छोटे बच्चों को शुगर ड्रिंक्स पिलाना न सिर्फ उनके दांतों के लिए हानिकारक होता है, बल्कि यह उनके 'मीठा जहर' साबित हो सकता है. शुगर ड्रिंक्स पीने वाले बच्चे भविष्य में मोटापे का खतरा भी बढ़ा सकता है. हाल ही में हुए एक अध्ययन में पाया गया है कि जिन बच्चों को बचपन में फलों के जूस के बजाय शुगर ड्रिंक्स पिलाए जाते थे, उनके 24 साल की उम्र में अधिक वजन होने की संभावना अधिक थी.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

स्वानसी यूनिवर्सिटी के स्कूल ऑफ साइकोलॉजी द्वारा किए गए इस अध्ययन में जन्म से लेकर वयस्कता तक 14 हजार से अधिक ब्रिटिश बच्चों की डाइट की आदतों को ट्रैक किया गया. अध्ययन में पाया गया कि जो बच्चे दो साल की उम्र से पहले कोल्ड ड्रिंक्स या मीठे फलों के सिरप जैसे शुगर रिच ड्रिंक्स पीते थे, उनके वजन में अधिक वृद्धि देखी गई. शोधकर्ताओं के अनुसार, इन ड्रिंक्स में मौजूद एक्स्ट्रा चीनी न केवल बच्चों का वजन बढ़ाती है, बल्कि अनहेल्दी खाने की आदतों को भी जन्म देती है.


अध्ययन का रिजल्ट क्या?
अध्ययन में यह भी पाया गया कि फलों का रस पीने वाली लड़कियों का वजन कम था, जबकि लड़कों के वजन में कोई खास अंतर नहीं देखा गया. विशेषज्ञों का मानना है कि फलों के रस में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो बच्चों को जल्दी तृप्ति का एहसास दिलाती है. वहीं, मीठे शुगर ड्रिंक्स में फाइबर नहीं होता, जिससे बच्चे जल्दी भूख महसूस करते हैं और अधिक खाते हैं.


एक्सपर्ट का बयान
अध्ययन के मुख्य लेखक डॉ. लुईस बार्कर का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों को शुगर ड्रिंक्स पिलाने की आदत नहीं डालनी चाहिए. उनका सुझाव है कि बच्चों को पानी पीने की आदत डाली जानी चाहिए और शुगर ड्रिंक्स का सेवन को कम से कम किया जाना चाहिए. साथ ही, माता-पिता को अपने बच्चों को हेल्दी खाने की आदतें सिखानी चाहिए, जिसमें फल, सब्जियां और साबुत अनाज शामिल हों.


यह अध्ययन इस बात का सबूत है कि बचपन में खान-पान की आदतें वयस्क जीवन में मोटापे के खतरे को काफी हद तक प्रभावित करती हैं. माता-पिता को अपने बच्चों के स्वास्थ्य का ख्याल रखना चाहिए और उन्हें बचपन से ही स्वस्थ खाने की आदतें डालनी चाहिए.