अक्सर लोग सोचते हैं कि डिहाइड्रेशन यानी पानी की कमी सिर्फ गर्मियों में ही होती है, लेकिन ये गलतफहमी है. ठंड के मौसम में भी शरीर को हाइड्रेट रखना उतना ही जरूरी है. हमारा शरीर लगभग 60 प्रतिशत पानी से बना होता है और यह कई महत्वपूर्ण कामों को सुचारू रूप से चलाने के लिए आवश्यक है.


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शरीर के तापमान को नियंत्रित करना, पोषक तत्वों को पहुंचाना, कचरे को बाहर निकालना और टिशू व अंगों को हाइड्रेट रखना, ये सभी काम पानी के बिना नहीं हो सकते. पानी का कम सेवन दिल की बीमारी, किडनी में पथरी, यूरीन ट्रैक में संक्रमण, कब्ज और डिहाइड्रेशन के खतरे को बढ़ा सकता है. सर्दियों के दौरान, डिहाइड्रेशन धीरे-धीरे दिल के कामों को प्रभावित कर सकता है और दिल संबंधी समस्याओं को बढ़ा सकता है.


प्यास की कमी
लोगों को अक्सर ठंडे मौसम में गर्म मौसम की तुलना में कम प्यास लगती है. प्यास की कम अनुभूति के कारण कोई बहुत कम पानी पी सकता है, जिसके परिणामस्वरूप डिहाइड्रेशन हो सकता है. इसके अलावा, सर्दियों की हवा शुष्क होती है, खासकर घर के अंदर जहां हीटिंग सिस्टम वातावरण को और डिहाइड्रेड करते हैं. यह शुष्क हवा सांस लेने और त्वचा के माध्यम से शरीर से पानी के नुकसान को तेज कर सकती है.


दिल की सेहत पर डिहाइड्रेशन का नेगेटिव प्रभाव


खून का गाढ़ापन
पानी कम पीने पर खून गाढ़ा और अधिक चिपचिपा हो सकता है. क्योंकि गाढ़े खून को पंप करना अधिक कठिन होता है, जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ सकता है और दिल पर दबाव बढ़ सकता है.


दिल की गति और स्ट्रोक की मात्रा
दिल उत्पादन को बनाए रखने के लिए डिहाइड्रेशन दिल की गति में वृद्धि को प्रेरित कर सकता है. साथ ही, स्ट्रोक वॉल्यूम (प्रति दिल की धड़कन में पंप किए गए रक्त की मात्रा) कम हो सकती है, जिससे दिल पर और अधिक दबाव पड़ता है.


इलेक्ट्रोलाइट असंतुलन
डिहाइड्रेशन पोटेशियम और सोडियम इलेक्ट्रोलाइट संतुलन को बिगाड़ देता है, जो हेल्दी हार्ट फंक्शन के लिए आवश्यक है. कुछ इलेक्ट्रोलाइट्स में असंतुलन अनियमित दिल की धड़कन का कारण बन सकता है.


खून के थक्कों का बढ़ा हुआ जोखिम
डिहाइड्रेशन खून को गाढ़ा करता है, जिससे थक्के बनने का खतरा बढ़ जाता है. खून के थक्के नसों को ब्लॉक कर सकते हैं, जिससे दिल का दौरा या स्ट्रोक हो सकता है.