देशभर में मंकीपॉक्स (Monkeypox) के मामले धीरे-धीरे बढ़ रहे हैं, जिसको लेकर सभी चिंतित हैं. इंडिया में अब तक कुल 9 मामले सामने आ चुके हैं जिसमें में से 5 केस केरल और 4 दिल्ली में मिले हैं. विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार, मंकीपॉक्स में विश्व स्तर पर फैलने की क्षमता है और इस बीमारी से भारत में एक मरीज की मौत हो चुकी है. तो आइए बताते हैं इस वायरस के बारे में 10 जरूरी बातें जो आपको जाननी चाहिए.


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1. क्या है मंकीपॉक्स?
चेचक से संबंधित एक वायरस मंकीपॉक्स आमतौर पर पश्चिम और मध्य अफ्रीका में पाया जाता है. यह पहली बार 1958 में खोजा गया था, जब एक स्टडी के दौरान बंदरों में चेचक जैसी बीमारी के दो प्रकोप देखे गए थे. इसलिए इस बीमारी का नाम भी बंदरों पर ही रखा गया. मंकीपॉक्‍स, कोरोना की तरह असिम्‍टोमैटिक या बिना लक्षणों वाला नहीं हो सकता है.


2. मंकीपॉक्स कैसे फैलता है?
यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है. दूसरा तरीका संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आना, दूषित बिस्तर को छूना या किसी संक्रमित व्यक्ति द्वारा काट लिए जाने से मंकीपॉक्स फैलता है.


3. मंकीपॉक्स के लक्षण
मंकीपॉक्स के कुछ लक्षण हैं- चेहरे या शरीर के अन्य क्षेत्रों पर दाने, बुखार, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द, पीठ दर्द, ठंड लगना, थकान और लिम्फ नोड्स में सूजन. यदि ये लक्षण आपको दिखाई पड़ते हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें.


4. कौन सी आयु वर्ग के लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं?
यह अक्सर छोटे बच्चों से लेकर वरिष्ठ नागरिकों तक के सभी वर्ग के लोगों को प्रभावित करता है. यदि किसी में मंकीपॉक्स पाया जाता है, तो उसे अपनी सुरक्षा के लिए अत्यधिक सावधानी बरतनी चाहिए.


5. मंकीपॉक्स के प्रभाव
यह आमतौर पर हल्का होता है. लेकिन कभी-कभी, इसका प्रकोप ज्यादा हो जाता है, जिससे आपकी मौत भी हो सकती है. जब किसी के स्वास्थ्य की बात आती है, तो उसे सक्रिय रहना चाहिए और मंकीपॉक्स से बचने के लिए सभी आवश्यक सावधानियां बरतनी चाहिए.


6. मंकीपॉक्स से कैसे करें बचाव
संक्रमित जानवरों या मनुष्यों के संपर्क में न आएं. अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने की कोशिश करें. अपने हाथों को साबुन और पानी से अच्छी तरह धोएं. अगर आपको लगता है कि आप मंकीपॉक्स से संक्रमित हैं, तो दूसरे लोगों से दूरी बनाकर रखें और डॉक्टर से सलाह लें.


7. मंकीपॉक्स चिंता का कारण क्यों?
मंकीपॉक्स चिंता का कारण इसलिए भी है क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलता है और यह जानलेवा भी हो सकता है. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, मंकीपॉक्स से पीड़ित 10 मरीजों में से एक की मृत्यु हो जाती है. हालांकि, हल्के मामले कुछ ही हफ्तों में पूरी तरह से ठीक हो सकते हैं. यह वायरस आम तौर पर म्यूकोसल झिल्ली, सांस लेने या त्वचा के घावों (आंख, नाक या मुंह) के माध्यम से शरीर के अंदर पहुंच सकता है. मंकीपॉक्स के मरीजों को डॉक्टर की सभी सलाहों का पालन करें. इसके किसी भी संकेत को कभी नजरअंदाज न करें.


8. मंकीपॉक्स का इलाज
फिलहाल, मंकीपॉक्स का कोई इलाज उपलब्ध नहीं है. हालांकि, चेचक के टीकाकरण से इस वायरस के होने के जोखिम को कम किया जा सकता है.


9. मंकी फीवर क्या है
लोग अक्सर मान लेते हैं कि मंकीपॉक्स और मंकी फीवर एक है, लेकिन ऐसा बिलकुल भी नहीं है. मंकी फीवर का वायरस फ्लैविविरिडे परिवार का सदस्य है और यह टिक, पक्षियों और अन्य जानवरों द्वारा फैलता है. यह एक वेक्टर द्वारा फैलने वाली बीमारी है. आम तौर पर इससे इंसान और बंदर दोनों ही प्रभावित होते हैं. इसका पहला उदाहरण मार्च 1957 में कर्नाटक के क्यासानूर जंगल में देखा गया था, जहां कई बंदरों की मौत के बाद बहुत सारे लोग बीमार हो गए थे.


10. मंकीपॉक्स और मंकी फीवर में अंतर
मंकीपॉक्स के लक्षण चेचक के लक्षणों के समान है, लेकिन कम गंभीर है. बंदरों की बस्ती में जहां उन्हें शोध के लिए रखा गया था, वहां मंकीपॉक्स का पता चला था. मंकी फीवर टिक्स से फैलती है, जो बंदरों में पाए जाते हैं. इसके काटने से ही इंसान संक्रमित हो जाता है.