बेहतर नींद, कम तनाव और बीमारियों का जल्दी पता: रोज Pulse चेक करने की आदत बदल सकती है आपकी जिंदगी
रोजमर्रा की भागदौड़ और तनावों के बीच हम अक्सर अपने शरीर की तरफ ध्यान देना भूल जाते हैं. मगर, आप यह नहीं जानते होंगे कि एक छोटी सी आदत आपकी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है.
रोजमर्रा की भागदौड़ और तनावों के बीच हम अक्सर अपने शरीर की तरफ ध्यान देना भूल जाते हैं. मगर, आप यह नहीं जानते होंगे कि एक छोटी सी आदत 'रोजाना अपनी नाड़ी टटोलना (Pulse check)' आपकी जिंदगी में बड़ा बदलाव ला सकती है. जी हां, नाड़ी की गति और लय के जरिए आप बेहतर नींद ले सकते हैं, तनाव को कम कर सकते हैं और यहां तक कि बीमारियों के शुरुआती लक्षणों का भी पता लगा सकते हैं.
नाड़ी से क्या पता चलता है?
हमारा दिल शरीर में खून का संचार करता है और इसकी गति कई फैक्टर से प्रभावित होती है. जब आप अपनी नाड़ी को टटोलते हैं, तो आप वास्तव में ब्लड वेसेल्स में खून के प्लसेशन को महसूस कर रहे होते हैं. नाड़ी की दर हमें दिल की गति के बारे में जानकारी देती है, जो आराम करने की अवस्था में प्रति मिनट 60 से 100 के बीच सामान्य मानी जाती है. नाड़ी की ताल और मजबूती भी महत्वपूर्ण संकेत देती है.
बेहतर नींद के लिए नाड़ी
सोने से पहले अपनी नाड़ी टटोलें. यदि आपकी नाड़ी की गति तेज है, तो यह तनाव या चिंता का संकेत हो सकता है, जो अच्छी नींद में आने में बाधा डाल सकती है. कुछ मिनटों के लिए गहरी सांस लेने और ध्यान लगाने से नाड़ी को शांत करने और बेहतर नींद के लिए वातावरण तैयार करने में मदद मिल सकती है.
तनाव कम करने में मददगार
दिन भर में कई बार अपनी नाड़ी टटोलें, खासकर जब आपको तनाव महसूस हो. तनाव के दौरान अक्सर नाड़ी की गति बढ़ जाती है और लय अनियमित हो सकती है. नाड़ी पर ध्यान देने से आप तनाव के शुरुआती संकेतों को पहचान सकते हैं और तनाव कम करने के उपाय कर सकते हैं, जैसे गहरी सांस लेना, योग या मेडिटेशन करना.
बीमारियों के शुरुआती संकेत
नाड़ी में बदलाव कई बीमारियों का शुरुआती लक्षण हो सकता है. उदाहरण के लिए, बुखार में नाड़ी की गति आमतौर पर बढ़ जाती है, जबकि थायराइड की समस्याओं में नाड़ी कमजोर और अनियमित हो सकती है. किसी भी तरह के असामान्य बदलाव को नजरअंदाज न करें और डॉक्टर से सलाह लें.
नाड़ी टटोलने का तरीका
नाड़ी टटोलने के लिए अपने अंगूठे और तर्जनी उंगली को अपनी कलाई की अंदरूनी तरफ, हथेली के पास रखें. हल्का दबाएं और खून के प्लसेशन को महसूस करें. नाड़ी की गति गिनने के लिए 30 सेकंड के लिए गिनें और फिर दो से गुणा करें. याद रखें, नाड़ी की गति दिन भर में उतार-चढ़ाव कर सकती है, इसलिए नियमित रूप से और समान परिस्थितियों में नापना जरूरी है.