Liver disease: लोगों को लिवर के रोगों से मुक्ति दिलाने के लिए शोधकर्ताओं ने नई दवा और उपचार करने  का तरीका खोज लिया है. कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के सैन डिएगो स्कूल ऑफ मेडिसिन में किए गए शोध में पता चला है कि नई दवा नॉन अल्कोहलिक स्टीटोहेपेटाइटिस (एनएएसएच) से संबंधित फाइब्रोसिस का उपचार संभव है. एनएएसएच शराब नहीं पीने वाले लोगों के लिवर में होने वाली एक तरह की बीमारी है, जो नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर (एनएएफएलडी) की तरह होती है.


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शोध का परिणाम दि न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुआ है. इस शोध में पाया गया है कि एक दवा की वजह से शरीर में हार्मोन के स्तर में सुधार हुआ, जिससे लीवर फाइब्रोसिस या लीवर में घाव या सूजन जैसी समस्या से पीड़ित व्यक्ति के लिवर की बीमारी में लाभ हुआ.


सिरोसिस जैसी बीमारी से बच सकते हैं मरीज
अध्ययन के पहले लेखक एमडी रोहित लूंबा ने बताया कि एनएएसएच के लिए प्रभावशाली दवा की खोज मरीजों के लिए बहुत राहत भरी बात है क्योंकि इस समस्या से जूझ रहे मरीजों के लिए फिलहाल कोई दवा उपलब्ध नहीं है. लूंबा ने बताया कि एनएएसएच की वजह से मरीजों के जीवन पर बुरा प्रभाव पड़ता है और वे भविष्य में सिरोसिस से भी पीड़ित हो सकते हैं. अगर यह गंभीर हो जाए तो मरीज की जान भी जा सकती है या लिवर प्रत्यारोपण की नौबत भी आ सकती है.


क्या है एनएएफएलडी
एनएएफएलडी और एनएएसएच को साइलेंट डिजीज के रूप में जाना जाता है क्योंकि लक्षण दिखाई नहीं देते हैं. जिनका वजन ज्यादा हो या डायबिटीज के मरीज हो, उनके इस बीमारी से ग्रसित होने की आशंका रहती है.


भारत में हर साल 60 करोड़ लोग होते हैं पीड़ित
लीवर फाउंडेशन के अनुसार भारत में हर साल 60 करोड़ लोग लिवर से संबंधित अलग-अलग बीमारियों से पीड़ित होते हैं. ये मरीज फैटी लिवर, वायरल हेपेटाइटिस और लिवर कैंसर सहित इससे जुड़ी 50 अलग-अलग बीमारियों से ग्रसित होते हैं. इनमें से 10 करोड़ बच्चे होते हैं. हेपेटाइटिस, जॉन्डिस, सिरोसिस, कैंसर, आनुवांशिक परेशानी आदि लिवर की प्रमुख बीमारियां हैं.


लिवर की सूजन और चोट ठीक होगी
शोधकर्ताओं ने पाया कि पंगो जफरमाइन नाम की दवा शरीर में फाइब्रोब्लास्ट की वृद्धि के कारक एफजीएफ 21 को बढ़ाता है, जिससे लिवर में पेप्टाइड नाम का हार्मोन स्रावित होता है. यह हार्मोन स्वस्थ लोगों में प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होता है. एफजीएफ 21 का काम शरीर में ऊर्जा और लिवर में लिपिड मेटाबॉलिज्म का नियंत्रण करना है. लूंबा ने कहा कि उपचार की नई पद्धति से फाइब्रोसिस के अलावा लिवर की सूजन भी ठीक होती है.