iPhone BAN at Workplace: ऑफर भारत की सरकार अपने गवर्नमेंट ऑफीशियल्स के लिए वर्क प्लेस पर आईफोन का इस्तेमाल करने को पूरी तरह से बैन कर दे तो क्या होगा. जाहिर सी बात है कोई भी अधिकारी ऐसा नहीं चाहेगा क्योकि आईफोन आजकल ट्रेंड बन चुका है और सुरक्षा के नजरिए से काफी बड़े पद पर तैनात लोग इसका इस्तेमाल करते हैं, हालांकि एक देश ऐसा भी है जिसकी सरकार ने गवर्नमेंट ऑफीशियल्स को वर्क प्लेस पर आईफोन का इस्तेमाल करने से रोक दिया है. 


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रिपोर्ट में हुआ है खुलासा 


एक रिपोर्ट के अनुसार चीन ने सभी केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों को आधिकारिक व्यवसाय के लिए ऐप्पल के आईफोन और अन्य विदेशी उपकरणों का उपयोग बंद करने का आदेश दिया है. नई नीति चीन द्वारा विदेशी तकनीक पर अपनी निर्भरता को कम करने और देश से संवेदनशील जानकारी देश के बाहर जाने से रोकने के एक प्रयास के तहत उठाया गया एक कदम नजर आ रहा है. कुछ केंद्रीय एजेंसियों के कर्मचारियों को उनके सीनियर्स द्वारा चैट ग्रुप्स में या बैठकों के माध्यम से ऐसे उपकरणों को कार्यालय में न लाने का निर्देश दिया गया है, लेकिन यह अभी तक स्पष्ट नहीं हुआ है कि ये नियम पूरे देश में आगू हुआ है या कुछ सीमित एजेंसियों तक ही सीमित है. 



चीन ने कई वर्षों से कुछ एजेंसियों में सरकारी अधिकारियों को आईफ़ोन का इस्तेमाल करने से पूरी तरह रोका हुआ है. लेकिन लेटेस्ट इंस्ट्रक्शन से ये समझा जा सकता है कि चीन सरकार इस बात को लेकर बिल्कुल ही स्पष्ट है. आपको बता दें कि चीन और अमेरिका के बीच का तनाव भी इस फैसले की वजह हो सकती है. 



एप्पल की चीन पर निर्भरता:


Apple के iPhones चीन के हाई-एंड स्मार्टफोन बाजार पर हावी हैं और देश में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों में लोकप्रिय हैं. ऐसे में अगर चीन में आईफोन को सरकारी कर्मचारियों के लिए बैन किया जाएगा तो इससे अमेरिका को नुकसान होगा.  


जासूसी भी हो सकती है बड़ी वजह 


आपको बता दें कि जासूसी भी इस फैसले के पीछे की एक बड़ी वजह हो सकती है. दरअसल चीन और अमेरिका के बीच तनाव चल रहा है और ऐसे में चीन को शायद ऐसा लग रहा है कि आईफोन का इस्तेमाल करके कोई संवेदनशील जानकारी अमेरिका ना पहुंच जाए इसलिए केंद्रीय सरकारी अधिकारियों को आईफोन के इस्तेमाल से रोका जा रहा है. यह एक बड़ी वजह हो सकती है हालांकि इस बात की कोई पुष्टि नहीं हुई है कि ऐसा क्यों किया गया है फिर भी इस बात की काफी संभावना हो सकती है कि निजी जानकारियों के प्रवाह को रोकने के लिए सरकार ऐसा कदम उठा सकती है.