चंडीगढ़: आर्थिक तंगी की मार झेल रहे पंजाब पर विधान सभा की एक और सीट के उपचुनाव का खर्च पढ़ना लगभग तय माना जा रहा है. मानसा सीट से विधायक नाजर सिंह मानशाहिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वो अपने इस्तीफे के फैसले पर कायम है. हाल ही में मानशाहिया स्पीकर से मुलाकात करके अपना फैसला स्पष्ट करने आए थे मगर उनकी मुलाकात विधान सभा स्पीकर से ना होने की वजह से वो विधान सभा में अपना पक्ष नहीं रख पाए. उधर देश में  उप चुनाव के खर्च को टालने के लिए पंजाब कांग्रेस के ही सांसद जसबीर सिंह गिल लोक सभा में प्रस्ताव लाने जा रहे हैं.  


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अभी अक्टूबर महीने में चार विधान सभा सीटों पर उपचुनाव का खर्च झेल चुके आर्थिक मंदी के शिकार पंजाब राज्य को एक और उपचुनाव का खर्च उठाना पड़ सकता है. मानसा से विधायक नाजर सिंह मानशाहिया ने स्पष्ट कर दिया है कि वो विधान सभा से अपना अस्तीफा वापिस नहीं लेंगे.


मानशाहिया ने बताया कि वो विधान सभा में अपने अस्तीफ़े के बारे अपनी स्थिति स्पष्ट करने पहुंचे थे लेकिन  उनकी मुलकात स्पकीर से नहीं हो सकी जिस वजह से मामला कुछ दिन के लिए टल गया. अब विधान सभा उनको दुबारा तलब करेगी.  नाजर सिंह मानशाहिया ने मानसा विधान सभा सीट आम आदमी पार्टी की टिकट पर जीती थी मगर मानशाहिया ने बाद में आम आदमी पार्टी को अलविदा कहते हुए कांग्रेस का दामन थाम लिया था. इसी के साथ ही मानशाहिया ने विधान सभा को विधायक पद से अस्तीफा भेज दिया था.


फिलहाल मानशाहिया के अस्तीफ़े पर विधान सभा का फैसला मोहर लगाएगा मगर जिस तरह से मानशाहिया अपने स्टेण्ड पर कायम है उससे लगता है कि उनका अस्तीफा स्वीकार कर लिया जाएगा. मानशाहिया ने कहा कि वो अपने स्टेण्ड पर कायम हैं.


नाजर सिंह माहशाहिया अस्तीफा मंजूर होने का मतलब होगा कि पंजाब को एक और उप चुनाव का खर्च उठाना होगा क्यूंकि अभी मौजूदा सरकार का कार्यकाल दो वर्ष के करीब बचा है. ऐसे में समझा जा सकता है कि पंजाब को एक और उप चुनाव का खर्च उठाना होगा जबकि पंजाब की आर्थिक स्थिति पहले ही खस्ता बताई जा रही है.


चुनाव कमीशन से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक विधान सभा सीट पर उपचुनाव करवाने में करीब दो करोड़ रूपये तक खर्च आ जाता है. पंजाब के मुख्य निर्वाचन अधिकारी डाक्टर एस करुणा राजू के अनुसार किसी भी चुनाव या उपचुनाव के लिए निर्वाचन आयोग की टीम कई दिन काम करती है. 


उधर  उप चुनाव के खर्च से जतना को बचाना कितना जरुरी है यह कांग्रेस के ही सांसद जसबीर सिंह गिल से समझा जा सकता है जो इस खर्च टालने के लिए लोक सभा में प्रस्ताव लाने जा रहे हैं जिसमे उपचुनाव को टाल कर उसके विकल्प का सुझाव दिया जाएगा.


सासंद जसबीर गिल का कहना है कि किसी विधायक या सांसद के अस्तीफा देने की सूरत या उसका निधन होने की सूरत में खाली हुई सीट पर उप चुनाव करवाने की बजाए कोई बिना खर्च वाला रास्ता तलाश किया जाना चाहिए जिसमे सबंधित विधायक या सांसद की ही पार्टी का कोई नेता को उसके स्थान पर कुर्सी सौंप देनी चाहिए.


हालांकि उनका यह प्रस्ताव लोकतांत्रिक प्लेटफ़र्म पर कितना खरा उतरेगा यह कहा नहीं जा सकता. बहरहाल विधायक की कुर्सी का त्याग नाजर सिंह मानशाहिया की राजीनति के अपने गुणा भाग का हिस्सा हो सकता है मगर स्वाल उस जनता के पैसे के दुरूपयोग का है जिसने पहली बार चुनाव मैदान में उतरे नाजर सिंह मानशाहिया पर विशवास करके उनको कुर्सी पर बैठा दिया.