इन्फेक्शन के बाद स्पर्म में 110 दिनों तक रह सकता है कोविड-19 वायरस, बच्चे की प्लनिंग में न करें जल्दबाजी
Covid-19 Virus in Semen: अगर कोई पुरुष कोविड-19 के संक्रमण से उबर चुका है, फिर भी उसे बेफिक्र नहीं होना चाहिए क्योंकि ये वायरस स्पर्म में 100 दिनो से ज्यादा वक्त तक जमा रह सकता है.
Coronavirus In Human Sperm: कोरोना वायरस और स्पर्म को लेकर एक चौंकाने वाला दावा किया जा रहा है, जिसमें ये बताया गया है कि अगर किसी पुरुष को कोविड-19 हुआ है तो रिकवरी के कई महीनों तक उसके शुक्राणु में ये वायरस मौजूद रहेगा. ऐसे में बच्चे पैदा करने पर भी थोड़ा ब्रेक लगाने की सलाह दी गई है. ब्राजील में साओ पाउलो यूनिवर्सिटी (University of Sao Paulo, Brazil) के रिसर्चर्स ने दिखाया है कि सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2), जो कोविड-19 से जुड़े वायरस का कारण बनता है, ये रिकवर हो चुके पेशेंट के स्पर्म में अस्पताल से छुट्टी के 90 दिन बाद तक और शुरुआती इंफेक्शन के 110 दिन बाद तक रह सकता है.
कोविड से उबरने के तुरंत बच्चे पैदा न करें
ये सीमेन की क्वालिटी पर नेगेटिव इफेक्ट डाल सकता है.एंड्रोलॉजी (Andrology) जर्नल में छपी फाइंडिंग्स में ये बताया गया है कि जिन लोगों ने बच्चे पैदा करने की योजना बनाई है, उन्हें कोविड-19 से उबरने के बाद "क्वारंटीन" पीरियड में जाना चाहिए. हालांकि स्टैंडर्ड पीसीआर टेस्ट के जरिए से स्पर्म में सार्स-सीओवी-2 (SARS-CoV-2) का बहुत कम पता चला है, लेकिन यूएसपी स्टडी ने 21 से 50 साल की उम्र के 13 पुरुषों द्वारा दान किए गए सीमेन और स्पर्मेटोजोआ में वायरल आरएनए का पता लगाने के लिए रियल टाइम पीसीआर और ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोपी (TEM) का इस्तेमाल किया, जो माइल्ड, मॉडरेट या गंभीर कोविड-19 से उबर चुके थे.
ज्यादातर पेशेंट के स्पर्म में कोविड के वायरस
गौरतलब है कि , 13 रोगियों में से 9 (69.2%) के स्पर्म में वायरस पाया गया, जिसमें अस्पताल से छुट्टी के 90 दिन बाद तक 11 माइल्ड से गंभीर मामलों में से 8 शामिल थे. 2 अन्य रोगियों में कोविड-19 पेशेंट में देखे जाने वाले समान अल्ट्रा-स्ट्रक्चरल गैमेट का नुकसान देखा गया, जिससे ये संकेत मिलता है कि 13 में से 11 के शुक्राणुओं में वायरस था. स्टडी ने एक नई खोज का भी पता चला है, स्पर्मेटोजोआ ने सार्स-सीओवी-2 पैथोजन को बेअसर करने के लिए न्यूक्लियर डीएनए के आधार पर 'एक्ट्रा सेल्युलर ट्रैप' का प्रोडक्शन किया, जिसे एक आत्मघाती इटोसिस (ETosis) जैसी प्रतिक्रिया के रूप में जाना जाता है.
ये खोज प्रजनन में शुक्राणु की भूमिका के लिए एक नया रोल बताती है, क्योंकि उन्हें पहले फर्टिलाइजेशन, भ्रूण के विकास और कुछ पुरानी बीमारियों को सह-निर्धारित करने के लिए जाना जाता था. स्टडी से जुड़े लेखक और यूएसपी के मेडिकल स्कूल के प्रोफेसर जॉर्ज हलाक ने कहा, "हमारी फाइंडिंग्स के पॉसिबल इम्पलिकेशंस को फिजीशियंस और रेगुलेटर्स द्वारा असिस्टेड रिप्रोडक्शन में स्पर्म के इस्तेमाल के लिए तत्काल विचार किया जाना चाहिए."
'रिप्रोडक्शन के लिए 6 महीने का इंतजार करें'
प्रोफेसर हलाक कोविड-19 के हल्के मामलों में भी, सार्स-सीओवी-2 संक्रमण के बाद कम से कम छह महीने के लिए प्राकृतिक गर्भाधान और कृत्रिम प्रजनन को स्थगित करने की वकालत करते हैं. ये सिफारिश अध्ययन के निष्कर्षों और आईसीएसआई (इंट्रा-साइटोप्लास्मिक स्पर्म इंजेक्शन) जैसी प्रजनन प्रक्रियाओं में वायरस युक्त या खराब गुणवत्ता वाले शुक्राणुओं का इस्तेमाव करने से जुड़े संभावित जोखिमों पर आधारित है. जैसा कि मेल रिप्रोडक्टिव फंक्शंस पर कोविड-19 के लॉन्ग टर्म इफेक्ट्स की जांच जारी है, ये अध्ययन सावधानी बरतने और कृत्रिम प्रजनन तकनीकों और भविष्य की प्रजनन क्षमता के लिए संभावित प्रभावों पर विचार करने के महत्व को उजागर करता है.