दिल्ली की हवा प्रदूषण के मामले में दुनिया के सबसे प्रदूषित शहरों में से एक है. यह प्रदूषण न केवल पर्यावरण के लिए खतरा है बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी बहुत बड़ा खतरा है. हाल ही में हुए एक अध्ययन के अनुसार, दिल्ली की हवा में मौजूद प्रदूषण के कारण लोगों की जीवन प्रत्याशा (life expectancy) में काफी कमी आ रही है.


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अध्ययन के अनुसार, दिल्ली में रहने वाले लोगों की जीवन प्रत्याशा में 12 साल तक की कमी आ सकती है. यह इसलिए है क्योंकि दिल्ली की हवा में पीएम 2.5 प्रदूषक का स्तर बहुत अधिक है. पीएम 2.5 छोटे कण होते हैं जो फेफड़ों में गहराई तक प्रवेश कर सकते हैं और सेहत को नुकसान पहुंचा सकते हैं.


दिल और फेफड़ों की बीमारियों का खतरा
पीएम 2.5 प्रदूषण से दिल की बीमारी, फेफड़ों की बीमारियां, कैंसर और अन्य गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती हैं. इन बीमारियों के कारण कई लोगों की समय से पहले ही मौत हो जाती है.


क्या स्थिति में हुआ है सुधार?
हालांकि, हाल के वर्षों में दिल्ली की हवा में कुछ सुधार हुआ है. प्रदूषण के स्तर में 19.3% की कमी आई है, जिससे लोगों की जीवन प्रत्याशा में औसतन एक साल का इजाफा हुआ है. यह सुधार मुख्य रूप से मौसम संबंधी कारणों से हुआ है.


लेकिन अभी भी खतरा बना हुआ है
हालांकि प्रदूषण के स्तर में कुछ सुधार हुआ है, लेकिन दिल्ली की हवा अभी भी बहुत प्रदूषित है. शहर की जनसंख्या घनी है और इंडस्ट्रियल एक्टिविटी भी बहुत अधिक हैं, जिससे प्रदूषण का लेवल बढ़ता रहता है.


क्या किया जा सकता है?
दिल्ली की हवा को साफ करने के लिए सरकार और लोगों को मिलकर काम करना होगा. सरकार को सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देना चाहिए और वाहनों के उत्सर्जन को कम करना चाहिए. लोगों को भी प्रदूषण को कम करने के लिए अपने कामों में बदलाव लाना होगा.