कैंसर पीड़ित दोस्त की आप बन सकते हैं ताकत, इन 6 असरदार तरीकों से करें मदद
दुनियाभर में हर पांच में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कैंसर का सामना करता है और 85 वर्ष की उम्र तक दो में से एक ऑस्ट्रेलियाई इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है.
दुनियाभर में हर पांच में से एक व्यक्ति अपने जीवनकाल में कैंसर का सामना करता है और 85 वर्ष की उम्र तक दो में से एक ऑस्ट्रेलियाई इस बीमारी से प्रभावित हो सकता है. जब यह आपके किसी परिजन या प्रिय मित्र को हो, तो समझ पाना मुश्किल होता है कि उनके लिए कैसे मददगार बनें या उन्हें किन शब्दों में सहारा दें. ऐसे में आपकी छोटी सी मदद से बड़ा बदलाव आ सकता है.
आज हम आपको बताएंगे कि कैंसर से पीड़ित आपके दोस्त को आप किस तरह सपोर्ट कर सकते हैं.
भावनाओं को समझें और पॉजिटिव रहें
कैंसर का पता चलने के बाद एक इंसान को कई तरह की भावनाओं से जूझना पड़ता है – जैसे भय, शोक और क्रोध. इसलिए अपने दोस्त की भावनाओं का सम्मान करें और उन्हें खुलकर सुनें. इसके लिए जरूरी नहीं है कि हर बात का जवाब दें; आपकी उपस्थिति ही उन्हें सहारा दे सकती है.
बीमारी की जानकारी प्राप्त करें
अपने मित्र की बीमारी और उपचार की प्रक्रिया को समझना आपके लिए भी मददगार हो सकता है. सही जानकारी से न केवल आपकी चिंता कम होगी, बल्कि बातचीत में भी मदद मिलेगी. ध्यान रखें कि एक एक्सपर्ट मेडिकल टीम पहले से ही उन्हें निर्देश दे रही होती है.
नियमित संपर्क बनाए रखें
कैंसर के इलाज के दौरान अकेलापन महसूस होना सामान्य है. नियमित रूप से संदेश भेजना, कॉल करना या मिलने जाना आपके दोस्त को सहारा देने में महत्वपूर्ण हो सकता है. उनकी प्रमुख तिथियों को याद रखें और उनका उत्साह बढ़ाएं.
छोटे-छोटे कामों में मदद करें
आप छोटे-छोटे कामों में मदद कर सकते हैं, जैसे डॉक्टर के पास ले जाना या किराने का सामान लाना. साथ ही यदि संभव हो तो उनके खान-पान का भी ख्याल रखें, लेकिन ध्यान रहे कि कैंसर और उपचार के कारण उनके स्वाद और भूख पर असर पड़ सकता है.
सपोर्ट रिसोर्स का सुझाव दें
मनोबल बढ़ाने वाली एक्टिविटी में रुचि हो तो आप उनके साथ ऑनलाइन या पर्सनल क्लासेस में शामिल हो सकते हैं. कैंसर काउंसिल जैसी संस्थाएं मुफ्त और गोपनीय सहायता प्रदान करती हैं, जिससे भावनात्मक और व्यावहारिक सहारा मिल सकता है.
संपर्क में रहें और अपनी भी देखभाल करें
इलाज के बाद अक्सर लोग अकेलापन महसूस करते हैं. यह समय उनके साथ खड़े रहने का होता है. साथ ही खुद का भी ख्याल रखें, ताकि उनकी देखभाल में आपकी ऊर्जा बनी रहे.
कैंसर से जूझ रहे मित्र को संभालना देना चुनौतीपूर्ण जरूर है, लेकिन इससे बड़ा सुख भी कोई नहीं. आपका हर छोटा प्रयास उनकी जिंदगी में पॉजिटिवी ला सकता है.
Disclaimer: प्रिय पाठक, हमारी यह खबर पढ़ने के लिए शुक्रिया. यह खबर आपको केवल जागरूक करने के मकसद से लिखी गई है. हमने इसको लिखने में सामान्य जानकारियों की मदद ली है. आप कहीं भी कुछ भी अपनी सेहत से जुड़ा पढ़ें तो उसे अपनाने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.