कई बीमारियों के इलाज में कारगर है काला गेहूं, इसके बारे में सबकुछ जानें
इस साल काले गेहूं की बोवनी पंजाब-हरियाणा के साथ- साथ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में की गई है.
नई दिल्ली: इस साल काले गेहूं की बोवनी कई प्रदेशों में की गई है. कुछ माह पहले सोशल मीडिया काले गेहूं का एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें दावा किया था कि काला गेहूं कई औषधीय गुणों से भरपूर है. बाद में खोजबीन में पता चला कि यह गेहूं पहली बार भारत में आया है और नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनएबीआई) मोहाली ने इसे तैयार किया है.
पंजाब-हरियाणा में पिछले साल काले गेहूं की खेती थोड़ी बहुत की गई थी लेकिन इस बार उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश समेत कई अन्य राज्यों में इसकी बुआई की गई है. मध्य प्रदेश के मालवा क्षेत्र के किसानों में पहली बार इसकी बुआई की है. काले गेहूं की बाली का रंग पहले हरा ही होता है लेकिन बाली भूरी होने के बाद काले गेहूं दिखाई देने लगते हैं.
एनएबीआई ने कराया है पेटेंट
नेशनल एग्री फूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टीट्यूट (एनएबीआई) मोहाली ने सात साल के शोध के बाद पिछले वर्ष नवंबर में काले गेहूं का पेटेंट कराया था. एनएबीआई ने इस गेंहू को 'नाबी एमजी' नाम दिया है. इसकी खेती से उपज भी अधिक मिलेगी और इसका दाम भी अधिक मिलेगा. काले गेहूं की पैदावार प्रति एकड़ करीब 15 से 18 क्विंटल मिलने की बात कृषि वैज्ञानिकों ने कही है.
रंग काला, लेकिन रोटी ब्राउन बनेगी
फल, सब्जियों और अनाज के रंग उनमें मौजूद प्लांट पिगमेंट या रंजक कणों की मात्रा पर निर्भर करता है. काले गेहूं में एंथोसाएनिन नामक पिगमेंट होते हैं. आम गेहूं में एंथोसाएनिन महज पांच पीपीएम होता है, लेकिन काले गेहूं में यह 100 से 200 पीपीएम के आसपास होता है. एंथोसाएनिन के अलावा काले गेहूं में जिंक और आयरन की मात्रा में भी अंतर होता है. काले गेहूं में आम गेहूं की तुलना में 60 फीसद आयरन ज्यादा होता है. कुछ फलों के जरिए काले गेहूं का बीज तैयार किया जाता है. काले गेहूं के बीज को तैयार करने में जामुन व ब्लू बेरी फल का इस्तेमाल होता है. कृषि वैज्ञानिकों का दावा है कि इसका रंग देखने में बेशक काला है, लेकिन इसकी रोटी ब्राऊन ही बनती है.
इन रोगों को करता है नियंत्रित
काले गेहूं में पौष्टिक तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. इसमें कार्बोहाइड्रेट, विटामिन, जिंक, पोटाश, आयरन व फाइबर आदि तत्व पारंपरिक गेहूं के मुकाबले दोगुनी मात्रा में होते हैं. कृषि विज्ञानियों के अनुसार इस गेहूं से बनी रोटी खाने से शुगर और कैंसर से लड़ने की क्षमता बढ़ेगी. इस गेहूं की रोटी खाने से शरीर का मोटापा कम होता है. इसे खाने से एसिडिटी से भी छुटकारा मिलता है.