न्यूयॉर्क: एचआईवी का इलाज करा रहे रोगियों में विटामिन-डी की कमी उनके स्वस्थ होने में बाधक साबित हो सकती है। एक नए अध्ययन में यह बात सामने आई है। ऐसे एचआईवी रोगियों को स्वास्थ्य में गिरावट और ज्यादा संघर्ष का सामना करना पड़ता है, क्योंकि उनका प्रतिरक्षा तंत्र प्रभावी रूप से कार्य नहीं कर पाता है।


COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अमेरिका की जॉर्जिया यूनिवर्सिटी के सहायक प्रोफेसर अमारा ऐजियामामा ने कहा, एचआईवी संक्रमण में शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता खत्म हो जाती है, जिसके कारण संक्रमित व्यक्ति की जल्द ही मौत हो जाती है। ऐसे में एंटीरेट्रोवायरल थेरेपी (एचआईवी से लड़ने वाली दवा) प्रतिरक्षा तंत्र को फिर से मजबूत कर स्थिति को काबू करने में मदद करती है।


एजियामामा ने कहा, हमारा लक्ष्य इस बात को समझना था कि क्या विटामिन डी की कमी एचआईवी के इलाज के दौरान प्रतिरक्षा तंत्र को फिर से मजबूत करने में मददगार साबित होता है या नहीं। एचआईवी रोगियों के प्रतिरक्षा तंत्र की स्थिति आमतौर पर सीडी 4 प्लस टी कोशिकाओं से मापी जाती है। ये टी कोशिकाएं प्रतिरक्षा तंत्र को रोगाणुओं (पैथोजेन्स) से लड़ने में मदद करती हैं। एजियामामा ने एचआईवी से पीड़ित 398 रोगियों पर 18 महीनों तक अध्ययन किया, जिसके तहत शून्य, तीन, छह, 12 तथा 18वें महीने में उनके प्रतिरक्षा तंत्र की स्थिति की जांच की गई।


जिन लोगों में विटामिन डी की मात्रा अपर्याप्त थी, उनकी तुलना में पर्याप्त मात्रा वाले रोगियों में बेहतर सुधार देखने को मिला। खासकर वयस्कों में विटामिन-डी की मदद से सीडी 4 प्लस टी कोशिकाएं ज्यादा तेजी से मजबूत हुईं। विटामिन-डी की पर्याप्त मात्रा युवा और कम वजन वाले एचआईवी रोगियों के लिए ज्यादा लाभकारी है।


उन्होंने बताया, एचआईवी रोगियों को विटामिन-डी का अलग-अलग स्तर देने पर उनमें अलग-अलग तरह का सुधार देखा गया है। हमें विटामिन-डी और सीडी 4 प्लस टी कोशिकाओं के बीच बेहतर संबंध देखने को मिले हैं। यह शोध पत्रिका 'क्लीनिकल न्यूट्रीशन' में प्रकाशित हुआ है।