Indian Intelligence Agency RAW: पाकिस्तान के खिलाफ 1971 की जंग में भारत की निर्णायक जीत में भारतीय सेना का अद्भुत शौर्य जिम्मेदार था वहीं इस विजय भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ के योगदान भी भुलाया नहीं जा सकता. आज हम आपको उस समय रॉ द्वारा किए गए ऐतिहासिक भूमिका के बारे में बताएंगे.


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1962 में चीन से जंग और 1965 की लड़ाई में उस समय के इंटेलिजेंस ब्यूरो का काम बुहत संतोषजनक नहीं माना गया ऐसे में एक अलग संस्था की जरुरत महसूस हुई और इस तरह  रिसर्च और एनालिसिस विंग (RAW) की नींव पड़ी.


वेस्ट और ईस्ट पाकिस्तान में बढ़ती दूरियां
1947 में पाकिस्तान की नींव धर्म के आधार पड़ी थी लेकिन जल्द ही यह साफ हो गया कि वेस्ट पाकिस्तान, ईस्ट पाकिस्तान के साथ सौतेला व्यवहार करने लगा है. उर्दू को राष्ट्रभाषा बनाने के बाद से तो वेस्ट और ईस्ट पाकिस्तान में दूरी बढ़ने लगी. यह संकट तब सबसे ज्यादा गहरा गया जब मुजीबुर्रहमान की पार्टी को नैशनल असेंबली में बहुमत मिल गया. उन्होंने पीएम पद के लिए दावेदारी की लेकिन वह पीएम नहीं बन पाए. इसके बाद से अलग देश की मांग जोर पकड़ने लगी.


भारत के हाथ लगी यह अहम जानकारी
इन घटनाओं पर भारत की गहरी नजर बनी हुई थी. इसी बीच भारतीय एजेंसियों तक यह जानकारी पहुंची कि आवामी लीग और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के बीच समझौते की पटकथा तैयार हो रही है और इसी के साथ मुजीब की गिरफ्तारी की भी योजना है.


यह जानकारी मिलने के बाद रॉ के संस्थापक आरएन काव खुद ढाका पहुंचे और मुजीब को इस पूरे प्लान के बारे में बताया और उन्हें अंडरग्राउंड होने के लिए कहा. हालांकि यह पाकिस्तान का अंदरूनी मामला था लेकिन सब जानते थे कि पाकिस्तान में गृह युद्ध या कोई भी उथल फुथल भारत पर गहरा प्रभाव डालेगी. इस बीच भारत में बड़ी संख्या मं बांग्लादेशी शरणार्थी आने लगे. रोज हजारों की संख्या में वे भारत पहुंच रहे थे.


आरएन काव का शानदार खुफिया नेटवर्क
भारत जंग की तैयारियों में लग गया. कलकत्ता के पास निर्वासन में बांग्लादेश की लीडरशिप गठित की गई. मुक्ति वाहिनी उनकी फौज थी. यह भारतीय सेना, रॉ और आईबी का संयुक्त ऑपरेशन था.  बताते हैं आरएन काव ने ऐसा खुफिया नेटवर्क खड़ा कर दिया था कि उन्हें पाकिस्तान की हर चाल का समय रहते चल जाता था.


भारत को पहले से पता था पाकिस्तान कब हमला करेगा
ऐसी ही एक जानकारी एक एजेंट ने दी थी कि पाकिस्तान की वायुसेना 72 घंटों के भीतर अचानक हमला करेगी. हालांकि तारीख 2 दिसंबर की बताई गई लेकिन हमला 3 दिसंबर को हुआ.


बताया जाता है कि 2 दिसंबर को हमला न होने पर वायु सेना प्रमुख ने काव से पूछा था कि आपकी सूचना में कितना दम है? इस पर काव ने उन्हें एक दिन और रुकने को कहा था. इसलिए जब 3 दिसंबर को हमला हुआ तो भारत को ज्यादा नुकसान नहीं झेलना पड़ा.


पाकिस्तान की ओर से किया गया यह एयर अटैक जंग की शुरुआत थी. 3 दिसंबर की शाम को तत्कालीन पीएम इंदिरा गांधी ने युद्ध की घोषणा कर दी. यह भारत की तरफ से उस युद्ध का ऐलान था जिसने पाकिस्तान को दो टुकड़ों में बांट दिया और एक नए देश बांग्लादेश का जन्म हुआ.


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