क्या आपने कभी किसी एथलीट को शरीर पर लाल निशानों के साथ देखा है? हो सकता है वो कपिंग थेरेपी ले रहे हों. हाल के वर्षों में, कपिंग थेरेपी ने काफी लोकप्रियता हासिल की है. कई ओलंपिक एथलीट्स इसे अपने फिटनेस रूटीन का हिस्सा बना चुके हैं. लेकिन आखिर क्या है कपिंग थेरेपी और कैसे ये एथलीट्स की मदद करती है?


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कपिंग थेरेपी एक प्राचीन मेडिकल प्रेक्टिस है, जिसमें गर्म कपों को त्वचा पर लगाया जाता है. जब कप ठंडा होते हैं तो त्वचा के टिशू को खींचा जाता है, जिससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है. माना जाता है कि यह शरीर से गंदगी को निकालने में मदद करता है और दर्द को कम करता है.


कैसे काम करती है कपिंग थेरेपी?
कपिंग थेरेपी में गर्म कपों को त्वचा पर रखा जाता है. जब कप ठंडा होते हैं तो वे त्वचा को खींचते हैं, जिससे खून का फ्लो बढ़ जाता है. यह खून के फ्लो को बढ़ाने के साथ-साथ शरीर में सूजन को कम करने और मसल्स को आराम देने में मदद करता है.


कपिंग थेरेपी के फायदे
* कपिंग थेरेपी में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो मसल्स में दर्द और सूजन को कम करने में मदद करते हैं.
* कपिंग थेरेपी खून के फ्लो को बढ़ाती है, जिससे शरीर के टिशू को ज्यादा ऑक्सीजन और पोषक तत्व मिलते हैं.
* माना जाता है कि कपिंग थेरेपी शरीर से गंदगी को निकालने में मदद करती है.
* कपिंग थेरेपी से शरीर को रिलैक्स मिलता है और तनाव कम होता है.


ओलंपिक एथलीट्स क्यों लेते हैं कपिंग थेरेपी?
कई ओलंपिक एथलीट्स ने कपिंग थेरेपी को अपनाया है. इसका कारण यह है कि यह थेरेपी मसल्स में दर्द और थकान को कम करने में मदद करती है. एथलीट्स के लिए फिट रहना बहुत जरूरी होता है और कपिंग थेरेपी उन्हें इसमें मदद करती है.


Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.