. इस प्रोग्राम के जरिए जरुरतमंद लोगों को खाना दिया जाता है. ये शहर भोजन के लिए आत्मनिर्भर है.
Sustainable Food Programme: ब्राइटन एंड होव इंग्लैंड का ऐसा शहर है जो शाकाहार की राजधानी कहा जाता है. इस जगह की प्रसिद्धी की वजह है शहर का खाद्य कार्यक्रम (Food Programme). ब्राइटन एंड होव का फूड प्रोग्राम पूरी दुनिया के लिए मिसाल बन गया है. ब्राइटन एंड होव में फूड प्रोग्राम के जरिए हर व्यक्ति को खाना खिलाने की कोशिश की जा रही है साथ ही भोजन के मामले में आत्मनिर्भर बनने और लोगों को रोजगार देने के प्रयास किए जा रहे हैं. इस फूड प्रोग्राम का उद्देश्य है कि कोई भी भूखा न सोए. आइए जानते हैं ब्राइटन एंड होव के फूड प्रोग्राम के बारे में जो हमें भी खाना बचाने और खिलाने की सीख दे सकता है.
ब्राइटन एंड होव
दुनिया का ऐसा शहर है जो पूरी तरह से शाकाहार (Vegetables) पर निर्भर है. यहां के लोग सब्जियों से ही अपना खाना बनाते हैं. सबसे खास बात ये हैं कि ये शाकाहारी खाना ब्राइटन एंड होव में ही उगाया जाता है और यहीं बनाया जाता है. इसी वजह से पेंसिल नामक पत्रिका ने ब्राइटन एंड होव को शाकाहार की राजधानी का नाम दिया.
ब्राइटन एंड होव फूड प्रोग्राम
- ब्राइटन एंड होव हर साल ऐसे 5 लाख लोगों को मुफ़्त खाना देता है, जो मानसिक रूप से कमजोर हैं या जिनकी मेंटल हेल्थ खराब है. कई जगहों पर बचे हुए अच्छे खाने को रिसाइकल किया जाता है और उससे नई डिश बनाई जाती है, ताकि खाने की बर्बादी न हो. इसी तरीके की वजह से किसी का भी भूखा रहना नामुमकिन है.
- ब्राइटन एंड होव में खाना खिलाने के अलावा, खाना बनाना और उसकी खेती करना भी सिखाया जाता है, ताकि लोग स्किल्ड होकर रोजगार पा सकें. प्रोग्राम के तहत 130 से ज्यादा ऐसी योजनाएं चलाई जा रही हैं, जिसके तहत विकलांगों को खाना बनाना सिखाया जाता है. मतलब ब्राइटन एंड होव के फूड प्रोग्राम का उद्देश्य खाने के जरिए शहर को पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाना है. शहर में ऐसी क्लासेज़ भी चलाई जाती हैं जिनमें कुकिंग के शौकीन लोगों को जापान, इटली और उज़्बेकिस्तान जैसे देशों की बेहतरीन डिशेज बनाना सिखाया जाता है.
भारत का मॉडल
एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में हर साल करीब 92000 करोड़ रुपये के खाने की बर्बादी होती है. हंगर इंडेक्स में देश का स्थान बहुत नीचे है. यानी कि अगर यहां भी बर्बाद होने वाले खाने का ठीक तरह से इस्तेमाल किया जाए तो खाने की बर्बादी रोकी जा सकती है.
कब हुई प्रोग्राम की शुरुआत
इस शहर के खाद्य कार्यक्रम ब्राइटन एंड होव फूड पार्टनरशिप की शुरुआत सन 2003 में हुई. इस प्रोग्राम की स्थापना में शहर की काउंसिल, स्थानीय नागरिक और कुकिंग क्लब शामिल थे. इस मुहिम में ब्राइटन यूनिवर्सिटी भी अपनी भूमिका निभा रही है.
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