हम अक्सर सेहत से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण निर्णय लेने के लिए अपनी आंत की सुनते हैं. आंत या गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल सिस्टम (Gastrointestinal System) बनाने वाले सबसे महत्वपूर्ण अंगों में से एक पेट है, जो आंतों की सेहत के नाजुक बैलेंस को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है. विशेष रूप से, भोजन को तोड़ने की जटिल प्रक्रिया को शुरू करके यह पोषक तत्वों को अब्जॉर्ब करने में मदद करता है.


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पेट में होने वाले सामान्य संक्रमण असहज लक्षण पैदा कर सकते हैं जैसे हल्का या तेज दर्द, पेट फूलना, जी मिचलाना, उल्टी, भूख न लगना. लेकिन सवाल यह है कि हम कितनी बार सही पता करने के लिए डॉक्टर के पास जाते हैं? जबकि कई बैक्टीरियल संक्रमण आंतों की सेहत को प्रभावित कर सकते हैं, एच. पाइलोरी (H. pylori)  सबसे आम मानव बैक्टीरियल संक्रमण है, जो दुनिया भर में लगभग 4.4 बिलियन लोगों को प्रभावित करता है.


एबॉट के रैपिड डायग्नोस्टिक्स बिजनेस, इंडिया की मेडिकल अफेयर्स डायरेक्टर डॉ. निधि लूंबा ने कहा कि लोगों के पाचन और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संबंधी स्वास्थ्य की रक्षा उनकी पूरी सेहत के लिए महत्वपूर्ण है. संक्रमण के संकेतों को जल्दी पहचानना और तुरंत डायग्नोस कराना लोगों को तेजी से ठीक होने में मदद कर सकता है. ऐसे सरल और तेज पॉइंट-ऑफ-केयर टेस्ट उपलब्ध हैं जो संक्रमण का जल्दी पता लगाने में मदद कर सकते हैं ताकि आपका डॉक्टर उचित उपचार प्लान या लाइफस्टाइल में बदलाव की सलाह दे सके.


नई दिल्ली स्थित मैक्स सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में गैस्ट्रोएंटरोलॉजी और हेपेटोलॉजी विभाग के वरिष्ठ निदेशक और अध्यक्ष डॉ. राजेश उपाध्याय ने कहा कि भारत में लगभग 80% आबादी एच. पाइलोरी से संक्रमित है. यदि इसका पता नहीं चलता है और इलाज नहीं किया जाता है, तो यह बैक्टीरियल संक्रमण पूरी सेहत को प्रभावित कर सकता है और इसमें अक्सर उपचार, व्यायाम, डाइट में बदलाव और यहां तक ​​कि तनाव कंट्रोल करने की आवश्यकता होती है. परेशान करने वाले लक्षण पैदा करने के अलावा, एच. पाइलोरी अन्य स्वास्थ्य समस्याओं को भी जन्म दे सकता है, जिन्हें रोकना या उनका समाधान करना महत्वपूर्ण है. जल्दी पता लगाना लोगों को इस संक्रमण की तुंरत पहचान करने में मदद करने के लिए महत्वपूर्ण है, ताकि वे इसका सही इलाज कर सकें और अपना बेहतर ख्याल रख सकें.


पेट का संक्रमण कैसे होता है?
एच. पाइलोरी से संक्रमित ज्यादातर मरीजों में लक्षण नहीं होते हैं, कुछ मामलों में संक्रमण के कारण पेट की परत (गैस्ट्राइटिस) में दर्दनाक घाव या अल्सर, लालिमा या सूजन हो सकती है, या अपच का अनुभव हो सकता है. लंबे समय तक चलने वाले मामलों में, यह विभिन्न प्रकार के पेट के कैंसर के खतरे को भी बढ़ा सकता है. यह संक्रमण गैस्ट्रिक अल्सर वाले 50% से 65% भारतीय मरीजों और गैस्ट्रिक कैंसर वाले 42% से 75% मरीजों में पाया जाता है. इसके अलावा, पेट की सुरक्षा करने वाली परत को कमजोर करके, यह इसे तनाव और अन्य के प्रभावों के लिए अधिक सेंसिटिव बना सकता है.


किन्हें है अधिक खतरा?
एच. पाइलोरी नाम का बैक्टीरिया आमतौर पर बच्चों को उनकी जिंदगी के पहले 10 सालों में संक्रमित करता है. हालांकि, इससे होने वाली बीमारियां ज्यादातर वयस्कों में ही देखी जाती हैं. यह बैक्टीरियल संक्रमण छूत का है और अक्सर व्यक्ति-से-व्यक्ति संपर्क या दूषित पानी या खाने के माध्यम से फैलता है. रिस्क फैक्टर्स में भीड़भाड़ वाली या अस्वच्छ रहने की स्थिति, साफ बहते पानी की अविश्वसनीय आपूर्ति और संक्रमण से ग्रस्त व्यक्ति के साथ रहना या उससे निकट संपर्क शामिल हैं.