मेडिकल डिवाइस इंडस्ट्री 2024 में कई ट्रांसफॉर्मेटिव बदलावों से गुजर रहा है. तकनीक में प्रगति और बाजार की बदलती गतिशीलता के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) ड्रिवेन सॉल्यूशन, अगली पीढ़ी की अनुक्रमण, डिजिटल थैरेपी और बायोमीट्रिक उपकरणों की ओर तेजी से बढ़ रहा है. साथ ही यह ऑर्थोपेडिक्स, कार्डियोलॉजी और यूरोलॉजी जैसी विभिन्न मेडिकल एक्सपर्ट को भी प्रभावित कर रहा है.


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ट्रिविट्रॉन हेल्थकेयर के ग्रुप सीईओ चंद्रा गंजू बताती हैं कि डिजिटल थैरेपी ने महामारी के दौरान काफी शोहरत प्राप्त की. ये AI- संचालित उपकरण डॉक्टर्स को बीमारियों का लगभग डायग्नोस, मैनेजमेंट और इलाज करने में सक्षम बनाते हैं, जिससे देखभाल की एफिशिएंसी और पहुंच में वृद्धि होती है. फ्रॉस्ट एंड सुलिवैन के अनुसार, 2025 तक अमेरिकी बाजार में डिजिटल चिकित्सा के 29.8% की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने का अनुमान है।


घर पर ही बीमारी का पता लगाने वाले उपकरण (जो मरीजों को सेल्फ-टेस्ट करने में सक्षम बनाते हैं) महामारी के दौरान भी काफी लोकप्रिय हुए. इन-विट्रो डायग्नोस्टिक बाजार, हालांकि महामारी के बाद धीमा हो गया है, लेकिन इसने अलग-अलग बीमारियों के डायग्नोस में सेल्फ टेस्ट की क्षमता को प्रदर्शित किया है, जिससे उपभोक्ता बाजार का विस्तार हुआ है और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार हुआ है.


वियरएबल और बायोमीट्रिक तकनीक भी अनुकूल विकास पथ पर हैं, ग्लोबल मार्केट 2033 तक 161 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है, जो 6% की सीएजीआर से बढ़ रहा है. इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) और फोटोप्लेथिस्मोग्राम (पीपीजी) जैसे विशेष सेंसरों के साथ लोकप्रिय उपकरण उपभोक्ताओं को अपनी सेहत का मैनेजमेंट करने में सक्षम बनाते हैं. हेल्थकेयर सेक्टर में वीयरएबल टेक्नोलॉजी को अपनाने में ऑडियोलॉजी, कीनेसियोलॉजी और ऑक्यूपेशनल थेरेपी शामिल हैं. जनरेटिव एआई (genAI) और वैकल्पिक डेटा निवेश में इनोवेशन इस सेक्टर में विकास को और तेज कर रहे हैं.