थोड़ा तनाव तो जिन्दगी का एक सामान्य हिस्सा है, लेकिन रोजमर्रा के कामों या परिस्थितियों को लेकर ज्यादा चिंता करना, जिन्हें दूसरे लोग खास खतरा नहीं मानते, ये किसी एंग्जायटी डिसऑर्डर का संकेत हो सकता है. लैंसेट की 2021 की एक स्टडी में बताया गया है कि महामारी के दौरान भारत में चिंता विकारों में 35% की वृद्धि हुई है.

 

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा 2020 में प्रकाशित आंकड़ों में भी इसी तरह के निष्कर्ष सामने आए है. रिपोर्ट में बताया गया है कि महामारी के शुरुआती दिनों में भारत के 18 से 24 साल के बीच के लगभग 9.3% युवा या तो चिंता या डिप्रेशन से ग्रस्त थे, यह संख्या मार्च 2022 तक बढ़कर 16.8% हो गई. रिपोर्ट यह भी बताती है कि पुरुषों की तुलना में महिलाएं चिंता और डिप्रेशन से अधिक प्रभावित थीं. यदि आप भी सुबह फ्रेश माइंड से नहीं उठ पाते हैं तो यह कारण जिम्मेदार हो सकते हैं.

 

सुबह एंग्जाइटी के ये कारण हो सकते हैं-
 

बायोलॉजिकल कारण
 

कोर्टिसोल, जिसे अक्सर "तनाव हार्मोन" के रूप में जाना जाता है, सुबह उठने के बाद के घंटे में इसका स्तर सबसे अधिक होता है. कोर्टिसोल अवेकनिंग रिस्पॉन्स (CAR) एक ऐसी घटना है जो विशेष रूप से उन लोगों में आम है जो नियमित रूप से चिंता का अनुभव करते हैं. 

 

चिंता विकार 
 

सुबह की चिंता किसी जींस और एंग्जायटी डिसऑर्डर (GAD) का संकेत हो सकती है. चिंता विकार से ग्रस्त लोगों को कम से कम छह महीने तक अत्यधिक चिंता और भय का अनुभव होता रहता है. अन्य लक्षणों में लगातार थकान, ध्यान केंद्रित करने में समस्या और बेचैनी शामिल हो सकती है. यह डिसऑर्डर जेनेटिक हो हाता है.

 

नींद की खराब गुणवत्ता
 

अनिद्रा, नींद में खलल और नींद की खराब गुणवत्ता जैसी नींद की समस्याएं सुबह के समय अधिक चिंतित महसूस करा सकती हैं. कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि हर रात अच्छे से नींद ना आना सुबह की चिंता के स्तर से जुड़ा है.

 

चीनी और कैफीन का सेवन
 

हम जो खाते हैं उसका असर हम कैसा महसूस करते हैं उस पर पड़ता है. कुछ शोध चिंता को अधिक चीनी सेवन से जोड़ते हैं. वहीं. कैफीन के ज्यादा सेवन से भी एंग्जायटी का लेवल बढ़ने लगता है. 

इसे भी पढ़ें- सिर्फ Hug Day पर एक बार गले मिलना काफी नहीं, जिंदगी टेंशन फ्री रखना है तो रोज करना होगा इतने बार हग


 

 

छुटकारा पाने के लिए करें ये काम
 

आपकी हेल्थ पुरी तरह से आपके लाइफस्टाइल और खानपान की आदतों पर डिपेंड होती है. ऐसे में किसी भी समस्या से छुटकारा पाने के लिए इसमें सुधार करना बहुत जरूरी होता है. ऐसे में रात के समय हल्का सुपाच्य खाना खाएं. कैफीन, अल्कोहल का सेवन ना करें, रोजाना एक्सरसाइज करें. इसके साथ ही रोज कुछ देर मेडिटेशन से आपको अपने दिमाग को शांत रखने में मदद मिलेगी.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.