शार्क टैंक इंडिया 3 के सीजन में जज अपने जीवन से जुड़े सेंसिटिव मुद्दों पर खुलकर बात करते नजर आ रहे हैं. इस कड़ी में हाल ही में विनीता सिंह Sugar कॉस्मेटिक की सीईओ और को-फाउंडर ने यह खुलासा किया है कि वह जन्म के बाद 3 दिन तक अपनी मां से दूर थी. क्योंकि उनका बर्थ प्रीमैच्योर था. सात हफ्ते पहले जन्म होने के कारण  उन्हें 2 हफ्ते तक इनक्यूबेटर में गुजारना पड़ा था.


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अपने प्रीमैच्योर बर्थ का खुलासा उन्होंने तब किया जब फाउंडर्स मनोज शंकर और प्रत्युषा पारेड्डी ने अपने निमो केयर ब्रांड के बारे में बात की. बता दें कि प्रीमैच्योर डिलीवरी बच्चे और मां दोनों के लिए बहुत ही मुश्किल होता है. ऐसे में कई बच्चों की मौत भी हो जाती है.

क्या होता है प्रीमैच्योर डिलीवरी

CDC के अनुसार, जब प्रेगनेंसी के 37 सप्ताह पूरे होने से पहले ही बच्चे को गर्भ से बाहर निकालना पड़ता है तो इसे प्रीमैच्योर डिलीवरी कहा जाता है. यह बहुत ही जोखिम भरा हो सकता है, क्योंकि आखिरी के कुछ हफ्ते बच्चे के संपूर्ण विकास के लिए सबसे अहम होते हैं. क्योंकि इस दौरान बच्चे का ब्रेन, लंग्स और लीवर पूरी तरह विकसित हो रहे होते हैं.


हर साल होते हैं इतने प्रीमैच्योर बर्थ 

WHO के अनुसार, दुनियाभर में पैदा होने वाला हर दसवां बच्चा प्रीमैच्योर होता है. जिसमें से हर 40 सेकेंड में 1 की मौत होती है. आंकड़ों के मुताबिक 2020 में लगभग 13.4 मिलियन प्रीमैच्योर डिलीवरी हुई थी. जिसमें  1 मिलियन बच्चों की मौत हो गयी थी.


किन कारणों से होती है प्रीमैच्योर डिलीवरी

ज्यादातर प्रीमैच्योर डिलीवरी अनायास ही होते हैं, लेकिन कुछ चिकित्सा कारणों जैसे डायबिटीज, इंफेक्शन या फिर प्रेगनेंसी कॉम्प्लिकेशन की वजह से भी यह होता है. हालांकि इसके कारणों को सही तरह से समझने के लिए और अधिक रिसर्च की जरूरत बताई जाती है.


प्रीमैच्योर डिलीवरी से पहले नजर आते हैं ये संकेत


  • पीठ के निचले हिस्से में एक सुस्त दर्द

  • पेल्विस में दबाव, जैसे कि आपका बच्चा नीचे धकेल रहा हो

  • हाथों, पैरों या चेहरे की सूजन

  • एक घंटे में चार बार से अधिक कॉन्ट्रैक्शन

  • मतली, उल्टी या दस्त

  • आंखों की रोशनी में समस्या 

  • मासिक धर्म दर्द की तरह पेट में ऐंठन


प्रीमैच्योर बर्थ को रोकने में कारगर साबित होते हैं ये उपाय

नियमित रूप से अपने डॉक्टर से मिलें. मधुमेह, उच्च रक्तचाप या अवसाद जैसी किसी भी स्वास्थ्य समस्या को नजरअंदाज ना करे उसे सही तरह से मैनेज करें.इसके अलावा धूम्रपान, शराब या अवैध दवाओं का उपयोग न करें. संतुलित आहार लें.