दिल्ली-एनसीआर में छाए धुंध और प्रदूषण के कारण लोगों को पर्याप्त धूप नहीं मिल रही है, जिससे विटामिन डी की कमी बढ़ रही है. हालांकि, विशेषज्ञों ने एक ही बार में विटामिन डी की हाई डोज लेने को बेहद खतरनाक बताया है.


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टीओआई में छपी एक खबर के अनुसार, एम्स के एंडोक्रिनोलॉजी विभाग के डॉक्टर रविंदर गोस्वामी ने बताया कि 6,00,000 IU का विटामिन डी इंजेक्शन हड्डियों की सेहत पर बुरा असर डाल सकता है. इसके अलावा, यह किडनी स्टोन जैसी गंभीर समस्याओं का कारण भी बन सकता है. डॉक्टर गोस्वामी ने कहा कि विटामिन डी की कमी को दूर करने के लिए महीने में एक बार 60,000 IU का सेवन पर्याप्त है.


इसी तरह, यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिकल साइंसेज के डॉक्टर एसवी मधु ने बताया कि कैल्सिट्रिओल जैसे एक्टिव एनालॉग्स का उपयोग सिर्फ किडनी संबंधी समस्याओं के लिए किया जाता है और इन्हें सामान्य विटामिन डी की कमी के लिए नहीं लिया जाना चाहिए.


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नेचुरल विटामिन डी की भूमिका
डॉक्टरों के अनुसार, विटामिन डी कैल्शियम के अवशोषण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. यह हड्डियों को मजबूत बनाने और उनके मिनरलाइजेशन में मदद करता है. विशेषज्ञों ने सलाह दी है कि विटामिन डी सप्लीमेंट को दूध, संतरे के जूस या पानी के साथ लेना चाहिए. लेकिन इसे सीधे तरल पदार्थ में मिलाने के बजाय, पहले मुंह में रखना चाहिए.


प्रदूषण और विटामिन डी की कमी
सर्दियों में बढ़ते प्रदूषण और कम धूप के कारण भारतीय आबादी में विटामिन डी की कमी बढ़ रही है. भारतीय त्वचा में मौजूद मेलानिन के कारण सूरज की किरणों से पर्याप्त विटामिन डी बनाना मुश्किल हो जाता है. इसके लिए, साफ आसमान के दौरान सुबह 10 से 2 बजे के बीच 15-30 मिनट धूप लेना जरूरी है.


खाने से पूरा करना मुश्किल
अंडे और मछली जैसे फूड में विटामिन डी होता है, लेकिन मात्रा इतनी कम है कि केवल इन्हीं से डेली आवश्यकता पूरी करना व्यावहारिक नहीं है. विशेषज्ञों ने सुझाया कि बैलेंस डाइट और नियमित धूप से ही विटामिन डी की कमी को कंट्रोल किया जा सकता है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.