Impact of PCOS And Ayurvedic Ways To Manage It: इंटरनेशनल वूमेंस डे हर साल 8 मार्च को मनाया जाता है, जो दुनिया भर में महिलाओं की सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक कामयाबियों का जश्न मनाता है. इस खास मौके पर हमें उन साइलेंट हेल्थ स्ट्रगल पर गौर करन चाहिए जिनका सामना कई महिलाओं को पड़ता है. ऑयुर्वेदिक एक्सपर्ट डॉ. पूजा कोहली (Dr. Pooja Kohli) ने महिलाओं की परेशानी पीसीओएस को लेकर बात की.


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

पीसीओएस का महिलाओं पर असर


डॉ. पूजा ने बताया कि पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम (Polycystic Ovary Syndrome) जिसे पीसीओएस (PCOS) भी कहा जाता है, ये महिलाओं के रिप्रोडक्टिव हेल्थ को प्रभावित करने वाली एक कॉमन और अक्सर गलत समझी जाने वाला मेडिकल कंडीशन है, अनुमान है कि हर पांच में से एक महिला इसका सामना कर रही है. ये एक हार्मोनल डिसऑर्डर है जो ओवरियन सिस्ट और हार्मोनल इम्बैलेंस का कारण बनता है. ये सभी उम्र की महिलाओं को प्रभावित कर सकता है, जिसनें वजन बढ़ना, मेंस्ट्रुअल इर्रेगुलैरिटी, मुंहासे और बालों का झड़ना जैसे कई लक्षण होते हैं.



आयुर्वेद के जरिए पीसीओएस को कैसे करें मैनेज?


5,000 साल पुरानी भारतीय चिकित्सा प्रणाली होने के नाते आयुर्वेद शरीर, मन और आत्मा को एक दूसरे से जुड़ा हुआ माना जाता है.ये लक्षणों के बजाय मूल कारण का पता लगाते हुए एक हॉलिस्टिक अप्रोच अपनाता है. पीसीओएस के लिए पारंपरिक उपचारों में अक्सर संबंधित दुष्प्रभावों के साथ हार्मोनल एलोपैथिक उपचार शामिल होते हैं; इसलिए डॉ. पूजा कोहली, पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं में पैदा होने वाली चुनौतियों को कम करने के लिए आयुर्वेद से जुड़े सुझाव के बारे में बात कर रही हैं.



1. आयुर्वेद की जड़ी-बूटी को डाइट में करें शामिल



अशोक, विजया, शतावरी जैसे हर्ब्स हार्मोनल इम्बैलंस को रेगुलेट करने, सूजन को कम करने और हेल्दी मेंस्ट्रुअल फ्लो को बढ़ावा देने के लिए जाने जाते हैं. इसके अलावा, एक स्टडी से पता चला है कि विजया से पीसीओएस के इलाज में सकारात्मक प्रभाव पड़ता है. ये जड़ी-बूटियां, जिन्हें अक्सर चाय या सप्लीमेंट के रूप में सेवन किया जाता है, पारंपरिक दर्द दवाओं का एक प्राकृतिक और बेहतरीन विकल्प प्रदान करती हैं.


2. एंटी-इंफ्लेमेंट्री फूड्स का सेवन करें


पीसीओएस से पीड़ित महिलाओं को ऐसा आहार अपनाने की सलाह दी जाती है जो हार्मोनल बैलेंस को सपोर्ट करते हैं. इसमें हल्दी और अदरक जैसे एंटी-इंफ्लेमेंट्री फूड्स को शामिल करना शामिल है. कैफीन का सीमित सेवन इंसुलिन सेंसिटिविटी को रेगुलेट करने में मदद करता है. इसके अलावा प्रोसेस्ड फूड्स और रिफाइंड शुगर से परहेज करना चाहिए, साथ ही लो फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स आपको बिना सेचुरेड फैट्स के जरूरी पोषक तत्व प्रदान करता है.


3. योग और मेडिटेशन करें


मन और शरीर का संबंध आयुर्वेद का केंद्र माना जाता है. योग और ध्यान जैसी प्रथाएं तनाव को प्रबंधित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं, जो हार्मोनल डिस्ट्रपशंस में अहम रोल अदा करता है. विशिष्ट योग मुद्राएँ जैसे कि चाइल्ड पोज (बालासन), बाउंड एंगल पोज (बद्ध कोणासन) और आगे की ओर झुकना (उत्तानासन) मासिक धर्म की परेशानी और तनाव को कम कर सकतो हैं. साथ ही ये योगासन ओवरऑल सर्कुलेशन में सुधार कर सकते हैं और इमोशनल वेलबीइंग को बढ़ावा दे सकते हैं.


4. तेल मालिश करें


अभ्यंग (गर्म तेल से खुद की मालिश करना) जैसी आयुर्वेदिक चिकित्सा पीसीओएस के लिए फायदेमंद है. लक्षणों को कम करने के लिए, स्कैल्प, चेहरे, गर्दन, कंधों, बाहों और धड़ पर तिल, नारियल या बादाम जैसे प्राकृतिक तेलों का उपयोग करें. मालिश के बाद, गर्म स्नान या हॉट शॉवर से पहले तेल को 10-15 मिनट के लिए अपनी त्वचा पर लगा रहने दें, जिससे एब्जॉर्ब्शन बढ़ जाता है. ये पारंपरिक उपचार शारीरिक और मानसिक कल्याण के लिए बेहतरीन विकल्प होते हैं.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में घरेलू नुस्खों और सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.