टाइप 1 डायबिटीज एक क्रोनिक डिजीज है. लैंसेट की रिपोर्ट के अनुसार,  2021 में दुनिया भर में लगभग 9 मिलियन व्यक्ति टाइप 1 मधुमेह से पीड़ित थे. इनमें से 2 मिलियन 20 वर्ष से कम उम्र के, 6 मिलियन 20-59 वर्ष के और 2 मिलियन 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के थे.


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वैसे तो इस बीमारी का कोई एक ठोस इलाज नहीं है, इसे लाइफस्टाइल में बदलाव और दवा के साथ मैनेज किया जा सकता है. लेकिन हाल ही में चीनी वैज्ञानिकों ने स्टेम सेल ट्रांसप्लांट के माध्यम से टाइप 1 मधुमेह के एक मरीज को ठीक करने का दावा किया है. यह घटना मेडिकल साइंस में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानी जा रही है, और इसे विश्व में अपनी तरह का पहला मामला बताया गया है. यह खोज तियानजिन फर्स्ट सेंट्रल हॉस्पिटल' और 'पेकिंग यूनिवर्सिटी' के शोधकर्ताओं की टीम ने किया. इस स्टडी के परिणाम पिछले सप्ताह पत्रिका 'सेल' में प्रकाशित किए गए हैं.


क्या है टाइप 1 डायबिटीज

टाइप 1 डायबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है, जिसमें अग्नाशय इंसुलिन बनना पूरी तरह से बंद कर देता है. जिसके कारण खून में ग्लूकोज का लेवल बढ़ने लगता है.  


25 साल की लड़की हुई डायबिटीज फ्री

चीन के समाचार पत्र 'द पेपर' के अनुसार, 25 साल की महिला पिछले एक दशक से अधिक समय से टाइप 1 डायबिटीज का सामना कर रही थी. जो सेल्स ट्रांसप्लांट के लगभग 2.5 महीने के बाद पूरी तरह से इस बीमारी से ठीक हो चुकी है.


क्या होता है स्टेम सेल ट्रांसप्लांट

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट में इंसुलिन बनाने वाले अग्नाशय की डैमेज सेल्स को हेल्दी व्यक्ति के सेल्स के बदला जाता है. पहले इसके के लिए डोनर की जरूरत होती थी, जो इस थेरेपी का सबसे बड़ा ड्रॉबैक था. लेकिन अब यह प्रोसेस आसान हो गया है. अब ट्रांसप्लांट के लिए रासायनिक रूप से प्रेरित प्लुरिपोटेंट स्टेम सेल ड्राइब्ड आइलेट्स का इस इस्तेमाल किया जाता है. खास बात यह है कि इसमें सिर्फ आधे घंटे का समय लगता है.  

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इन बीमारियों में भी फायदेमंद

स्टेम सेल ट्रांसप्लांट से सिर्फ टाइप 1 डायबिटीज ही नहीं बल्कि कुछ तरह के कैंसर भी ठीक किए जा सकते हैं. यह कई तरह के ऑटोइम्यून डिजीज के लिए भी फ्यूचर में फायदेमंद साबित हो सकती है.