Yoga for strong bones: क्या आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं, जो ऑस्टियोपोरोसिस (Osteoporosis) से पीड़ित है? शरीर का मूलभूत संरचनात्मक घटक है हड्डियां, जो दिल और दिमाग सहित कई महत्वपूर्ण अंगों को सुरक्षा प्रदान करती हैं. हड्डियां जीवित टिशू होते हैं, जिनमें कैल्शियम और फास्फोरस सहित कई महत्वपूर्ण तत्व पाए जाते हैं, जिनकी हम सभी को आवश्यकता होती है.


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ऑस्टियोपोरोसिस क्या है?
ऑस्टियोपोरोसिस होने पर आपकी हड्डियां खराब हो सकती हैं. वे अक्सर कमजोर हो जाते हैं, जिससे वे काम में असमर्थ हो जाते हैं. उम्र से संबंधित ऑस्टियोपोरोसिस गंभीर हो सकता है और यहां तक कि आप शारीरिक विकलांगता भी हो सकते है. इसलिए इसे रोकने, मैनेज करने और इलाज के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए. यह एक ऐसी स्थिति है जो 45 वर्ष की आयु के बाद महिलाओं को प्रभावित करती है और 45 वर्ष की आयु से पहले पुरुषों में अधिक प्रचलित है.


ऑस्टियोपोरोसिस के लिए योगासन
योग गतिविधियों जैसे आसन, प्राणायाम और ध्यान की सहायता से आपकी हड्डियों की डेंसिटी में सुधार किया जा सकता है. पश्चिमोत्तानासन, वज्रासन और त्रिकोणासन जैसे योग आसनों को नियमित करने से हड्डियों के डेंसिटी में सुधार करने में मदद मिल सकती है.


प्राण मुद्रा में वज्रासन
इसके करने के लिए पैरों को मोड़कर घुटनों के बल पर बैठ जाएं. फिर अपने पैर के पंजों को पीछे करें. अब आराम से अपने शरीर को नीचे ले जाकर हिप्स को एड़ियों पर टिका दें. अब अपने हाथों को घुटनों पर रखें और सिर सीधा करें. फिर अपनी सांसों की गति पर ध्यान केंद्रित करें. आंखें बंद कर लें और सांस की गति पर ध्यान दें. इस आसन को कम से कम 5 मिनट और अधिकतम 10 मिनट तक करें.


पश्चिमोत्तानासन
इसके करने के लिए सबसे पहले पैर की उंगलियों को आगे और एक साथ रखें. फिर सांस लेते हुए अपने हाथों को ऊपर उठाएं और जितना संभव हो शरीर को आगे की ओर तब तक झुकाएं, जब हाथ पैर के तलवे को और नाक घुटने को छू जाए. आगे झुकते समय सांस छोड़ें. 


वीरभद्रासन
इसे करने के लिए सबसे पहले सीधे खड़े हो जाएं. अब अपने हाथों को फर्श के समानांतर उठाते हुए सिर को बाईं ओर मोड़ें. फिर बाएं पैर को भी 90 डिग्री बाईं ओर मोड़ें. अब अपने शरीर के वजन को महसूस करने के लिए धीरे-धीरे सांस लें और छोड़ें. ध्यान रहे कि आपका वजन दोनों पैरों पर बराबर होना चाहिए.


त्रिकोणासन
इसे करने के लिए सबसे पहले आप जमीन पर सीधे खड़े हो जाएं. अब पैरों को करीब तीन फीट की दूरी पर रखें. आपका दायां पैर सामने 90 डिग्री पर और बायां पैर पीछे 15 डिग्री के एंगल पर हो. इस वक्त आपके शरीर का पूरा वजन दोनों पैरों पर बराबर हो.


Disclaimer: इस जानकारी की सटीकता, समयबद्धता और वास्तविकता सुनिश्चित करने का हर सम्भव प्रयास किया गया है. हालांकि इसकी नैतिक जिम्मेदारी ज़ी न्यूज़ हिन्दी की नहीं है. हमारा आपसे विनम्र निवेदन है कि किसी भी उपाय को आजमाने से पहले अपने चिकित्सक से अवश्य संपर्क करें. हमारा उद्देश्य आपको जानकारी मुहैया कराना मात्र है.