Halal या Jhatka: दिल्ली में मीट दुकानदारों-रेस्टोरेंट मालिकों को देनी होगी जानकारी, SDMC में प्रस्ताव पेश
दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) में एक प्रस्ताव पेश हुआ है. जिसके पारित होने के बाद सभी मीट दुकानदारों और रेस्त्राओं को बताना होगा कि वे किस विधि से जानवरों का कत्ल कर रहे हैं.
दुकानों पर लगाना होगा हलाल या झटका का बैनर
दक्षिण दिल्ली नगर निगम (SDMC) के क्षेत्राधिकार वाले इलाके में आने वाली मीट दुकानों के लिए जल्द ही यह अनिवार्य कर दिया जा सकता है कि वो हलाल मीट बेच रही हैं या झटका. यही नियम इलाके के रेस्तराओं पर भी लागू होगा। तब रेस्तरा में भी पोस्टर लगाकर बताना होगा कि उनके यहां परोसे जाना वाला मीट हलाल (Halal) है या झटका (Jhatka).
बीजेपी पार्षद अनीता तंवर ने पेश किया प्रस्ताव
छत्तरपुर से बीजेपी पार्षद अनीता तंवर (Anita Tanwar) ने यह प्रस्ताव पेश किया. अनीता तंवर ने कहा, 'यह किसी के मांस खाने पर पाबंदी लगाना नहीं है. यह सिर्फ किसी की धार्मिक भावनाओं का सम्मान करने के लिए है. हरेक व्यक्ति अपनी पसंद का मांस खाने को आजाद है. हिंदू हलाल (Halal) मीट पसंद नहीं करते हैं. अगर हम हरेक रेस्त्रां में बोर्ड टांग देंगे तो लोगों को पता चल जाएगा कि वहां किस तरह का मीट परोसा जा रहा है.'
हिंदू- सिखों में हलाल मीट खाना प्रतिबंधित है
प्रस्ताव में कहा गया है कि हिंदू धर्म और सिख धर्म के अनुसार, 'हलाल' ((Halal) मांस खाना मना है और धर्म के खिलाफ है. इसलिए समिति इस संबंध में प्रस्ताव पारित करती है कि रेस्त्रां और मांस की दुकानों को हिंदू-सिखों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए उचित जानकारी देनी चाहिए.’
स्टैंडिंग कमिटी ने प्रस्ताव पर लगा दी मुहर
SDMC की स्थायी समिति (Standing Committee) ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है. SDMC के अंतर्गत आने वाले सभी रेस्त्रां और मीट दुकानदारों से अपनी शॉप के आगे बैनर टांगने का निर्देश दिया गया है. जिसमें उन्हें बताना होगा कि उन्होंने 'हलाल' (Halal) या 'झटका' (Jhatka), किस विधि से जानवर को काटा है.
ग्राहकों को सही जानकारी देना है मकसद
प्रस्ताव पास होने के बाद स्टैंडिंग कमिटी के अध्यक्ष रजदत्त गहलोत ने कहा कि इसका मकसद ग्राहकों को मांस के बारे में सही जानकारी से अवगत कराना है ताकि वो अपनी पसंद-नापसंद का ख्याल रख सकें. उन्होंने कहा कि अभी सिर्फ एक तरह का मीट बेचने के लिए लाइसेंस दिया जाता है, लेकिन हकीकत में दूसरी तरह का मीट बेचा जाता है.
SDMC के सदन में पेश किया होगा प्रस्ताव
प्रस्ताव को अब अंतिम मंजूरी के लिए SDMC के सदन में पेश किया जाएगा. वहां पर बीजेपी का बहुमत है. इसलिए माना जा रहा है कि सदन में यह प्रस्ताव आसानी से पास होकर कानून बन जाएगा.
भोजनालय के लिए लेना पड़ता है हेल्थ ट्रेड लाइसेंस
MCD कानून के तहत हरेक भोजनालय को काम शुरू करने के लिए नगर निगम से हेल्थ ट्रेड लाइसेंस लेना पड़ता है. इस लाइसेंस के बिना वे काम शुरू नहीं कर सकते. प्रस्ताव पेश करने वाले पार्षद का कहना है कि लाइसेंस देने की प्रक्रिया में जानवर काटने की जानकारी को भी शामिल किया जाए. वर्ष 2018 में पूर्वी दिल्ली नगर निगम ने भी इसी तरह का प्रस्ताव पास किया था.
झटका मीट में जानवरों को सुन्न कर दिया जाता है
झटका (Jhatka) का नाम बिजली के झटके से आया है. इसमें जानवर को काटने से पहले इलेक्ट्रिक शॉक देकर उसके दिमाग को सुन्न कर दिया जाता है ताकि वो ज्यादा संघर्ष न करे. उसी अचेत अवस्था में उस पर झटके से धारदार हथियार मारकर सिर धड़ से अलग कर दिया जाता है. मांसाहार करने वाले हिंदू और सिखों में झटका मीट खाया जाता है.
हलाल मीट में जानवरों को तड़पाया जाता है
हलाल (Halal) विधि में जानवर की गर्दन को थोड़ा सा काटकर एक टब में छोड़ दिया जाता है. जिससे उसकी धीरे-धीरे खून बहने से तड़प-तड़प कर मौत हो जाती है. मुस्लिमों में इसी हलाल विधि से काटे गए जानवरों को खाया जाता है. मुस्लिमों की यह भी मान्यता है कि कत्ल किए जाते समय जानवर तंदरुस्त और होश में रहना चाहिए.