Tuberculosis: दुनिया भर में टीबी से होने वाली मौत और संक्रमित लोगों की संख्या में पहली बार वृद्धि हुई है. यह बात डब्ल्यूएचओ ग्लोबल ट्यूबरक्लोसिस रिपोर्ट 2022 में सामने आई है. इसके लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने कोविड-19 (कोरोना) को दोषी ठहराया है. डब्ल्यूएचओ ने कहा कि कोरोना महामारी ने टीबी के डायग्नोस और उपचार तक पहुंच पर हानिकारक प्रभाव डाला है.


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टीबी बीमारी एक गंभीर बैक्टीरियल रोग है, जो मुख्य रूप से फेफड़ों को प्रभावित करता है. कोरोना के बाद टीबी दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी है. इसके बैक्टीरियल ज्यादातर हवा में एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैलते हैं (जैसे कि जब कोई संक्रमित व्यक्ति खांसता या छींकता है). यह ज्यादातर वयस्कों को प्रभावित करता है, खासकर उन्हें, जो कुपोषित हैं या एचआईवी जैसी अन्य बीमारी से पीड़ित हैं. यह देखा गया है कि टीबी के 95% से अधिक मामले विकासशील देशों में हैं.


बढ़ते टीबी मामलों पर कोरोना प्रतिबंधों का प्रभाव
डब्ल्यूएचओ का कहना है कि लॉकडाउन जैसे कोरोना प्रतिबंधों ने टीबी उपचार सेवाओं में बाधा उत्पन्न की है, क्योंकि कुछ लोगों ने कोरोना के डर से स्वास्थ्य सुविधाओं में जाना छोड़ दिया होगा. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोरोना काल में टीबी से पीड़ित तीन में से केवल एक व्यक्ति उचित उपचार प्राप्त कर रहा था.


टीबी संक्रमण और मौतों का डेटा
संयुक्त राष्ट्र की स्वास्थ्य एजेंसी के अनुसार, 2021 में दुनिया भर में 10 मिलियन से अधिक लोग टीबी से पीड़ित थे, जो कि एक साल पहले की तुलना में 4.5% अधिक है. इनमें से 4,50,000 मामलों में दवा प्रतिरोधी टीबी से संक्रमित लोग शामिल थे, जो पिछले साल की संख्या से 3% अधिक है. डब्ल्यूएचओ ने बताया कि 2021 में लगभग 1.6 मिलियन (16 लाख) लोगों ने अपनी जान गंवाई. आंकड़ों के अनुसार, टीबी से नए लोगों की पहचान 2019 में 70 लाख से गिरकर 2020 में 58 लाख हो गई.