विटामिन बी6 (पाइरिडोक्सिन) एक पानी में घुलनशील विटामिन है, जो प्राकृतिक रूप से कई खाद्य पदार्थों में पाया जाता है. यह शरीर में रेड ब्लड सेल्स और न्यूरोट्रांसमीटर के निर्माण के लिए महत्वपूर्ण होता है. विटामिन बी6 हमें सप्लीमेंट्स या बैलेंस डाइट से मिलता है. विटामिन बी6 कई सारी गंभीर बीमारियों के खतरे को कम करता है. दूसरे विटामिन की तरह, विटामिन बी6 भी शरीर में खाने को एनर्जी में बदलने में मदद करता है. इसके साथ ही हमारे शरीर में खाने से पोषक तत्वों को अवशोषित करने में भी मदद करता है. शोधकर्ता बताते हैं कि विटामिन बी6 हमारी इम्यूनिटी मजबूत और दिमाग के कुछ कामों में भी मदद करता है. लेकिन शरीर में विटामिन बी6 ज्यादा हो जाने से आपकी सेहत खराब हो सकती है.


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शरीर में विटामिन बी6 का टॉक्सिक होना दुर्लभ है, क्योंकि ज्यादा बी विटामिन पेशाब के माध्यम से निकल जाते हैं. ज्यादा मात्रा में विटामिन लेने से शरीर में टॉक्सिक पदार्थ बन सकते हैं. 200 मिलीग्राम से ज्यादा विटामिन बी6 की खुराक लेने से न्यूरोलॉजिकल डिसऑर्डर, नस डैमेज और पैर पैरालाइज हो सकते हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, 50 वर्ष से कम उम्र के लोगों को रोजाना सिर्फ 1.3 मिलीग्राम विटामिन बी6 लेना चाहिए. वहीं, 50 वर्ष से ज्यादा उम्र की महिलाओं को 1.5 मिलीग्राम और पुरुषों को 1.7 मिलीग्राम विटामिन बी6 लेना चाहिए.


किन फूड्स में होता है विटामिन बी 6
चिकन, मछली, चने, मूंगफली, सोयाबीन, जई, केले और दूध में विटामिन बी6 की मात्रा अधिक होती है. जिन लोगों को किडनी की बीमारी होती है, उनमें विटामिन बी6 की कमी हो सकती है.


विटामिन बी6 की कमी
विटामिन बी6 की कमी अक्सर तब होती है, जब शरीर में अन्य बी विटामिन कम होते हैं, विशेष रूप से विटामिन बी12 और फोलिक एसिड. हल्की विटामिन बी 6 की कमी के कोई लक्षण नहीं हो सकते हैं, लेकिन अधिक गंभीर या लंबे समय तक इसकी कमी होने से माइक्रोसाइटिक एनीमिया, स्किन प्रॉब्लम, डिप्रेशन, भ्रम और इम्यूनिटी कम हो सकती है. किडनी की बीमारी, ऑटोइम्यून आंतों के विकार में रोग और रुमेटीइड गठिया जैसी बीमारियां विटामिन बी6 के ज्यादा होने से हो सकती हैं.


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