Rajasthan में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन, निवेशकों की निगाहों में मरूधरा
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अक्षय ऊर्जा के विकास से जुड़ी परियोजनाओं को गति देने के लिए राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2019 और सोलर-विंड हाईब्रिड ऊर्जा नीति-2019 लागू की है.
Jaipur: राजस्थान में नए निवेश के प्रमुख सेक्टर में एक सौर ऊर्जा (Solar Energy) है. प्रदेश का गर्म मिजाज निवेशक हाथों हाथ ले रहे है. प्रदेश में वर्ष भर में औसतन 325 दिन सूरज चमकता है. इससे प्रदेश में सौर ऊर्जा की विपुल संभावनाएं बनी हैं. यहां 142.31 गीगावाट क्षमता के सौर संयंत्रों से बिजली उत्पादन का अनुमान लगाया गया है, जो देश में सर्वाधिक है.
प्रदेश में पिछले एक दशक में सौर ऊर्जा क्षेत्र में तेजी से कदम बढ़ा रहा है. वर्ष 2011 में केवल 5 मेगावाट सौर ऊर्जा बनती थी और आज पूरे प्रदेश में 7 हजार मेगावाट बिजली बनने लगी है. केंद्र से मिला 31 दिसम्बर 2022 तक 5,762 मेगावाट सौर ऊर्जा उत्पादन का लक्ष्य अभी ही पूरा हो चुका है. देश में सौर ऊर्जा उत्पादन में राजस्थान कर्नाटक के बाद दूसरे स्थान पर है. राज्य सरकार (Rajasthan Government) ने अब 2024-25 तक प्रदेश में 30 गीगावाट सौर ऊर्जा क्षमता स्थापित करने का लक्ष्य रखा है. प्रदेश के 33 में से 20 जिलों में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन हो रहा है. इनमें से सर्वाधिक 3,837 मेगावाट सौर ऊर्जा जोधपुर में पैदा हो रही है, जबकि 1,200 मेगावाट के साथ जैसलमेर दूसरे स्थान पर है. इसके बाद बीकानेर, भीलवाड़ा और पाली का स्थान है.
यह भी पढ़ेंः Jaipur: शराब कारोबारियों को High Court से राहत नहीं, 121 याचिकाओं को किया खारिज
ऊर्जा मंत्री डॉ बीडी कल्ला (Dr BD Kalla) का कहना है कि निवेश से जुड़ी तमाम राहत राज्य सरकार दे रही है. ऐसे में नया निवेश राजस्थान में अधिक आ रहा है और आने वाले दिनों में यह राहत का संकेत है. वहीं, उद्योग मंत्री परसादी लाल मीणा (Parsadi Lal Meena) का कहना है कि गहलोत (CM Ashok Gehlot) सरकार ने नीतियां बनाकर निवेश प्रौत्साहन का काम किया है. राजस्थान में सौर ऊजा संभावनाओं के लिए सूरज भी है ओर जमीन भी. निवेश की नीतियों के सरलीकरण से अब निवेशक इसे हाथो हाथ ले रहे हैं.
सौर ऊर्जा उत्पादन में प्रदेश के टॉप 5 जिले
जिला ----- उत्पादन (मेगावाट)
जोधपुर ----- 3836.55
जैसलमेर ----- 1214
बीकानेर ----- 893.15
भीलवाड़ा ----- 65.25
पाली ----- 50
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अक्षय ऊर्जा के विकास से जुड़ी परियोजनाओं को गति देने के लिए राजस्थान सौर ऊर्जा नीति-2019 और सोलर-विंड हाईब्रिड ऊर्जा नीति-2019 लागू की है. इससे प्रदेश में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में निवेश और मेगा सोलर पार्क परियोजनाओं की स्थापना को बढ़ावा मिला है. प्रदेश सरकार वर्ष 2024-25 तक प्रदेश के लिए तय 30 हजार मेगावाट सौर ऊर्जा और 7500 मेगावाट विंड और हाइब्रिड एनर्जी उत्पादन के लक्ष्य को निर्धारित समय से पहले ही पूरा करने का प्रयास कर रही है. राजस्थान में 2.7 लाख मेगावाट सोलर और विंड एनर्जी उत्पादन की क्षमता है.
यह भी पढ़ेंः Rajasthan Roadways में बिना टिकट यात्रा करना पड़ेगा महंगा, जानिए कितना लगेगा जुर्माना
राज्य सरकार ने अक्षय ऊर्जा उत्पादन में निवेश को प्रोत्साहित करने के लिए सरकारी भूमि डीएलसी दरों पर आवंटित करने, 10 वर्ष तक परियोजना के लिए विद्युत शुल्क में पूर्ण छूट देने, सौर ऊर्जा उपकरण निर्माताओं को स्टाम्प शुल्क में छूट और राज्य जीएसटी में 90 प्रतिशत तक निवेश अनुदान देने जैसे महत्वपूर्ण फैसले किए हैं. साथ ही, निजी कृषि भूमि पर सौर अथवा पवन ऊर्जा परियोजना स्थापित करने पर भू-रूपान्तरण की अनिवार्यता समाप्त करने और भूमि खरीद के लिए सीलिंग लिमिट में छूट का प्रावधान भी किया है. हाल ही में राज्य सरकार ने प्रदेश में कुछ बड़ी ऊर्जा परियोजनाओं को कस्टमाइज पैकेज स्वीकृत किया है. इससे राज्य में करीब 1.5 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने की संभावना है.
इन 20 जिलों में लगे हैं संयंत्र
जिला ----------- उत्पादन संयंत्र (मेगावाट)
1 जोधपुर ------ 3836.5
2 अजमेर -------1
3 अलवर ------ -24.2
4 बांसवाड़ा ------10.26
5 बाड़मेर ------ 46
6 भीलवाड़ा -----65.25
7 बीकानेर ------893.15
8 चितौडगढ़़ ----9
9 चूरू ---------3
10 हनुमानगढ़ - 2
11 जयपुर ------7.5
12 जैसलमेर ----1214
13 झुंझनूं ------ 1
14 नागौर -------35
15 पाली --------50
16 राजसमंद ----6.5
17 सीकर ------ 1
18 सिरोही ------ 9.16
19 श्रीगंगानगर ---4.21
20 उदयपुर ------19.6
राजस्थान में अक्षय ऊर्जा की कुल स्थापित क्षमता 11 हजार 117 मेगावाट तक पहुंच गई है. सौर ऊर्जा की स्थापित क्षमता में राजस्थान का देश में दूसरा स्थान है. जोधपुर के भडला में 2,245 मेगावाट क्षमता का विश्व का सबसे बड़ा सोलर पार्क स्थापित किया गया है. दिसम्बर 2018 से मई 2021 तक करीब 49 हजार मेगावाट की नई अक्षय ऊर्जा परियोजनाओं का पंजीकरण किया गया है और बोर्ड ऑफ इन्वेस्टमेंट द्वारा 34 हजार 200 मेगावाट की परियोजनाओं को कस्टमाइज पैकेज दिया गया है. प्रदेश को सोलर हब बनाने के नीतिगत प्रयास जारी है.